प्रिय कोरोना,
चार दिन के मेहमान, कहा ठहरे? तुमने तो जीना मुहाल कर दिया, कब छोड़ोगे हमारा साथ?दिल बेबस होकर पूछे ये सवाल। घरबंदी कर दी तुमने हमारी, दोस्तों से दूरियां बढ़ा दी, हमने तुम्हारा अत्याचार बढ़ता पाया, बाहर का खाना भी तुमने छुड़वाया। तेरे नाम का ख़ौफ़ दूर-दूर तक फैला, तेरे कारन रुक गई हैं सबकी ज़िंदगियाँ, व्