नमस्कार!!!
खुला ख़त
पिछले कुछ समय से ट्रेंड पर चल रहा है। मुख्यतः ये ख़त किसी (गैर) ज़िम्मेदार संस्था
को उससे त्रस्त एक अस्तित्त्वहीन(मान लो) मानुस के बीच संवाद स्थापित करने का साधन
होता है, जिसको (गैर) ज़िम्मेदार संस्था को छोड़कर बाकी सब पढ़ लेते हैं। आज अपनी ज़िन्दगी
से त्रस्त होकर मैंने भी एक खुला ख़त लिखने की कोशिश की है। प्रतिक्रिया दें।
नमस्कार ! मेरी इण्टरनेट
वाली सरकार !
सुबह साढ़े आठ बजे का निकला यह लड़का शाम को साढ़े पाँच बजे
(वैधानिक रूप से) अपने रूम पर वापिस आता है। दुनिया भर का हाल देखने के लिये(न्यूज़),
थोड़ा सा फ़ेसबुक, थोड़ा सा व्हॉट्सएप्प, ज़्यादा सा यूट्यूब इत्यादि (जो आपके ज़ेहन
में है, वो इत्यादि में है) का उपयोग करने के लिये जैसे ही browser खोलता है, घूमती हुई सफ़ेद रंग की घुण्डी
आपकी मेहनत का हाल बयाँ कर देती है।........पूरा लेख पढ़ें....
Manglam Bhaarat: खुला ख़त, आपकी (ज़ीरो बटे सन्नाटा) इण्टरनेट स्पीड के नाम