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किसी मां- बाप की बिटिया हूं

26 सितम्बर 2021

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मैं लड़की हूं ,किसी मां - बाप की बिटिया ,
दुनिया ने मुझे बहुत तरह से परिभाषित किया ।

सहती हूं, सुनती हूं समाज के ताने- बाने,

हर कोई दुखाता मेरा दिल जाने या अनजाने ।

मेरे लिए ,मेरे अधिकार के लिए लोगों ने बहुत कुछ किया,
हां, सच में बहुत कुछ किया
किसी ने अपनी कविताओं में मेरा महिमा गया
मुझे ईश्वर का वरदान बताया ,
मैं घर की खुशहाली हूं,पिता के आंगन की हरियाली हूं
मैं होठों की मुस्कान हूं, परिवार की मान- सम्मान हूं ।

किसी ने मेरे आंसू , दुःख- दर्द को गीतों में पिरोया ,

कहानियों में मेरे भावनाओं ,विचारो को संजोया।

किसी ने कटे पंख वाले पक्षी सा आसार हीन दिखाया

बिन पानी की तड़पती मछली सी लाचार बताया ।

मेरे लिए सड़कों पर प्रदर्शन कराया , नारा लगवाया ,

मेरे मुद्दों ने नेताओ को चुनाव जितवाया ।

लेकिन ,फिर भी हुआ क्या ?

मुझे न्याय और अधिकार  मिला क्या ?

मेरे लिए समाज का विचार बदला क्या?

किसी ने  दिल से मुझे  कभी भी समझा क्या ?

मैं आज भी कोख में मारी जाती हूं,नवजात हालत में फेंकी जाती हूं,

मैं आज भी घर से निकलने में डरती हूं, नज़रों की भाल से चुभती रहती हूं,

मैं आज भी खुद को को बोझ समझती हूं,दहेज की आग में रोज ही जलती हूं,

मैं आज भी वासना में नोचीं जाती हूं, सड़को के किनारे मरी हुई पाई जाती हूं

मैं आज भी लोगों की नजर में एक खिलौना हूं, हर रोज किसी कोठे में मोल लगाई जाती हूं ।

🙏🙏🙏🙏🙏

Jyoti

Jyoti

क्या बात

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Dinesh Dubey

Dinesh Dubey

बहुत सही कहा

7 दिसम्बर 2021

आलोक सिन्हा

आलोक सिन्हा

सराहनीय रचना | बहुत बहुत सुन्दर मार्मिक |

26 सितम्बर 2021

Pragya pandey

Pragya pandey

26 सितम्बर 2021

🙏🙏😊

Pragya pandey

Pragya pandey

Thank you 🙏

26 सितम्बर 2021

गीता भदौरिया

गीता भदौरिया

बहुत अच्छा लिखा आने आपने💐💐💐💐💐

26 सितम्बर 2021

26
रचनाएँ
कलरव की गूंज
5.0
यह पुस्तक प्रकृति और जीवन से सम्बन्धित कविताओं को प्रस्तुत करती है । प्रकृति के अनुपम सौंदर्य को और जिंदगी के अनुभवों को काव्य के रूप में प्रस्तुत किया गया है ।अगर आप प्रकृति - प्रेमी हैं और जीवन के संघर्षों को काव्य के रूप में पढ़ना चाहते है तो यह पुस्तक आपका हार्दिक स्वागत करती है । साथ - ही साथ यह पुस्तक आध्यात्म पर आधारित और मानव जीवन में रंग भरने वाले भावों - विचारों पर आधारित कविताओं का भी संकलन करती है । 🙏🙏🙏
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राधाकृष्ण : अलौकिक दिव्य प्रेम ( भाग - 1)

14 सितम्बर 2021
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किसी मां- बाप की बिटिया हूं

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<p>मैं लड़की हूं ,किसी मां - बाप की बिटिया ,<br> दुनिया ने मुझे बहुत तरह से परिभाषित किया ।</p> <p>स

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हर सिक्कें के होते दो पहलू

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<p><br></p> <p>नव नीरद औे' उनमें सोलह कला पूर्ण मयंक ,<br> <br> खेल रहे हैं आंख मिचौली यूं अम्बर के

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वर्षा के बादल

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24 अक्टूबर 2021
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<p><br></p> <p>"" मां के गोद से उतरकर ,तेरे आंचल में कदम रखकर चलना सीखा,</p> <p>चलते, गिरते ,उठते हु

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<p>जप में कृष्ण, तप में कृष्ण,कृष्ण हैं मन कर्म वचन में<br> <br> कृष्ण नाम का कुसुम खिला राधा के मन

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गोधूलि बेला

18 नवम्बर 2021
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<p><br></p> <p>गुलाबी, हरा, नारंगी, नीला कहीं लालिमा में समाया नभ<br> धरा के अपर छोर चमकने,अस्ताचल म

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<p>अरी, ओ कुसुम सुकुमारी,</p> <p>भाव,प्रेम,उत्साह ,उमंग<br> मौनता से भरती जीवन का रंग,<br> ईश चरण चू

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मन

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<p><br></p> <p><br> <strong>ऐ मन ! तू भी बड़ा अजीब है।</strong></p> <p><strong>कहीं तू है धनी धनाढ्य

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बावरा मन

29 नवम्बर 2021
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धूप - छाँव

29 नवम्बर 2021
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<p><br></p> <p>कहीं तपती धूप है कहीं है शीतल छाँव <br> <br> कहीं उमड़ता प्रेम सैलाब, कहीं है स्नेह अ

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हवा

1 दिसम्बर 2021
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<p><br></p> <p>ओ हवा, कहाँ जा रही बलखाती<br> <br> अहर्निश, अविरत, अश्रांत किधर भागती, <br> <br> चहकत

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कलम

3 दिसम्बर 2021
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<p>कलम उठती है तो लाती है विचारों की क्रांतिया <br> <br> कलम उठती है तो मिटाती है कुप्रथा और भ्रांत

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आने वाला कल

5 दिसम्बर 2021
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<p><br></p> <p>आने वाला कल जाने क्या लायेगा <br> निकलेगा चमकता सूरज या घनघोर घन छायेगा? <br> <br> चह

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प्रतिक्षा

7 दिसम्बर 2021
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<p>जीवन के पग - पग पर अग्निपरीक्षा होती है, <br> <br> हर गहन रात मे स्वर्णमयी सुबह की प्रतिक्षा होत

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उम्मीद

9 दिसम्बर 2021
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<p>उम्मीद की नई किरण, एक दिन नई रंग बनकर उदित होगी<br> मिट जाएगा ये तिमिर,जब दीप्ति बन स्फूटित होगी।

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कर्म - पथ

13 दिसम्बर 2021
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<p><br></p> <p>प्रज्ज्वलित अग्नि मे तपकर कुंदन सा निखर जाए</p> <p>मिटा यदि अस्तित्व तो जग मे चंदन सा

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नया वर्ष

14 दिसम्बर 2021
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देकर भावों के अनुभूतियों का स्पर्श विदा लिए जा रहा है एक और वर्ष । कुछ सपनों को पूरा किया ,कुछ ख्वाबो को रंगीन किया कुछ पल में दुःख दिए तो कुछ लम्हों को हसीन किया । खट्टी मिठ्ठी यादों से हमें भरा इसने

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विचारों का खेल

18 दिसम्बर 2021
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<p>मन - मस्तिष्क के अमिट पटल पर<br> उमड़ते विचारों के अनंत तरंग,<br> बदलते हैं पल - पल ये दिशा रंग<b

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