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राधाकृष्ण : अलौकिक दिव्य प्रेम ( भाग 3)

7 नवम्बर 2021

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Jyoti

Jyoti

👌

26 दिसम्बर 2021

Anita Singh

Anita Singh

सुन्दर और भाषा का उच्चकोटि का उपयोग आप से भलीभांति बनता है प्रज्ञा जी।

18 दिसम्बर 2021

रेखा रानी शर्मा

रेखा रानी शर्मा

अहा! कैसा सुखद आलाप है शब्दों का मधुर मिलाप है राधे कृष्ण के रंग में रंग कर बृज नारी का कुसुम कलाप है। जय जय श्री राधे कृष्ण 🙏🏻🌷🙏🏻

7 दिसम्बर 2021

Suman

Suman

बहुत बहुत सुंदर लिखा है

28 नवम्बर 2021

Sp

Sp

Jay shree krishna 🙏🙏👌👌

23 नवम्बर 2021

CHANDRA

CHANDRA

👏👏👏👌👌🧡🧡🧡

12 नवम्बर 2021

Nitya

Nitya

🙏🙏🙏👌👌👌👌❤️❤️

10 नवम्बर 2021

काव्या सोनी

काव्या सोनी

Bahut khubsurat Likha aapne

7 नवम्बर 2021

Pragya pandey

Pragya pandey

7 नवम्बर 2021

Thank you so much 🙏😊

26
रचनाएँ
कलरव की गूंज
5.0
यह पुस्तक प्रकृति और जीवन से सम्बन्धित कविताओं को प्रस्तुत करती है । प्रकृति के अनुपम सौंदर्य को और जिंदगी के अनुभवों को काव्य के रूप में प्रस्तुत किया गया है ।अगर आप प्रकृति - प्रेमी हैं और जीवन के संघर्षों को काव्य के रूप में पढ़ना चाहते है तो यह पुस्तक आपका हार्दिक स्वागत करती है । साथ - ही साथ यह पुस्तक आध्यात्म पर आधारित और मानव जीवन में रंग भरने वाले भावों - विचारों पर आधारित कविताओं का भी संकलन करती है । 🙏🙏🙏
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राधाकृष्ण : अलौकिक दिव्य प्रेम ( भाग - 1)

14 सितम्बर 2021
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<p>करके स्नान यमुना जल में ,पुजत शिव संग अर्धांगी<br> बन्द नयन ,बद्ध कोमल कर,विनती कर रही मधुरांगी<b

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किसी मां- बाप की बिटिया हूं

26 सितम्बर 2021
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<p>मैं लड़की हूं ,किसी मां - बाप की बिटिया ,<br> दुनिया ने मुझे बहुत तरह से परिभाषित किया ।</p> <p>स

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हर सिक्कें के होते दो पहलू

6 अक्टूबर 2021
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<p>अगर प्रेम है सर्दियों की गुनगुनी धूप से तो गर्मियों की तपती धूप से भी होना चाहिए</p> <p>अगर

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मां स्वीकार करना

7 अक्टूबर 2021
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9
2

<p>🙏🙏🙏🙏शुभ नवरात्री 🙏🙏🙏🙏</p> <p>हृदय को तेरा मंदिर बनाकर ,तेरी छवि बसाऊं</p> <p>मन को

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तुम किसकी हो प्रकृति

17 अक्टूबर 2021
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<p>तुम कौन हो, तुम किसकी हो सुकृति<br> <br> किसने संवारा तुम्हे,तुम किसकी हो प्रकृति।</p> <p>

6

शरद पूर्णिमा की रात्रि

20 अक्टूबर 2021
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<p><br></p> <p>नव नीरद औे' उनमें सोलह कला पूर्ण मयंक ,<br> <br> खेल रहे हैं आंख मिचौली यूं अम्बर के

7

वर्षा के बादल

21 अक्टूबर 2021
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<p><br></p> <p>झूम झूम गरज गरज कर रहे शोर <br> <br> अनंत अम्बर में फैले ना कोई ओर छोर <br> <br> बरस

8

संघर्ष कर

22 अक्टूबर 2021
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<p>क्यों लौटता है तू हारकर <br> स्वशक्ति का अपमान कर <br> इस नैराश्य का नाश कर<br> स्वशक्ति का उद्गा

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जीवन को हमने जीना सीखा

24 अक्टूबर 2021
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<p><br></p> <p>"" मां के गोद से उतरकर ,तेरे आंचल में कदम रखकर चलना सीखा,</p> <p>चलते, गिरते ,उठते हु

