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मेरी रामप्यारी

5 अप्रैल 2024

7 बार देखा गया 7
प्यार की राहों'' पर चल दिए हम ,सोचा - हम भी प्यार करके देख लें । 

 'प्यार 'किस चिड़िया का नाम है ?' प्यार की राह 'में, चल कर देख लें। 

'प्यार की राह' में मिल गई' राम प्यारी' थी, अपने पापा की दुलारी थी। 

 इन आंखों पर चढ़ गया ,उसके प्यार का नशा,

 बंध गई पट्टी ,उसके प्यार की,वो मुझे चाहने वाली थी।  




जब चाहे जहां देखूं ,दिखे'' रामदुलारी'' हाय ! मेरी राम प्यारी !

मोहब्बत का नशा, सिर चढ़कर बोलने लगा है, 

 हाय ! मेरी रामप्यारी -रामप्यारी रटने लगा है । 

रात -दिन बस उसका ही ,सपना सजने लगा ,

उसके संग ही मुझे ,अपना जीवन दिखने लगा। 

बुजुर्गों ने बहुतेरा समझाया, कुछ समझ न आया,

 हर कोई इस जहाँ में ,प्यार का दुश्मन दिखने लगा। 

समझता था -प्यार की राहों में कठिनाईयां बहुत हैं ,

अपनी बुद्धि से , राहों के कांटे चुगने लगा। 

 उन राहों से मेरी, रामप्यारी मेरे घर आएगी। 

 इस घर को मेरे, और अपने सपनों से सजायेगी। 

 यही सपना दिखने लगा, प्यार की मेरे जीत हुई,

 मिल गये ,'' मन के मीत''अपनी रातें रंगीन हुईं । 

रामप्यारी क्या खूब नजर आती है ?

मैं उसके दिल का राजा और वह रानी नजर आती है। 

प्यार की राहें कितनी हसीन ?खुशगवार नजर आती हैं। 

कुछ वर्षों में ही ,प्यार की बंधी पट्टी खुलने लगी ,

अब मुझे रामप्यारी से भी अलग दुनिया दिखने लगी। 

 जिस डगर पर मैं चल रहा था ,

 वह कांटो भरा रास्ता भी , हसीन लग रहा था। 

प्यार भरी मेरी दुनिया ,मुझे हकीकत में ले आई ,

मेरी रामदुलारी ने मुझे जिंदगी की असलियत दिखलाई।

 हर पत्नी ने, अपने पति को उसकी औकात दिखलाई। 

तभी कुमारश्याम बने कालिदास ,रामबोला बने गुसाईं। 

 रिश्ता है , तो आज भी, इस रिश्ते को निभा रहा हूं ,

चला था 'प्यार की राहों' में आज भी उससे कांटे हटा रहा हूं। 

लहुलूहान हो ,''प्यार की रस्में '' निभा रहा हूं। 
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रचनाएँ
खूबसूरत पल
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मन के किसी कोने में छिपे भावों के मोती कभी कविता,कभी गजल का रूप ले लेते हैं। उन्हें दिल की किताब से बाहर ला पन्नों पर उकेरने का प्रयास करती हूँ। कभी ये भाव सामाजिक कभी अपने आप से प्रशन करते नजर आते हैं।कम शब्दों में बहुत कुछ कहता काव्य ! मन के किसी कोने में हिलोरे ले रहीं नैया का कभी मांझी तो कभी पतवार बन जाता है। शब्द जो छू जाते हैं,गैर के दर्द को,अहसास करा देते हैं।कुछ अल्फ़ाज दिल की गहराइयों में उतर आते हैं। कुछ आपकी कुछ मेरी कविताएँ जो जोड़ती हैं एक दूजे से मेरी इन कविताओं को अपनी समीक्षाओं द्वारा प्यार औआशीर्वाद दीजियेगा ।
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दर्द ए रुबाई

