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रंग डालो

25 मार्च 2024

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उसके रक्तिम कपोल! शर्म से इस क़दर रक्ताभ हुए। 

 कैसे लगाऊं?रंग उस गौरी को........ 

 सौंदर्य से उसके ,सभी वर्ण फीके हुए । 

 होली कैसे खेलूं ? सखी री !

रंग पुष्पों सा, रूप देख उसका पुष्प भी लज्जित हुए। 



महक चंदन सी ,तन कंचन उसका, 

पीत वसन में गौर तन, कैसे मलूँ गुलाल ?

 लाल -पीली हो रही वो.......... !

किस विध अपने रंग रंगू , पूछे नन्दलाल !  

स्नेह वर्ण संग रंग डालो ! इसके वर्ण हजार ,

भांग पी , ले...... ' शिव शंभू' का नाम, 

अंग -अंग को रंग डालो !हस्त ले, स्नेह गुलाल !

सर्वत्र प्रेम ही प्रेम बरसे ऐसी हो, प्रेम की बरसात !

बरसाने की गोपियाँ स्मरण करें,होली की हर रात ! 

प्रकृति की छटा देखो ! उसके ही अपने रंग,

धानी चुनर को भी रंग डाला,कान्हा ने अपने प्रेम संग।

राधा संग नाचती -गाती गोपियाँ रंग गयीं ,कान्हा के रंग ! 

प्रफुल्लित हर माधव हो, प्रसन्नचित्त हो ,हर मन !

फागुन का ऐसा उड़ा ग़ुलाल !

कलुषित मन भी रंग गए ,करे कोई कैसे विचार ?

रंग डालो !हर तन को ,धूमधाम से मनाओ !यह त्यौहार !
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रचनाएँ
खूबसूरत पल
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मन के किसी कोने में छिपे भावों के मोती कभी कविता,कभी गजल का रूप ले लेते हैं। उन्हें दिल की किताब से बाहर ला पन्नों पर उकेरने का प्रयास करती हूँ। कभी ये भाव सामाजिक कभी अपने आप से प्रशन करते नजर आते हैं।कम शब्दों में बहुत कुछ कहता काव्य ! मन के किसी कोने में हिलोरे ले रहीं नैया का कभी मांझी तो कभी पतवार बन जाता है। शब्द जो छू जाते हैं,गैर के दर्द को,अहसास करा देते हैं।कुछ अल्फ़ाज दिल की गहराइयों में उतर आते हैं। कुछ आपकी कुछ मेरी कविताएँ जो जोड़ती हैं एक दूजे से मेरी इन कविताओं को अपनी समीक्षाओं द्वारा प्यार औआशीर्वाद दीजियेगा ।
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दर्द ए रुबाई

22 जनवरी 2024
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कुछ भाव ,कुछ इश्क के अफसाने लिख रही हूं। उन अफसानों में, मैं तेरी मोहब्बत लिख रही हूं। चंद शब्दों, पंक्तियों में मैं, आसमान लिख रही हूं।जिंदगी में कुछ टूटे ख्वाब, अरमान लिख रही हूं। थोड

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आख़िरी दिन

22 जनवरी 2024
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बीते हुए लम्हें ,कुछ यादें छोड़ जाते हैं। जिंदगी का आखिरी दिन हो, या साल का,कुछ गुदगुदाते, मुस्कुराते लम्हें छोड़ जाते हैं। आने वाले जीवन में,इक इतिहास छोड़ जाते हैं। आने वाले साल के

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नववर्ष

22 जनवरी 2024
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जब शाखाओं पर, चिड़िया गान सुनाएंगी। जब प्रातः की भौर में ,पंछी कलरव गाएंगे।जब हर मन, मिलन के गीत गुनगुनाएगा। जब बौरों पर मधुमक्खी भिन्न-भिन्नाएगी। जब पवन में सुमन की महक आएगी। जब व

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हैप्पी न्यू ईयर

22 जनवरी 2024
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दिन चाहे कोई भी हो,हर दिन' हैप्पी' होना चाहिए। जब से अंग्रेजी कैलेंडर की शुरुआत हो।कुछ तो ''अंग्रेजी ''होना चाहिए। 'ईयर के लास्ट' में धूम -धड़ाका चाहिए।खाओ- पियो मस्ती करो ! कुछ मस्ताना

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बारिश की बूँदें

24 जनवरी 2024
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मिलती हैं मिट्टी में ,सोंधी महक बन जाती हैं। सीप में गिर, तब मोती वो बन जाती हैं । जिस पर भी गिरें,अपना अस्तित्व भूल जाती हैं। मन को भिगो ,ठंडक कर जाती हैं। ये बारिश की बूंदे ,पु