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राधाकृष्ण : दिव्य अलौकिक प्रेम (भाग 2)

29 अक्टूबर 2021
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<p>जप में कृष्ण, तप में कृष्ण,कृष्ण हैं मन कर्म वचन में<br> <br> कृष्ण नाम का कुसुम खिला राधा के मन

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राधाकृष्ण : अलौकिक दिव्य प्रेम ( भाग 3)

7 नवम्बर 2021
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9

<p>नवल नील रंग नभ आंचल टिमटिमाते,झिलमिलाते तारे असंख</p> <p>अश्विनी मास शरद पूनम अनन्त के अंक सजे मय

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ख्वाहिशें

10 नवम्बर 2021
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<p><br></p> <p>अवारपार जिम्मेदारियों के बीच <br> <br> ख्वाहिशों की छोटी सी तरंग <br> <br> दिल के किस

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लड़के क्यों इतना अजीब होते है

13 नवम्बर 2021
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<p>ये लड़के क्यों इतने अजीब हो जाते हैं</p> <p>सहानूभूति में क्यों गरीब हो जाते हैं</p> <p>ये लड़के

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गोधूलि बेला

18 नवम्बर 2021
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<p><br></p> <p>गुलाबी, हरा, नारंगी, नीला कहीं लालिमा में समाया नभ<br> धरा के अपर छोर चमकने,अस्ताचल म

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कुसुम सुकुमारी

19 नवम्बर 2021
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<p>अरी, ओ कुसुम सुकुमारी,</p> <p>भाव,प्रेम,उत्साह ,उमंग<br> मौनता से भरती जीवन का रंग,<br> ईश चरण चू

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मन

21 नवम्बर 2021
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7

<p><br></p> <p><br> <strong>ऐ मन ! तू भी बड़ा अजीब है।</strong></p> <p><strong>कहीं तू है धनी धनाढ्य

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बावरा मन

29 नवम्बर 2021
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<p><br></p> <p>बावरा मन अपने ही धुन मे रमता है <br> <br> मचलता है, बहकता है, बस अपना ही कहता है, <br

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धूप - छाँव

29 नवम्बर 2021
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8

<p><br></p> <p>कहीं तपती धूप है कहीं है शीतल छाँव <br> <br> कहीं उमड़ता प्रेम सैलाब, कहीं है स्नेह अ

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हवा

1 दिसम्बर 2021
9
9
8

<p><br></p> <p>ओ हवा, कहाँ जा रही बलखाती<br> <br> अहर्निश, अविरत, अश्रांत किधर भागती, <br> <br> चहकत

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कलम

3 दिसम्बर 2021
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<p>कलम उठती है तो लाती है विचारों की क्रांतिया <br> <br> कलम उठती है तो मिटाती है कुप्रथा और भ्रांत

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आने वाला कल

5 दिसम्बर 2021
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6

<p><br></p> <p>आने वाला कल जाने क्या लायेगा <br> निकलेगा चमकता सूरज या घनघोर घन छायेगा? <br> <br> चह

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प्रतिक्षा

7 दिसम्बर 2021
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<p>जीवन के पग - पग पर अग्निपरीक्षा होती है, <br> <br> हर गहन रात मे स्वर्णमयी सुबह की प्रतिक्षा होत

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उम्मीद

9 दिसम्बर 2021
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<p>उम्मीद की नई किरण, एक दिन नई रंग बनकर उदित होगी<br> मिट जाएगा ये तिमिर,जब दीप्ति बन स्फूटित होगी।

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कर्म - पथ

13 दिसम्बर 2021
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<p><br></p> <p>प्रज्ज्वलित अग्नि मे तपकर कुंदन सा निखर जाए</p> <p>मिटा यदि अस्तित्व तो जग मे चंदन सा

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नया वर्ष

14 दिसम्बर 2021
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देकर भावों के अनुभूतियों का स्पर्श विदा लिए जा रहा है एक और वर्ष । कुछ सपनों को पूरा किया ,कुछ ख्वाबो को रंगीन किया कुछ पल में दुःख दिए तो कुछ लम्हों को हसीन किया । खट्टी मिठ्ठी यादों से हमें भरा इसने

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विचारों का खेल

18 दिसम्बर 2021
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<p>मन - मस्तिष्क के अमिट पटल पर<br> उमड़ते विचारों के अनंत तरंग,<br> बदलते हैं पल - पल ये दिशा रंग<b

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