22 जनवरी 2024
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कुछ भाव ,कुछ इश्क के अफसाने लिख रही हूं। उन अफसानों में, मैं तेरी मोहब्बत लिख रही हूं। चंद शब्दों, पंक्तियों में मैं, आसमान लिख रही हूं।जिंदगी में कुछ टूटे ख्वाब, अरमान लिख रही हूं। थोड

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आख़िरी दिन

22 जनवरी 2024
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बीते हुए लम्हें ,कुछ यादें छोड़ जाते हैं। जिंदगी का आखिरी दिन हो, या साल का,कुछ गुदगुदाते, मुस्कुराते लम्हें छोड़ जाते हैं। आने वाले जीवन में,इक इतिहास छोड़ जाते हैं। आने वाले साल के

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नववर्ष

22 जनवरी 2024
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जब शाखाओं पर, चिड़िया गान सुनाएंगी। जब प्रातः की भौर में ,पंछी कलरव गाएंगे।जब हर मन, मिलन के गीत गुनगुनाएगा। जब बौरों पर मधुमक्खी भिन्न-भिन्नाएगी। जब पवन में सुमन की महक आएगी। जब व

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हैप्पी न्यू ईयर

22 जनवरी 2024
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दिन चाहे कोई भी हो,हर दिन' हैप्पी' होना चाहिए। जब से अंग्रेजी कैलेंडर की शुरुआत हो।कुछ तो ''अंग्रेजी ''होना चाहिए। 'ईयर के लास्ट' में धूम -धड़ाका चाहिए।खाओ- पियो मस्ती करो ! कुछ मस्ताना

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बारिश की बूँदें

24 जनवरी 2024
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मिलती हैं मिट्टी में ,सोंधी महक बन जाती हैं। सीप में गिर, तब मोती वो बन जाती हैं । जिस पर भी गिरें,अपना अस्तित्व भूल जाती हैं। मन को भिगो ,ठंडक कर जाती हैं। ये बारिश की बूंदे ,पु

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कोरा कागज

24 जनवरी 2024
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दिल के कोरे कागज पर नाम उसका लिखा था। एक वही ,इस'' कोरे ह्रदय '' में छुपा था। सम्पूर्ण जिंदगी पर,उसका ही ''अक्श'' दिखा था। खा धोखा उससे ,वह नाम'अश्रु जल ' में बह गया। ''कोरा कागज''

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पतंग की डोर

24 जनवरी 2024
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डोर एक सीधी- साधी ,महीन रंगहीन,अदृश्य ! बांधे रहती है न जाने, कितनी रंगीन पतंगें हैं? कभी उलझती , कभी उलझा देती है।देती स्वतंत्रता उड़ने की ,ढ़ील छोड़ती जाती है। प

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दिल से दिल तक

25 जनवरी 2024
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दिल से दिल को राहत होनी चाहिए ,पहुंच सके ,उसके दिल तक ,मेरी 'जुस्तुजू 'धड़कनों में, किसी के लिए,ऐसी आहट होनी चाहिए।ना धन -दौलत का अंबार चाहिए ,दिल को एक दूजे के दिल का ''एतबार ''चाहिए। माना कि ,

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दिल की साजिश

25 जनवरी 2024
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दिल ने आज साजिश की है,तेरी मोहब्बत को आजमाने की। तेरी मोहब्बत में, हम मर मिटे,दिल ने आज बगावत की है मुस्कुराने की। दिल की साजिशों ,का मसला है , हमने तो इबादत की है ,उस जमाने की। जि

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सपनो का सफर

30 जनवरी 2024
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छुटपन से ही ,छोटे सपनों की शुरुआत !छोटे-छोटे सपने न जाने, कब बड़े हो गए ?कुछ सुनहरे ,रुपहले और रंगीन सपने ! वही सपने ! न जाने कब ,अपने हो गए ? मंजिल की तलाश में भटकता है।तब'' सपनों का सफर ''