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कोरा कागज

24 जनवरी 2024
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दिल के कोरे कागज पर नाम उसका लिखा था। एक वही ,इस'' कोरे ह्रदय '' में छुपा था। सम्पूर्ण जिंदगी पर,उसका ही ''अक्श'' दिखा था। खा धोखा उससे ,वह नाम'अश्रु जल ' में बह गया। ''कोरा कागज''

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पतंग की डोर

24 जनवरी 2024
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डोर एक सीधी- साधी ,महीन रंगहीन,अदृश्य ! बांधे रहती है न जाने, कितनी रंगीन पतंगें हैं? कभी उलझती , कभी उलझा देती है।देती स्वतंत्रता उड़ने की ,ढ़ील छोड़ती जाती है। प

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दिल से दिल तक

25 जनवरी 2024
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दिल से दिल को राहत होनी चाहिए ,पहुंच सके ,उसके दिल तक ,मेरी 'जुस्तुजू 'धड़कनों में, किसी के लिए,ऐसी आहट होनी चाहिए।ना धन -दौलत का अंबार चाहिए ,दिल को एक दूजे के दिल का ''एतबार ''चाहिए। माना कि ,

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दिल की साजिश

25 जनवरी 2024
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दिल ने आज साजिश की है,तेरी मोहब्बत को आजमाने की। तेरी मोहब्बत में, हम मर मिटे,दिल ने आज बगावत की है मुस्कुराने की। दिल की साजिशों ,का मसला है , हमने तो इबादत की है ,उस जमाने की। जि

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सपनो का सफर

30 जनवरी 2024
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छुटपन से ही ,छोटे सपनों की शुरुआत !छोटे-छोटे सपने न जाने, कब बड़े हो गए ?कुछ सुनहरे ,रुपहले और रंगीन सपने ! वही सपने ! न जाने कब ,अपने हो गए ? मंजिल की तलाश में भटकता है।तब'' सपनों का सफर ''

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नेकी व्यर्थ नही

9 फरवरी 2024
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कर्म करते रहो !उचित ,मार्ग प्रशस्त करो ! बांटते रहो! खुशियां लुटाते रहो ,प्यार !दर्द बांट लो, बेसहारों को ,सहारा दो !बढ़ते रहो ,मंजिल की ओर, नेकियाँ कम नहीं होतीं। दुआ मिले ग़र ,'' नेकियाँ व्

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चले थे ,साथ मिलकर

9 फरवरी 2024
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जिंदगी के सफर में चले थे ,हम साथ मिलकर। कुछ किए थे,वादे ! कुछ खाई थीं ,कसमें ! तम्मनाओं के सफ़र में चलेंगे यूँ ही, साथ मिलकर। आए तूफान कई , कभी तुम रुके, कभी हम थमे। कभ

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मीठी सी तन्हाई

25 जनवरी 2024
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न जाने कितनी यादें ,कितनी बातें ,ले आती हैं,मीठी सी तन्हाई !शोर -शराबे ,धूम -धडाकों से दूर कहीं ले जाती है ,मीठी सी तन्हाई !अपने ही ,विचारों और भावनाओं को तौलती है , मीठी सी तन्हाई !तुम्हारे प्रेम की

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छोड़ दीं

11 फरवरी 2024
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छोड़ दीं , अपनी कुछ हसरतें !छोड़ दीं ,अपनी कुछ चाहतें !छोड़ दिए ,कुछ स्वप्न अपने ,गैरों से उम्मीदें, लगानी छोड़ दीं। अपनों ने ही नहीं, समझा कभी... तौलते, हर रिश्ते को,अर्थ के तराजू मे

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पलकें बिछाये बैठे हैं

25 जनवरी 2024
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तुम जब भी आना चाहो ! बेख़ौफ !चली आना,हम ''पलकें बिछाए बैठे हैं। ''कदम तुम्हारे, जिस जगह ,जहां-जहां पड़े,उन राहों पर, हम फूल बिछाए बैठे हैं। करते रहे हम ,तमन्ना !तुम्हारी चाहत की,आप हमें क्यों ? य

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बसंत की बेला

14 फरवरी 2024
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सुनो, सखी! बसंत बेला आई है ।हर्षित हो, मन में ख़ुशियाँ समाई हैं। प्रफुल्लित हृदय में, प्रेम रस समाया। वसंत झूम -झूमकर आया। प्रकृति का आंचल लहराया। धानी चुनर ओढ़ ,प्रकृति ने ली

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आज फ़िर वही दिन... .

