उल्लुओं के कुछ पट्ठों ने मुल्क का मिजाज़ बिगाड़ दिया
हिन्द में रहते हैं हिन्द का खाते हैं
हिन्द का पहनते हैं हिन्द का लुटाते हैं
जब चाहा भौंक लिए जब चाहा दहाड़ दिया
उल्लुओं के कुछ पट्ठों ने मुल्क का मिजाज़ बिगाड़ दिया
सांस भारत में लेते हैं बिजली भारत की जलाते हैं
बिरयानी दिल्ली की खाते हैं खुजली पाकिस्तान से मिटाते हैं
शैतानों ने इंसानियत को जड़ से उखाड़ दिया
कुछ दाढ़ीयां हिलाते हैं कुछ त्रिशूल चमकाते हैं
आपस में गुर्रा कर एक दुसरे की दुकान चलाते हैं
टी वी चैनलों की टी आर पी दौड़ ने मुल्क को पछाड़ दिया
उल्लुओं के कुछ पट्ठों ने मुल्क का मिजाज़ बिगाड़ दिया
दरया दिल संग हो गए , कोमल दिल कठोर हो गए
किस किस से करें शिकवा, पहरेदार ही चोर हो गए
स्विस बैंकों में काला धन है , निर्धन को उजाड़ दिया
उल्लुओं के कुछ पट्ठों ने मुल्क का मिजाज़ बिगाड़ दिया