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नेकी व्यर्थ नही

9 फरवरी 2024
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कर्म करते रहो !उचित ,मार्ग प्रशस्त करो ! बांटते रहो! खुशियां लुटाते रहो ,प्यार !दर्द बांट लो, बेसहारों को ,सहारा दो !बढ़ते रहो ,मंजिल की ओर, नेकियाँ कम नहीं होतीं। दुआ मिले ग़र ,'' नेकियाँ व्

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चले थे ,साथ मिलकर

9 फरवरी 2024
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जिंदगी के सफर में चले थे ,हम साथ मिलकर। कुछ किए थे,वादे ! कुछ खाई थीं ,कसमें ! तम्मनाओं के सफ़र में चलेंगे यूँ ही, साथ मिलकर। आए तूफान कई , कभी तुम रुके, कभी हम थमे। कभ

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मीठी सी तन्हाई

25 जनवरी 2024
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न जाने कितनी यादें ,कितनी बातें ,ले आती हैं,मीठी सी तन्हाई !शोर -शराबे ,धूम -धडाकों से दूर कहीं ले जाती है ,मीठी सी तन्हाई !अपने ही ,विचारों और भावनाओं को तौलती है , मीठी सी तन्हाई !तुम्हारे प्रेम की

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छोड़ दीं

11 फरवरी 2024
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छोड़ दीं , अपनी कुछ हसरतें !छोड़ दीं ,अपनी कुछ चाहतें !छोड़ दिए ,कुछ स्वप्न अपने ,गैरों से उम्मीदें, लगानी छोड़ दीं। अपनों ने ही नहीं, समझा कभी... तौलते, हर रिश्ते को,अर्थ के तराजू मे

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पलकें बिछाये बैठे हैं

25 जनवरी 2024
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तुम जब भी आना चाहो ! बेख़ौफ !चली आना,हम ''पलकें बिछाए बैठे हैं। ''कदम तुम्हारे, जिस जगह ,जहां-जहां पड़े,उन राहों पर, हम फूल बिछाए बैठे हैं। करते रहे हम ,तमन्ना !तुम्हारी चाहत की,आप हमें क्यों ? य

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बसंत की बेला

14 फरवरी 2024
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सुनो, सखी! बसंत बेला आई है ।हर्षित हो, मन में ख़ुशियाँ समाई हैं। प्रफुल्लित हृदय में, प्रेम रस समाया। वसंत झूम -झूमकर आया। प्रकृति का आंचल लहराया। धानी चुनर ओढ़ ,प्रकृति ने ली

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आज फ़िर वही दिन... .

27 जनवरी 2024
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आज फिर से वही दिन आया है।गगन में ,तिरंगा लहराया है। इस दिन ''हमारा संविधान'' लागू हुआ था।इस तरह भारत अंग्रेजों से आज़ाद हुआ था। दिन बदले ,वर्ष बदले, देखते ही देखते न जा

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आई झूम के बसंत

14 फरवरी 2024
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आई ,झूम के बसंत !पुलकित हुए सबके तन। फुलवा झूम झूम के आई ,पुष्पों ने फुलवारी महकाई। पीली -पीली सरसों फूली ,बहार रंगों की आई। खेत और खलियानों में बालियाँ झूम झूम मुस्काईं। धानी चुनर

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प्रथम पूज्य

29 जनवरी 2024
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बुद्धि, समृद्धि और धर्म के देवता। विघ्नहर्ता कहे जाते ,मंगल करने वाले हैं। प्रथम पूज्य गणेश हैं, माने जाते। देवता सभी थे , श्रेष्ठ !मूषक जिनकी सवारी है। विपदा पड़ी, जब भारी है।&nbs

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अरदास

15 फरवरी 2024
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प्रभु ! आपके चरणों में 'अरदास'' है, बस यही ,मन हों, विकार रहित दिलों में प्रेम, भर दीजिए।पराये तो क्या ?अपनों को भी' प्रेम धन' दीजिए। अर्ज करती हूं यही , सेवा प्रभु की करती रहूं। ना किसी पर