27 जनवरी 2024
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आज फिर से वही दिन आया है।गगन में ,तिरंगा लहराया है। इस दिन ''हमारा संविधान'' लागू हुआ था।इस तरह भारत अंग्रेजों से आज़ाद हुआ था। दिन बदले ,वर्ष बदले, देखते ही देखते न जा

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आई झूम के बसंत

14 फरवरी 2024
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आई ,झूम के बसंत !पुलकित हुए सबके तन। फुलवा झूम झूम के आई ,पुष्पों ने फुलवारी महकाई। पीली -पीली सरसों फूली ,बहार रंगों की आई। खेत और खलियानों में बालियाँ झूम झूम मुस्काईं। धानी चुनर

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प्रथम पूज्य

29 जनवरी 2024
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बुद्धि, समृद्धि और धर्म के देवता। विघ्नहर्ता कहे जाते ,मंगल करने वाले हैं। प्रथम पूज्य गणेश हैं, माने जाते। देवता सभी थे , श्रेष्ठ !मूषक जिनकी सवारी है। विपदा पड़ी, जब भारी है।&nbs

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अरदास

15 फरवरी 2024
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प्रभु ! आपके चरणों में 'अरदास'' है, बस यही ,मन हों, विकार रहित दिलों में प्रेम, भर दीजिए।पराये तो क्या ?अपनों को भी' प्रेम धन' दीजिए। अर्ज करती हूं यही , सेवा प्रभु की करती रहूं। ना किसी पर

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बारिश के बहाने

30 जनवरी 2024
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बारिश के बहाने हम, तुम्हें याद करेंगे। छत पर चली आना गोेरी, प्रेम की फरियाद करेंगे। बारिश के बहाने छत पर चली आना,बारिश की बूंदें करती छम छम, तुम्हारी पायल की ''रुमझुम ''से मुलाकात करेंग

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मौन व्यथाएँ

16 फरवरी 2024
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नम अंखियों से चहुँ ओर ,तम है दिखता। दर्द रह- रहकर हिलोर, बन- बन उठाता। पीड़ा सही न जाती, मन विवश हो उठता।गीली लकड़ी सी सुलगन,दर्द सहा न जाता। छल ! पल-पल, मन को छलता रहता।ह्रदय धधकत

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ज़िंदगी की दोपहर

2 मार्च 2024
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जिंदगी की ,''तपती दोपहर'' !सुख-दुख ,का एहसास नहीं ,वो तप्त दोपहर !रोटी, के जुगत में बीती। वो जलती दोपहर !जला देती है,चमड़ी ,उड़ा देती है, रंगत !वह ''जिंदगी की तपती दोपहर ''!'अर्थ 'की लालसा में दौ

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दिल की मजबूरियां

2 मार्च 2024
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इस दिल की हैं , ये कैसी मजबूरियां ? सामने हो तुम ! फिर भी हैं , दूरियां ! दिल ! कितना ,मजबूर हुआ जाता है ?मोहब्बत में तेरी ओर खिंचा चला आता है।ख़ामोश निगाहें ,चहुँ ओर तुझे ही ढूंढती हैं।&nbsp

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वो आज़ाद कहाँ से लाऊँ?

2 मार्च 2024
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मर मिटे जो,अपनी आन पर ,हर देशवासी मर मिटे, उसकी मुस्कान पर। हमेशा जिये वो शान से,'' आजाद हैं, आजाद रहेंगे''। आज़ादी की चाहत वाला, लाल कहां से लाऊं ?भाबरा गांव का रहने वाला, आजाद कहां से लाऊं

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ज़िंदगी के रंग

3 मार्च 2024
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बालपन सा, जिंदगी का कैनवास !श्वेत ,स्वच्छ ,ना कोई दाग न धब्बा ,शनैः -शनैः ,उसमें स्नेह वर्ण भरने लगे।रक्त ,पीत........ , न जाने , कितने रंग चटकने लगे ?जिंदगी खूबसूरत नजर आने लगी। उमंगों क

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जीवन के दिन

3 मार्च 2024
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जीवन के दिन होते,कभी रंगीन ! जीवन है ,क़िस्मत के अधीन ! दिन एक जैसे होते नहीं। कभी ,बहे नैन से नीर.......कभी बढ़ती ,ह्रदय की पीड़। कभी तन्हा दिन कटते नहीं। कभी रातें

