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कुछ अपने दर्द की भी कहानी लिखा करो

19 जनवरी 2020

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कुछ अपने दर्द की भी कहानी लिखा करो ,

यू ना ज़िन्दगी को त्याग का श्रंगार बनाया करो ।

तस्वीर न बदलती फैम बदलने से ,

खुद को उम्मीदो पर खड़ा होकर तो देखो ।

दो पल की ये ज़िन्दगानी ,

हँसते हँसते जी कर तो देखो ।

यू तो आँखे आशब्दिक तौर पर सबकुछ बयां कर देती,

खुद को खुद की प्रेरणा बनाकर तो देखो ।

दो घूँट ज़हर के अमृत लगे ,

अपना नज़रिया बदल कर के तो देखो ।

एक बार जरा पीछे मुड़कर तो देखो ।

ज़िन्दगी की रेस मे खुद को फैस करो खुद से ,

खुद से ज़रा दो कदम आगे बढ़ा कर तो देखो ,

अगर ज़िन्दगी ने घसीट दिया बीस कदम दूर तुम्हें ।

दूसरो को अपनी प्राणधारण की मुस्कुराहट बनाने की जगह ,

खुद को अपने चेहरे की हँसी बनते तो देखो ।

दो पल जरा रूक कर माँ को पानी का एक गिलास पीलाकर तो देखो ,

क्या फर्क पड़ेगा दो मिनिट जरा देर हो गई काम पे जाने मे तो ।

जिन्दगी से शिकायते मिटा कर तो देखो ,

बन जाएगी ज़िन्दगी एक सपना ।


- टिशा मेहता

( पंद्रह वर्ष की हिन्दी तथा अंग्रेजी की लेखिका )


Email id : teeshamehta30@gmail.com

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