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बारिश के बहाने

30 जनवरी 2024
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बारिश के बहाने हम, तुम्हें याद करेंगे। छत पर चली आना गोेरी, प्रेम की फरियाद करेंगे। बारिश के बहाने छत पर चली आना,बारिश की बूंदें करती छम छम, तुम्हारी पायल की ''रुमझुम ''से मुलाकात करेंग

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मौन व्यथाएँ

16 फरवरी 2024
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नम अंखियों से चहुँ ओर ,तम है दिखता। दर्द रह- रहकर हिलोर, बन- बन उठाता। पीड़ा सही न जाती, मन विवश हो उठता।गीली लकड़ी सी सुलगन,दर्द सहा न जाता। छल ! पल-पल, मन को छलता रहता।ह्रदय धधकत

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ज़िंदगी की दोपहर

2 मार्च 2024
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जिंदगी की ,''तपती दोपहर'' !सुख-दुख ,का एहसास नहीं ,वो तप्त दोपहर !रोटी, के जुगत में बीती। वो जलती दोपहर !जला देती है,चमड़ी ,उड़ा देती है, रंगत !वह ''जिंदगी की तपती दोपहर ''!'अर्थ 'की लालसा में दौ

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दिल की मजबूरियां

2 मार्च 2024
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इस दिल की हैं , ये कैसी मजबूरियां ? सामने हो तुम ! फिर भी हैं , दूरियां ! दिल ! कितना ,मजबूर हुआ जाता है ?मोहब्बत में तेरी ओर खिंचा चला आता है।ख़ामोश निगाहें ,चहुँ ओर तुझे ही ढूंढती हैं।&nbsp

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वो आज़ाद कहाँ से लाऊँ?

2 मार्च 2024
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मर मिटे जो,अपनी आन पर ,हर देशवासी मर मिटे, उसकी मुस्कान पर। हमेशा जिये वो शान से,'' आजाद हैं, आजाद रहेंगे''। आज़ादी की चाहत वाला, लाल कहां से लाऊं ?भाबरा गांव का रहने वाला, आजाद कहां से लाऊं

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ज़िंदगी के रंग

3 मार्च 2024
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बालपन सा, जिंदगी का कैनवास !श्वेत ,स्वच्छ ,ना कोई दाग न धब्बा ,शनैः -शनैः ,उसमें स्नेह वर्ण भरने लगे।रक्त ,पीत........ , न जाने , कितने रंग चटकने लगे ?जिंदगी खूबसूरत नजर आने लगी। उमंगों क

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जीवन के दिन

3 मार्च 2024
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जीवन के दिन होते,कभी रंगीन ! जीवन है ,क़िस्मत के अधीन ! दिन एक जैसे होते नहीं। कभी ,बहे नैन से नीर.......कभी बढ़ती ,ह्रदय की पीड़। कभी तन्हा दिन कटते नहीं। कभी रातें

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रखो ऐसी कृपा ईश्वर

3 मार्च 2024
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हर दिन ,जीवन का संचार हो। प्रसन्नता , दिलों पर वास करे। ह्रदयों में , प्रेम का विस्तार हो। वैमनस्य का न,कहीं व्यापार हो। प्रीत -प्यार के मन में अंकुर फूटें।&nbsp

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ख्वाबों को पंख मिल गये हों, जैसे

3 मार्च 2024
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तुम आईं , जीवन में मेरे, मेरी तमन्नाओं को पंख मिल गए हों, जैसे। पतझड़ के पश्चात बहार आती है, सूखे ताल में जल की फुहार हों , जैसे। तुम जिंदगी में इस तरह से आईं , हव

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टूटा तो नहीं है

7 मार्च 2024
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यह दिल धड़कता है ,आज भी........ तुम्हारी याद में,' टूटा 'तो नहीं है। यह दिल दुखता है, दर्द इसे भी होता है, सहन करता है, अभी 'बिखरा' तो नहीं है। तड़पता है, तेरे लिए , ते

