बेजुबानों को बचाने की गजब साजिश चली , देखकर व्यापार मरघट को पसीना आ गया । देखते ही देखते तकनीक ऐसी आ गई , छेदकर नथुनों को हमको दूध पीना आ गया । हो गए हैं बन्द बूचड़खाने जो अवैध थे , वैध वाले हंस र
दर्द की ताकत दर्द करते रहो बरदाश्त जब तक हो तुमसे,एक दिन यही दर्द ताकत बन जायेगा।ज़ीस्त को करने दो मनमानी जितनी भी,एक दिन अहद तुम से दोस्ती कर जायेगा।नाज़ुक बनकर ना जीओ चलो कांटो पर,एक दिन इन्हीं क
यहूदियों के संहार कीदास्तान, फिलिस्तीन का बटवारा डॉ शोभा भारद्वाज मुस्लिम समाज का पवित्र महीना रमजान लेकिन फिलिस्तीनके कट्टरपंथी संगठन ( हमास को आतंकी संगठन मानते हैं लेकिन योरोपीय संगठन कीप्रमुख अदालत ने आतंकी संगठनों की सूची में हमास को रखने के फैसले को र
शकुन मिलता है।शाम सड़क में खड़ी काम से, हरी थकी औरत। निहारती अपने घर जाने वाली हरी लाल बस को।देख उसे वह भागती कि चढ़ जाऊंगी अपनी बस में।बस भी मजबूर, चढ़ाती वह भी गिनती की सवारी।जहाँ में फैली थी, कोरोना की बीमारी संग महामारी।चढ़ जाती जो वह औरत बस में एक शकुन सा पाती।ले गुलाबी टिकट हो उन्मुक्त सफर में अपनी
दिल का ये दर्द हमने सबको सुना दियाइस मरे से मन को जीवन बना लियारस्ते के काँटें अब तो राहों को बंद करेंकदमों के होंसलों ने गुलिस्ताँ खिला दियातानों की आँच पाकर जीवन झुलस रहामरहम वो फैसले का खुद पर लगा लियाआँखों में जन्म लेते सपने बहार केबह जाए न ये सपने आँसू सुखा लियापत्थर को पूजने से देवता वो बन गया
दिल में उनके भी दर्द तो हुआ होगा, बिछड़ने का जब फ़ैसला लिया होगा. मज़बूरी रही होगी शायद उनकी कोई, ज़हर ग़म का उसने भी पीया होगा. (आलिम)
कुछ अपने दर्द की भी कहानी लिखा करो , यू ना ज़िन्दगी को त्याग का श्रंगार बनाया करो । तस्वीर न बदलती फैम बदलने से ,खुद को उम्मीदो पर खड़ा होकर तो देखो । दो पल की ये ज़िन्दगानी ,हँसते हँसते जी कर तो देखो । यू तो आँखे आशब्दिक तौर पर सबकुछ बयां कर देती,खुद को खुद की प्रेर
आसमां वाले को जो सुनाया हाल-ए-दर्द अपना, ज़मीं पर ज़िन्दगी कुछ और मुश्किल हो गई. शायद दर्द में कुछ कमी नज़र आई उसको, अब तो बेहाल यूँ अपनी ज़िंदगी हो गई .बताया उसको था उन बिन ना मैं जी सकूंगा, उसके बाद वो हमसे और भी दूर हो गई, (आ
दर्द तो उनको होगा जिन्हे एहसास होता है, जिन्हे एहसास ना हो उन्हें दर्द कहाँ होगा. (आलिम)
कमर दर्द के मुख्यकारण और कुछ बेहतर घरेलु उपाय कमर दर्द की यह समस्या आजकल आम हो गई है। सिर्फ बड़ी उम्र के लोग ही नहीं बल्कि युवा भी कमर दर्द की शिकायत करते रहते हैं। कमर दर्द की मुख्य वजह बेतरतीब जीवनशैली और शारीरिक श्रम न करना है। कमर दर्द शारीरिक समस्याओं में काफी गंभीर विषय है, क्योंकि इसके चलते आ
Third party image referenceबढती उम्र में व्यक्ति की काम करने की छमता कम हो जाती है, और व्यक्ति कमजोर भी होने लगता है, उसका डाइजेशन भी कमजोर होने लगता है । जब व्यक्ति की 30 वर्ष की उम्र को पार कर लेता है, तो व्यक्ति के शारीर में कैल्शियम को पूरी तरह से अवशोषण करने की क
मैं किसी के दर्द की क्या कहूं मैं अपने ही दर्द से बेहाल हूँ. मैं गुलाम था हुक्मे ईमान का, मुहब्बत से तेरी मैं मफ़्क़ूद था. जब जाना मैंने तेरी ख़ुदाई को, मैं खुद से भी शर्मसार हूँ.ईमान मज़हब ने यूँ बहका दिया, मैं इंसानियत का गुनहगार हूँ. गर इश्क करना कोई
यह बात तमाचे कि नहीं जो बापू सा अहिंसावाद रहें वो खून की होली खेल रहें और हम निराशावाद रहें उतर के देखो सियासत से कभी उस घर में कितनी मातम है वो दर्द रूह को छलनी कर दे वो जख्म सालों बाद रहे क्यों मौन साधे यूं बैठे हो फिर तांडव का आगाज करो उन्होंने 40 मारे हैं तुम 400 का शिकार करो नदियां बहा दो खून क
सूचना - जो समझने के लिये वयस्क हैं, पुराने दर्द से छुटकारा चाहते हैं, केवल उन्हीं के लिये। *सीने में दर्द*कहने वाले कहते हैं, सीने में दर्द छिपा है;पर, यह नहीं कहते, स्वयं ही भर कर रखा है, क्यों ??सीने में इतना दर्द संभाल के र
तू ना उम्र की यूँ बात कर, ये जवानी तेरी है बचपना. जिसे इश्क की ना खबर हो, उसे क्या दिखे दिले दर्द मिरा. (आलिम)
दर्द उनको भी है , दर्द हमको भी है बिछड़ने का, दर्द उनका है कोई साथी ना मिला, हमको दर्द है कोई साथी ना रहा.वो तड़पते है साथी के लिए हम तो मरते है क्यूँ साथ तेरा ना रहा. दर्द सबको है अपना-अपना, वज़ह भी सबकी है अपनी-अपनी. (आलिम)