💖😍😘❤️🌹🌹💖❤️,😍सूरज के पहली किरण के जैसे ...गाल पे उसके लाली होनी चाहिए😍चेहरे पे मासूमियत ...😚आँखों में चमक और थोड़ी सी हया ☺️भी होनी चाहिएहे भगवान🙏🏻 मुझे
हम उन्हें अपना इश्क ❤️बताने के लिए ...शायरी सुना रहे थे . . . औरवो हमें अपने यार की ...डायरी दिखा रहे थे . . .😜✍🏻 रिया सिंह सिकरवार " अनामिका " ( बिहार )
हमने तो आज तक यही सुना था कि हर लड़की हसीना ही होती है वह शक्ल सूरत से चाहे "टुनटुन" , शूर्पणखां या कुब्जा ही क्यों न हो । हसीना का एक सौन्दर्य शास्त्र होता है । वह चांद सी खूबसूरत होती है चाहे उसमें
"सुनो" "कहो" "एक बात पूछूं" "हां जी, पूछिए" "क्या आप हमें प्यार करते हैं" "अपने दिल से पूछिए, वह क्या कह रहा है" "आप न बात को घुमा देते हैं । जैसे मैंने सीधे सीधे प
देखता हू अक्सर खाने व खजाने को ,रेसिपी बहुत आती है ,पर जाने कहा चली जाती पचाने को,पाक कला का अक्सर कालम,खाली ही पाया ,इसीलिए मै पाक कला पर,एक रचना लेकर आया अरे
कक्षा 12 में शिक्षिका ने होम वर्क में "हम दोनों" पर एक पैराग्राफ लिखकर लाने के लिए कहा । आजकल बच्चे भी बहुत समझदार हो गये हैं । उन्हें कोई कन्फ्यूजन नहीं चाहिए इसलिए मैम से अपने सारे डाउट्स पहले ही क्
कालेज का जमाना था, बेफिक्री का तराना था। न दुनियादारी थी,न कोई जिम्मेदारी। मस्ती के दिन थे, ख्वाबों की रातें। कालेज के बाहर, सखियों से बातें। वहीं पर रहता था, ठग्गू का ठेला। ठग्गू के ठेले के, हम सब दी
सोचो एक दिन बरसने लगे, आसमान से मदिरा। भगदड़ मच जाएगी, कोई यहाँ गिरा कोई वहाँ गिरा। कोई छतों पर कोई रोड़ पर, कोई बालकनी में आएगा। कोई लाकर ड्रम और पीपे, भर भर कर ले जाएगा। अरे यहाँ तो भीड़ लगी कहकर,
सखि, आजकल बुलडोजर के भाव आसमान में चढे हुए हैं । सीधे मुंह बात ही नहीं करती है वह । पता नहीं किस पर इतना घमंड करती है नासपीटी? शक्ल सूरत भी तो माशाल्लाह है और डीलडौल तो "टुनटुन" को भी मात करता है
सखि, बड़ा आनंद आ रहा है । बड़े बड़े अजूबे हो रहे हैं इस देश में आजकल । कहीं पर सी बी आई की टीम को स्थानीय पुलिस गिरफ्तार कर रही है तो कहीं पर एन सी बी के दफ्तर को एक मुख्यमंत्री अपने समर्थकों के
सखि, आज बड़े असमंजस में हूं । असमंजस यह है कि बड़े लोग बातें भी बड़ी बड़ी करते हैं मगर उनके काम उतने ही गंदे होते हैं । जितने भी लोग IAS बनते हैं और उनका साक्षात्कार आता है तब वे बड़ी बड़ी बातें
सखि, दिल बहुत धड़क रहा है । अब तुम यह मत कह देना कि दिल तो होता ही धड़कने के लिए है । हां, यह बात मैं भी जानता हूं । मगर दिल इसलिए धड़क रहा है कि देश में क्या क्या नौटंकियां चल रही हैं ? आखिर हो
पुस्तक समीक्षा- पुस्तक का नाम - *बुंदेलखण्ड के आधुनिक कवि* सम्पादक - *श्री राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’* प्रकाशक - सरस्वती साहित्य संस्थान प्रयागराज द्वारा म.प्र.लेखक संघ जिला इकाई टी
सखि, कैसा जमाना आ गया है । एक तरफ तो लोग आधुनिक बन रहे हैं । बड़े बड़े रईस और खानदानी घरों की बेटियां "फटी पुरानी" सी चीथड़े वाली जींस पहन कर पार्टियों में जा रही हैं या फिर उनके खरबपति बा
आज सुबह मैं अखबार पढ रहा था कि मोबाइल ने घनघना कर अपनी उपस्थिति दर्ज करा दी । हमारी सोसायटी के अध्यक्ष जी थे । मैंने मन ही मन सोचा कि इतनी सुबह क्या बात हो सकती है ? मगर कोई क्लू हाथ नहीं लगा ।
"अरे, आप अभी तक नहाए नहीं" ?घर में पैर रखते ही श्रीमती जी ने प्रश्न दाग दिया ।"देवी जी, आप शायद भूल रही हैं कि आज रविवार है । रविवार मतलब आजादी का दिन" हमने चिढ़ाने वाले अंदाज में कहा । "अरे हां,
आज स्टॉफ रूम में बड़ी चहल पहल थी । सब शिक्षकों के मुख पर जिज्ञासा के भाव थे कि आखिर आज शिक्षक संघ के अध्यक्ष जी ने अर्जेंट मीटिंग क्यों बुलाई है ? क्या प्रधानाचार्य ने किसी शिक्षक से कोई पंगा ले लिया
हो गई हूँ मैं बीमार।आ गया मुझे वायरल बुखार।ज्यादा इतना नहीं की डॉक्टर को दिखाऊँ।कम इतना नहीं की खाना मैं बनाऊँ।ओढ़ के चादर गई लेट।किया ना थोड़ा सा भी वेट।मिल गया है अच्छा मौका।पतिदेव करते चूल्हा चौका।
महंगाई के बढ़ते ग्राफ को देखकर,सिर चकराने लगा है।अब तो इस महंगाई में,जीना रास आने लगा है।गैस सिलेंडर के दाम,जब से बढ़ने लगा है।चूल्हे की रोटी खाने का,मन करने लगा है।पेट्रोल, डीजल महंगा,जब से होने लगा
सुनो ना "सुनो ना" । सैकड़ो टन चीनी की मिठास घोलते हुए श्रीमती जी ने कहा । वो जब भी बातों में अतिरिक्त मिठास घोलती है, मेरे कान तुरंत खड़े हो जाते हैं । दिल में धुकधुकी सी होने लगती है । क्य