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मीन प्यासी है, दरिया में

7 मार्च 2024
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तुझे कहां-कहां नहीं ढूंढता हूं ? ढूंढता हूं, मंदिर की मूरत में। पुकारता हूं, तुझे अज़ान में।कभी तू नजर आता,दरख़्तों में, तो कभी ,तालाब के जल में। सुकून ढूंढता हूं,'' कैंडल'' के

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नारी तूने साबित कर दिखलाया है

11 मार्च 2024
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आधुनिक नारी ही नहीं ,पूर्वकाल से ही नारी ने , अपने को साबित कर दिखलाया है। रानी लक्ष्मी बाई भी एक नारी थी, जिसने फ़िरंगियों को,अपना तेज़ दिखलाया है। विद्योत्तमा भी एक न

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अनजानी राहें

23 मार्च 2024
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चले जाना,छोड़ मुझे !''अनजान राहों ''में,तुम्हें लौट कर आना होगा,यहीं मेरी बाहों में। खो न जाना , तुम !उन 'अनजान गलियों' में,तकती रहूंगी रस्ता तुम्हारा, तुम्हारी आस में। दिलाती रहूंगी य

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अनजानी डगर

23 मार्च 2024
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मंजिल की तलाश में, उन ''अनजान राहों'' पर भटकती रही,कभी घबराई ,कभी सकुंचाई ,मगर निरंतर आगे बढ़ती रही। अनजानी डगर, अनुभवों का सिलसिला नया बनातीं,देती रहीं मंज़िलों से अनजान मैं , अनजानों पर विश्

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रंग डालो

25 मार्च 2024
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उसके रक्तिम कपोल! शर्म से इस क़दर रक्ताभ हुए। कैसे लगाऊं?रंग उस गौरी को........ सौंदर्य से उसके ,सभी वर्ण फीके हुए । होली कैसे खेलूं ? सखी री !रंग पुष्पों सा, रूप देख उ

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अजनबी रिश्ते

2 अप्रैल 2024
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भूल जाते हैं ,अपने उन पांव के छालों को ,भूल जाते हैं ,अपनी धूल भरी राहों को।भुला देते हैं ,प्यार भरे अपने ,रिश्तों को। भूल जाते हैं , उन घूमावदार सोपानों को। भूल जाते हैं ,कभी थामकर च

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जब बेटी घर आती है

5 अप्रैल 2024
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चहक उठता है ,वो घर ,जब बेटी ससुराल से आती है। न जाने कितने सपने ,कितने अरमान संजो लाती है ?सालभर के त्यौहारों में ,दरवाजे पर टकटकी लगाती है। आता होगा कोई ,मैके से ,मन ही मन खुश हो जाती है।&n

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मेरी रामप्यारी

5 अप्रैल 2024
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प्यार की राहों'' पर चल दिए हम ,सोचा - हम भी प्यार करके देख लें । 'प्यार 'किस चिड़िया का नाम है ?' प्यार की राह 'में, चल कर देख लें। 'प्यार की राह' में मिल गई' राम प्यारी' थी, अपने पापा

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चाँदनी रातें

24 अप्रैल 2024
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रोज-रोज नहीं आतीं ,' चांदनी रातें'। कभी छा जाती बदली, कभी होती बरसातें । मिलने को तड़पता होगा, चांद भी,चांदनी भी आहें भरती होगी। बहुत इंतजार के बाद, होतीं ये मुलाकातें। चांद से मि

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पागल मन

30 अप्रैल 2024
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थाम -थाम अपने ''मन के पागल'' घोड़े को ,सरपट दौड़ा जाता है ,हाथ से फिसल जाता है। कभी भावुक हो ,प्रेम की 'रौ' में बहता जाता है। कभी रिश्ते की टेढ़ी चाल, समझ नहीं पाता है। कभी दाना कोई भी डा

