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Manglam Bhaarat: Script of Street Play

2 अप्रैल 2017

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(अरे आ गए आ गए नुक्कड़िये, देखो आ गए आ गए नुक्कड़िये)-2

(अरे दिलों पे छा गए नुक्कड़िये, देखो आ गए आ गए नुक्कड़िये)

(अरे आ गए आ गए नुक्कड़िये, देखो आ गए आ गए नुक्कड़िये)

अरे सीना ठोंक के बोलेंगे, दिल की परतें खोलेंगे

अरे सच को गले लगाएंगे, नुक्कड़िये कहलाएंगे

(अरे आ गए आ गए नुक्कड़िये, देखो आ गए आ गए नुक्कड़िये)-2

उठाता है कोई मुद्दा महिला सशक्तीकरण का
तो कोई कसता है चोट राजनीति क बर्बरता पर
लेकिन कभी ज़रा सोंच के देखो, क्या कभी असर पड़ता है उस जनता पर
इसीलिये तमाम सबूतों और गवाहों को मद्देनज़र रखते हुए, वायु सदन लेकर आया है; गैर राजनीतिक, गैर विदेसी, पूर्ण स्वदेसी, जबरिया, लल्लनटाप नुक्कड़ नाटक, जिसका शीर्षक है...................................
(अरे आ गए आ गए नुक्कड़िये, देखो आ गए आ गए नुक्कड़िये)-2
साथियों। 13वाँ युवा महोत्सव शुरू होने वाला है इस बार दिल्ली में,
बड़े-बड़े कॉलेजों की टीमों की होगी भरमार दिल्ली में,
क्विज़ और नुक्कड़ नाटक में हम भी दिखाएंगे दमखम
तो बोलो कौन चलेगा इस बार दिल्ली
तो हो जाओ दुरुस्त, छोड़ दो लेट उठने की बीमारी
आज सो लो चैन की नींद, कल से शुरू करेंगे तैयारी
हाँ,बोला तो है उसने, लेकिन कल आएगी वो
शिवानी है दोस्त उसकी, साथ उसे भी लाएगी वो
अरे आना, कल आना, सुनो आना, चले आना
शिवानी के भरोसे, सलोनी के भरोसे, चले आना, अरे आ....ना
छः बजे बोला था, ये कोई टाइम है क्या?
सर, पौन घंटा ही तो लेट हुए हैं, ये भी कोई क्राइम है क्या?
अरे, युवा महोत्सव की करनी है तैयारी
इसे हल्के में लेना है बहुत बड़ी बीमारी
एक महीने का ही बचा है वक़्त
सारे लड़कों हो जाओ, एकदम सख़्त
सर, सलोनी नहीं आई, शिवानी भी साथ नहीं लाई
उसको ज़रा घर पर कुछ काम रह गया, अब नहीं कर रही वो प्रैक्टिस
काम रह गया, काम रह गया, आराम रह गया
जो आए थे, शिवानी के भरोसे, सलोनी के भरोसे, कट जाओ.....
एक महीने जम कर करोगे प्रैक्टिस
एक महीने जम कर करेंगे प्रैक्टिस
लगा दोगे अपना ख़ून और पसीना
लगा देंगे अपना ख़ून और पसीना
एक महीने तक घर की शकल नहीं देखोगे

एक महीने तक........ हैं

अरे युवा महोत्सव तो आते आए हैं, आते जाएंगे
हम तो घर जाएंगे, हम तो घर जाएंगे
साथियों! ऐसे करते करते हमारी ताक़त घट जाती है
यूनिवर्सिटी जम्मू, नॉन जम्मू में बँट जाती है
फिर होता वही है, जो नियति को मंज़ूर है
अगर ऐसे ही चलता रहा, तो दिल्ली बहुत दूर है
रिपोर्टर- 13वें युवा महोत्सव में कटरा यूनिवर्सिटी का बेहद ही ख़राब प्रदर्शन, नहीं मिला कोई भी स्थान। क्या कहना चाहेंगे आप इस पर।
जी. कोशिश तो हमने पूरी की
पूरी की क्या???? पूरी की क्या????
हमने सबसे अच्छे खिलाड़ी उतारे
हैं?क्या बात कर रहा है? सच्ची?
लेकिन इस हार के लिये हम शर्मिंदा है, अगली बार हम और मेहनत के साथ आएंगे

Manglam Bhaarat: Script of Street Play
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योगा से होगा

25 फरवरी 2017
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योगा से होगा?योग !!! योग, सुबह पाँच बजे किसी घर सेआती फू फाँ की आवाज़ से ज़्यादा जगह नहीं बना पाया था। परन्तु आज तो फ़ेसबुक कीफ़ीड से लेकर प्रधानमंत्री की ट्वीट तक, सब जगह योग ही योग छाया हुआ है। मेरा भी मन किया योगको जानने का कि योग आख़िर होता क्या है, तो एक खोजी वेबसाइट ने तो योग के ऐसे ऐसे मतलब स

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क्या धर्म बौद्धिकता की अवहेलना करता है?

26 फरवरी 2017
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क्या धर्म बौद्धिकता की अवहेलना करता है? भगवान श्रीकृष्ण गीता में अर्जुन से कहते हैं, साधुजनों के उद्धार के लिये, दुष्कर्म करने वालों का विनाश करने के लिये और धर्म की स्थापना के लिये मैं पल-पल में प्रकट होता हूँ। मैं पूरे विषय को केवल दो पंक्तियों में समाप्त कर सकता हूँ। अगर आप

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खुला ख़त, आपकी (ज़ीरो बटे सन्नाटा) इण्टरनेट स्पीड के नाम

28 फरवरी 2017
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नमस्कार!!! खुला ख़तपिछले कुछ समय से ट्रेंड पर चल रहा है। मुख्यतः ये ख़त किसी (गैर) ज़िम्मेदार संस्थाको उससे त्रस्त एक अस्तित्त्वहीन(मान लो) मानुस के बीच संवाद स्थापित करने का साधनहोता है, जिसको (गैर) ज़िम्मेदार संस्था को छोड़कर बाकी सब पढ़ लेते हैं। आज अपनी ज़िन्दगीसे त्रस्त होकर मैंने भी एक ख

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Manglam Bhaarat: Script of Street Play

2 अप्रैल 2017
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(अरे आ गए आ गए नुक्कड़िये, देखो आ गएआ गए नुक्कड़िये)-2 (अरे दिलों पे छा गए नुक्कड़िये, देखोआ गए आ गए नुक्कड़िये) (अरे आ गए आ गए नुक्कड़िये, देखो आ गएआ गए नुक्कड़िये) अरे सीना ठोंक के बोलेंगे, दिल कीपरतें खोलेंग

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