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रखो ऐसी कृपा ईश्वर

3 मार्च 2024
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हर दिन ,जीवन का संचार हो। प्रसन्नता , दिलों पर वास करे। ह्रदयों में , प्रेम का विस्तार हो। वैमनस्य का न,कहीं व्यापार हो। प्रीत -प्यार के मन में अंकुर फूटें।&nbsp

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ख्वाबों को पंख मिल गये हों, जैसे

3 मार्च 2024
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तुम आईं , जीवन में मेरे, मेरी तमन्नाओं को पंख मिल गए हों, जैसे। पतझड़ के पश्चात बहार आती है, सूखे ताल में जल की फुहार हों , जैसे। तुम जिंदगी में इस तरह से आईं , हव

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टूटा तो नहीं है

7 मार्च 2024
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यह दिल धड़कता है ,आज भी........ तुम्हारी याद में,' टूटा 'तो नहीं है। यह दिल दुखता है, दर्द इसे भी होता है, सहन करता है, अभी 'बिखरा' तो नहीं है। तड़पता है, तेरे लिए , ते

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मीन प्यासी है, दरिया में

7 मार्च 2024
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तुझे कहां-कहां नहीं ढूंढता हूं ? ढूंढता हूं, मंदिर की मूरत में। पुकारता हूं, तुझे अज़ान में।कभी तू नजर आता,दरख़्तों में, तो कभी ,तालाब के जल में। सुकून ढूंढता हूं,'' कैंडल'' के

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नारी तूने साबित कर दिखलाया है

11 मार्च 2024
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आधुनिक नारी ही नहीं ,पूर्वकाल से ही नारी ने , अपने को साबित कर दिखलाया है। रानी लक्ष्मी बाई भी एक नारी थी, जिसने फ़िरंगियों को,अपना तेज़ दिखलाया है। विद्योत्तमा भी एक न

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अनजानी राहें

23 मार्च 2024
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चले जाना,छोड़ मुझे !''अनजान राहों ''में,तुम्हें लौट कर आना होगा,यहीं मेरी बाहों में। खो न जाना , तुम !उन 'अनजान गलियों' में,तकती रहूंगी रस्ता तुम्हारा, तुम्हारी आस में। दिलाती रहूंगी य

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अनजानी डगर

23 मार्च 2024
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मंजिल की तलाश में, उन ''अनजान राहों'' पर भटकती रही,कभी घबराई ,कभी सकुंचाई ,मगर निरंतर आगे बढ़ती रही। अनजानी डगर, अनुभवों का सिलसिला नया बनातीं,देती रहीं मंज़िलों से अनजान मैं , अनजानों पर विश्

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रंग डालो

25 मार्च 2024
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उसके रक्तिम कपोल! शर्म से इस क़दर रक्ताभ हुए। कैसे लगाऊं?रंग उस गौरी को........ सौंदर्य से उसके ,सभी वर्ण फीके हुए । होली कैसे खेलूं ? सखी री !रंग पुष्पों सा, रूप देख उ

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अजनबी रिश्ते

2 अप्रैल 2024
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भूल जाते हैं ,अपने उन पांव के छालों को ,भूल जाते हैं ,अपनी धूल भरी राहों को।भुला देते हैं ,प्यार भरे अपने ,रिश्तों को। भूल जाते हैं , उन घूमावदार सोपानों को। भूल जाते हैं ,कभी थामकर च

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जब बेटी घर आती है

5 अप्रैल 2024
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चहक उठता है ,वो घर ,जब बेटी ससुराल से आती है। न जाने कितने सपने ,कितने अरमान संजो लाती है ?सालभर के त्यौहारों में ,दरवाजे पर टकटकी लगाती है। आता होगा कोई ,मैके से ,मन ही मन खुश हो जाती है।&n

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मेरी रामप्यारी

5 अप्रैल 2024
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प्यार की राहों'' पर चल दिए हम ,सोचा - हम भी प्यार करके देख लें । 'प्यार 'किस चिड़िया का नाम है ?' प्यार की राह 'में, चल कर देख लें। 'प्यार की राह' में मिल गई' राम प्यारी' थी, अपने पापा

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चाँदनी रातें

24 अप्रैल 2024
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रोज-रोज नहीं आतीं ,' चांदनी रातें'। कभी छा जाती बदली, कभी होती बरसातें । मिलने को तड़पता होगा, चांद भी,चांदनी भी आहें भरती होगी। बहुत इंतजार के बाद, होतीं ये मुलाकातें। चांद से मि

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