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साथी

5 मई 2024
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हम बने ,सुख -दुख के' साथी !साथ हमारा जैसे दिया और बाती। साथी बने तुम, जीवन भर के लिए ,रहें संग,तन में जैसे,श्वांस आती जाती। हवा के झोंके से, तुम जीवन में आए , साथ रहा, जैसे रात्रि आती -

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सपनो की उड़ान

14 मई 2024
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सपने देखें बहुत..... उड़ान भी, ऊंची रखना !दिशा अपनी सही..... मंजिल,का सही पता रखना !खो न जायें कहीं , छूट न जाए ,साथ !सर पर बड़ों का ,अपने हाथ रखना। अहंकार न आने पाये ,जहाँ

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एक सच्ची मुस्कान

14 मई 2024
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उम्र की मोहताज़ नहीं, इक सच्ची मुस्कान ! किसी भी उम्र में आ सकती, एक सच्ची मुस्कान ! सच्चाई का साथ खड़े ,रहें सत्य के साथ , बातों ही बातों में यूं आ जाती, एक सच्ची मुस्कान! खुले दि

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बादलों भरा आकाश

23 मई 2024
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झलक, तेरी इक पाने को, घुमड़ - घुमड़ आए बादल ! चाहत, तेरी में ,''मन मयूर ''यूँ नाच उठा। देख तुझे प्रत्यक्ष, न जाने कब बरस जाएं ?बादल !उम्मीदों की लौ जलाएं ,तप्त दोपहर में ,चाहतों के गगन में ,

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गुमनाम यात्री

30 मई 2024
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लक्ष्य ,अभी साधा कहां ? उद्देश्य अभी जाना कहां ?जहाँ में, आए तुम किसलिए ?यह तुमने अभी ,माना कहां ? झूठ और दम्भ में भटके रहे,जीवन को परिपूर्ण जाना कहां ?हकीकत जिंदगी की जानी नहीं,चले, जीवन के

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प्रेम का इज़हार

30 मई 2024
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इश्क़ हुआ था मुझे, उस अनजान परी से,हैराँ, परेशान रह गया , कैसे करूं ?'' इश्क का इजहार ''उस नाज़नीन से ,लगता, मेरे जीवन में ग़र वो.... आ जाए , आते ही उसके ,मेरी किस्मत चमक जाए। रात -दिन वो !

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बचपन के दोस्त

9 जून 2024
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बालपन की वो सखियां ! बीत रहीं होगी न जाने, किस अंगना में उनकी रतियाँ !शोभा होगीं , न जाने किस घर की ? महकाती होंगी ,उनकी बगिया। चहकती होंगी चिरैया !अपने बाबुल की ,न जाने ,अब किस गलियन

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पुस्तकालय

10 जुलाई 2024
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उम्र के इस पड़ाव पर ,इतने अनुभव हो गए हैं,हम स्वयं एक चलता-फिरता पुस्तकालय हो गए हैं। वो भी क्या दिन थे ? बटोरते थे, ज्ञान !दोस्तों संग मस्ती,विभिन्न शब्दों का भंडार ,अनुभवों की दुकान हो गये हैं।

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तेरी चाहत में

11 जुलाई 2024
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ऐसे सुहावने मौसम में ,लेती हूँ ,अंगड़ाई ,तेरी चाहत में , बूंदें ,ले करतल में ,भावविभोर हो उठी, तेरी चाहत में। शांत मन में ,इक ठंडी सी स्फुरण उठी ,तेरी चाहत में। सागर सी ज़िंदगी ,कुछ पल ठ

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आओ, कुछ नया सीख लें

17 जुलाई 2024
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आओ ,कुछ नया सीख लें !जीवन को, ज्ञान का प्रकाश दें। भाषा माध्यम है,एक -दूजे से जुड़ने का। और पल-पल आगे बढ़ने का। शब्दों की लहरों से जुड़ने का।उड़ती तितलियों सा छूने का। आओ ,कुछ

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तुम कुछ कहते, क्यों नहीं?

