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कुदरत का कानून .पार्ट6

5 दिसम्बर 2024

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समर का मोबाइल खड़खड़ा उठा।


ह्म्म्म,,,समर सामने वाले बन्दे से कुछ बात कर रहा था अच्चानक फिर मौसम भयावह हो गया----रात और अंधीयारी हो गयी----फिर तेज़ बारिश पड़ने लगी----कमरे की खिड़कियों के पल्ले जोर जोर से हिलने लगे।


समर का फोन अच्चानक बन्द हो गया----शायद बेटरी डाउन हो गयी थी।

अरे,,,ये एकदम मौसम कैसे खराब हो गया--???अभी तो सब कितना शांत था---समर खड़ खड़ करती खिड़कियों के दरवाज़े बन्द करते हुए बोला।


तभी नज़र बहुत दूर सड़क की तरफ गयी---अरे,,,वाहं तो दिन सा निकल रहा है---पर ये कैसे,,,हमारी तरफ तो कितना अंधेरा है----अब समर भी हैरान हो गया था---एक बार फिर घड़ी की तरफ देखा----अभी साढ़े बारह ही बजे थे।


अच्चानक घर का इकलौता लैंड लाइन बज उठा।

लैंड लाइन पर फोन..!!!!!-----समर बेहद हैरान हो फोन की तरफ बड़ा---आज के समय में जब सबके पास अपने फोन होते हैं---घर के बेसिक फोन की घण्टी किसी अजूबे से कम नही लगती---समर ने जाकर फोन उठाया।


हेलो,,,समर..!!!!-----दूसरी तरफ एक लड़की की आवाज़ आयीं।


तुम,,,बाद में बात करता हूँ----समर सामने की तरफ देखते हुआ बोला---जहां से निक्की गुलाबी रंग का स्लीवलेस नेट का गाउन पहने चली आ रही थी।


अरे यार सुनो,,,,ठीक दो घण्टे बाद यानी 8 बजे याद है न--!!!!---टाइम से पहुंच जाना----उधरसे आवाज़ आयीं।


आर यू क्रैक,,,,अभी आधी रात हो रही है---दो घण्टे बाद आठ कैसे बज जाएंगे---बाहर खिड़की से बरसती भयंकर बूंदों को देखते हुए वो बोला।


अभी तक उतरी नही है क्या..??----खुशी अकेले ही मना डाली---अब छह बजने वाले हैं----उधर से फिर आवाज़ आयीं।


हेलो....हेलो....तेज़ बोलो----आवाज़ नही आ रही-----बारिश की वजह से शायद फोन डेड हो गया था।


समर,,,,किसका फोन था----निक्की उसके गले में बाहें डालते हुए बोली।


निक्की....तुम..???----तुम कह रही थी कि दो बज रहे हैं----घड़ी देखते हुए समर बोला----अभी भी उसके कान में फोन वाली आवाज़ गूंज रही थी।


मुझे गलतफहमी हो गयी थी----अभी रात ही है----निक्की ने अपना हाथ समर के कंधे पर रखा---समर चौंक कर पीछे हो गया---इस समय निक्की के हाथ बहुत ठंडे थे---बिल्कुल बर्फ..!!!!


निकी...तुम्हारे हाथ...अपने कंधे और फिर चेहरे से  उसके हाथ हटाते हुए समर घबरा कर बोला।


समर,,,,आई नो,,,,तुम गुस्सा हो----पर आई एम सॉरी,,,,,बेहद मदहोशी से निक्की बोली---एक बार को तो ऐसा लगा समर को की उसकी आवाज़ शायद कहीं दूर किसी खाली गहरे कुएं से आ रही हो।


नही निक्की,,,तुम बैठो---तुम्हारे हाथ की चोट----तुम बोल रही थीं न------समर थोड़ा दूर होते हुए बोला।


जान,,,,कोई चोट नही थी---देखना चाह रही थी कि कितना प्यार करते हो---उसके गले में बाहें डालते हुए वो बोली।


अच्चानक समर को ऐसा लगा कि निक्की के हाथ बेहद भारी हो गए हैं---और उसकी आँखों में एक अज़ीब सी चमक थी।


बाहर बारिश तो अपने पूरे शबाब पर थी।----इधर निक्की समर के और करीब आ गयी थी।


जान,,,,बहुत याद आ रही थी तुम्हारी----बस कैसे भी कर के तुम्हारे पास आना था----निक्की अब अपने पर काबू नही रख पा रही थी--जंगल की यादें तो जाने कब की उसके दिमाग से निकल चुकी थीं।


तभी कमालः हुआ---लैंड लाइन फिर बज उठा।

इन सरकारी चीजों का भी भरोसा नही है---समर जल्दी से उठता है और फोन उठाता है।


समर,,,घर से निकले या नही---साढ़े छह बजे गए---उधर से फिर कोई आवाज़ आयीं।


फोन रख दो----अपनी पर पड़ती निक्की की मदहोश नज़रों को देख समर उसकी तरफ देख मुस्कुराते हुए देखता है।


इतनी रात को किसका फोन था..????----निक्की उसके करीब आयीं।


नही,,,रॉंग नम्बर था---जल्दी से समर बोला।


ह्म्म्म,,हैप्पी एनीवर्सरी हब्बी--!!!!----निक्की अपने होठ उसके गालों पर रख देती है।

समर जो अब तक मुस्कुरा रहा था---एकदम सिहर जाता है---आज निक्की बहुत अज़ीब सा व्यवहार कर रही थी----एक तो कभी वो अपनी तरफ से कोई कदम नही बढ़ाती थी--/और आज उसकी छुअन बहुत अलग थी----समर रह रह कांप रहा था आज उसके हर स्पर्श से।


मेरा वहम है----समर ने सिर झटका----और निक्की की तरफ देखने लगा जो बेहद मासूमियत से उसकी तरफ देख रही थी।


समर,,,,पहले कॉफी पीते हैं न----मुझे बहुत ठंड लग रही है---इतनी भयंकर बारिश हो रही है----ऐसा लग रहा है कि सब कुछ बहा कर ले जाएगी ये----कांपते हुए निक्की बोली।


समर को अपनी बेवकूफी पर हंसी आयीं---मैं सोच रहा था कि उसका हाथ ठंडा  और अज़ीब लग  रहा है---अब उसे ठंड लग रही है तो ठंडा तो होगा ही।


निक्की,,,चलो पहले जल्दी से केक काटकर शैम्पेन खोलते हैं----कॉफी मेरे होते क्या जरूरत है..???---और एक आंख विंक कर देता है।


निक्की शर्मा जाती है।


*******

क्रमश------


धन्यवाद--शिल्पी गुप्ता ✍✍🙏🙏



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