21 जुलाई 2024
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तुम कुछ कहते क्यों नहीं ?क्यों छुपा लेते हो ,वो दर्द !जो बरसों से......... तुम्हारे सीने में दफन है। क्यों, यह भार बढा रखा है ?क्यों ,छिपाना चाहते हो ?क्या कोई,खजाना बड़ा है। साथ क

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आओ, बच्चे बन जाते हैं।

21 जुलाई 2024
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उम्र के बंधनो को तोड़ ,जीवन की मुश्किलों को छोड़ !आज कुछ नया करते हैं। आओ ! बचपन जीते हैं। घरों की चाहरदीवारी से........ बाहर निकल ,भूली -बिसरी यादों........ और अर

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खोया बचपन

7 अगस्त 2024
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बचपन भोला था ,मासूम ,अनजान था। जो साथ खेला ,वही दोस्त !फिर चाहे ,दादी हों, या दादा ! न भविष्य, की चिंता ,न भूतकाल का ज्ञान !वर्तमान में जीता था। जो मन को अच्छा लगे ,वही दोस्त बन जाता था

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मेरी दादी

22 अगस्त 2024
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एक विस्तृत ,विशाल खुला,आकाश थी ,ममतामयी,बरसती प्रेम की फुहार थी। सहनशील प्रकृति की इक मिसाल थी। प्रसन्नचित्त उसका, वो पापा की माँ थी। विशाल आँचल फैलाये समेटती तमाम दर्द ,गरीबों के लिए

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मैं तुम्हारा हूँ

19 सितम्बर 2024
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रातों को सपने में,आ -आकर जागती हो,हौले से मुस्कुरा कानों में ,कुछ कह जाती हो। अपने रेशमी केशों को बिखरा,मुझे रिझाती हो। चंचल हिरनी सी तुम ,मेरी यादों में आतीं........ और एक खुशबू

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संकल्प

19 सितम्बर 2024
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संकल्प लिया,अपने आप से ,अब कभी न पियूंगा ,शराब ! जीवन को नर्क बना देती ,यह सेहत के लिए है ,खराब ! छोटा सा एक ''संकल्प ''था। सुधार उसके जीवन का था। 'संकल्प 'उसका दृढ़ न

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चिट्ठियाँ

30 नवम्बर 2024
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न जाने कब, कैसे लिखती होगी ?वह चिट्ठियाँ !माना कि मैं उससे दूर, कैसे सहती होगी दूरियां!डुबो देती होगी, वो अपनी कलम में, मजबूरियां!हृदय के भावों को सहेजती, लिखती होगी चिट्ठियां !इसका एक-एक मोती मेरे ल

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सहती होगी

30 नवम्बर 2024
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कितना कुछ ,सहती होगी ?बिन मेरे, उसकी सूनी रातें ! मेरे बिन ,उसके दिन उम्मीदें !नित नई आशाओं से भर्ती होगी।तकती होगी ,राह मेरी..... ,सोच मुझे ,शरमाती होगी।तब ,'चिट्ठियाँ 'लिखती होगी। व

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अच्छा लगता है!

3 दिसम्बर 2024
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घने कोहरे से छनती ,वो सर्दी की धूप , सिमटे ,सुकड़े अंगों में ,जीवन भरती , जैसे अंधियारे से निकला, कोई प्रकाश है।ऐसे में तेरा, क़रीब आना अच्छा लगता है। तेरा छत पर आ, सिकुड़ते हाथों क

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बोलती कलम

9 दिसम्बर 2024
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भाव मेरे ,लिखती हूं ,बोलती कलम है।बेपनाह दर्द औ इश्क़ में, डूबती कलम है।छनाक !से टूटे दिलों पर लेपती मरहम है। एहसासों को अंजाम तक पहुंचाती कलम है। मौन होकर भी, बहुत कुछ लिखती कलम

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