समर का मोबाइल खड़खड़ा उठा।
ह्म्म्म,,,समर सामने वाले बन्दे से कुछ बात कर रहा था अच्चानक फिर मौसम भयावह हो गया----रात और अंधीयारी हो गयी----फिर तेज़ बारिश पड़ने लगी----कमरे की खिड़कियों के पल्ले जोर जोर से हिलने लगे।
समर का फोन अच्चानक बन्द हो गया----शायद बेटरी डाउन हो गयी थी।
अरे,,,ये एकदम मौसम कैसे खराब हो गया--???अभी तो सब कितना शांत था---समर खड़ खड़ करती खिड़कियों के दरवाज़े बन्द करते हुए बोला।
तभी नज़र बहुत दूर सड़क की तरफ गयी---अरे,,,वाहं तो दिन सा निकल रहा है---पर ये कैसे,,,हमारी तरफ तो कितना अंधेरा है----अब समर भी हैरान हो गया था---एक बार फिर घड़ी की तरफ देखा----अभी साढ़े बारह ही बजे थे।
अच्चानक घर का इकलौता लैंड लाइन बज उठा।
लैंड लाइन पर फोन..!!!!!-----समर बेहद हैरान हो फोन की तरफ बड़ा---आज के समय में जब सबके पास अपने फोन होते हैं---घर के बेसिक फोन की घण्टी किसी अजूबे से कम नही लगती---समर ने जाकर फोन उठाया।
हेलो,,,समर..!!!!-----दूसरी तरफ एक लड़की की आवाज़ आयीं।
तुम,,,बाद में बात करता हूँ----समर सामने की तरफ देखते हुआ बोला---जहां से निक्की गुलाबी रंग का स्लीवलेस नेट का गाउन पहने चली आ रही थी।
अरे यार सुनो,,,,ठीक दो घण्टे बाद यानी 8 बजे याद है न--!!!!---टाइम से पहुंच जाना----उधरसे आवाज़ आयीं।
आर यू क्रैक,,,,अभी आधी रात हो रही है---दो घण्टे बाद आठ कैसे बज जाएंगे---बाहर खिड़की से बरसती भयंकर बूंदों को देखते हुए वो बोला।
अभी तक उतरी नही है क्या..??----खुशी अकेले ही मना डाली---अब छह बजने वाले हैं----उधर से फिर आवाज़ आयीं।
हेलो....हेलो....तेज़ बोलो----आवाज़ नही आ रही-----बारिश की वजह से शायद फोन डेड हो गया था।
समर,,,,किसका फोन था----निक्की उसके गले में बाहें डालते हुए बोली।
निक्की....तुम..???----तुम कह रही थी कि दो बज रहे हैं----घड़ी देखते हुए समर बोला----अभी भी उसके कान में फोन वाली आवाज़ गूंज रही थी।
मुझे गलतफहमी हो गयी थी----अभी रात ही है----निक्की ने अपना हाथ समर के कंधे पर रखा---समर चौंक कर पीछे हो गया---इस समय निक्की के हाथ बहुत ठंडे थे---बिल्कुल बर्फ..!!!!
निकी...तुम्हारे हाथ...अपने कंधे और फिर चेहरे से उसके हाथ हटाते हुए समर घबरा कर बोला।
समर,,,,आई नो,,,,तुम गुस्सा हो----पर आई एम सॉरी,,,,,बेहद मदहोशी से निक्की बोली---एक बार को तो ऐसा लगा समर को की उसकी आवाज़ शायद कहीं दूर किसी खाली गहरे कुएं से आ रही हो।
नही निक्की,,,तुम बैठो---तुम्हारे हाथ की चोट----तुम बोल रही थीं न------समर थोड़ा दूर होते हुए बोला।
जान,,,,कोई चोट नही थी---देखना चाह रही थी कि कितना प्यार करते हो---उसके गले में बाहें डालते हुए वो बोली।
अच्चानक समर को ऐसा लगा कि निक्की के हाथ बेहद भारी हो गए हैं---और उसकी आँखों में एक अज़ीब सी चमक थी।
बाहर बारिश तो अपने पूरे शबाब पर थी।----इधर निक्की समर के और करीब आ गयी थी।
जान,,,,बहुत याद आ रही थी तुम्हारी----बस कैसे भी कर के तुम्हारे पास आना था----निक्की अब अपने पर काबू नही रख पा रही थी--जंगल की यादें तो जाने कब की उसके दिमाग से निकल चुकी थीं।
तभी कमालः हुआ---लैंड लाइन फिर बज उठा।
इन सरकारी चीजों का भी भरोसा नही है---समर जल्दी से उठता है और फोन उठाता है।
समर,,,घर से निकले या नही---साढ़े छह बजे गए---उधर से फिर कोई आवाज़ आयीं।
फोन रख दो----अपनी पर पड़ती निक्की की मदहोश नज़रों को देख समर उसकी तरफ देख मुस्कुराते हुए देखता है।
इतनी रात को किसका फोन था..????----निक्की उसके करीब आयीं।
नही,,,रॉंग नम्बर था---जल्दी से समर बोला।
ह्म्म्म,,हैप्पी एनीवर्सरी हब्बी--!!!!----निक्की अपने होठ उसके गालों पर रख देती है।
समर जो अब तक मुस्कुरा रहा था---एकदम सिहर जाता है---आज निक्की बहुत अज़ीब सा व्यवहार कर रही थी----एक तो कभी वो अपनी तरफ से कोई कदम नही बढ़ाती थी--/और आज उसकी छुअन बहुत अलग थी----समर रह रह कांप रहा था आज उसके हर स्पर्श से।
मेरा वहम है----समर ने सिर झटका----और निक्की की तरफ देखने लगा जो बेहद मासूमियत से उसकी तरफ देख रही थी।
समर,,,,पहले कॉफी पीते हैं न----मुझे बहुत ठंड लग रही है---इतनी भयंकर बारिश हो रही है----ऐसा लग रहा है कि सब कुछ बहा कर ले जाएगी ये----कांपते हुए निक्की बोली।
समर को अपनी बेवकूफी पर हंसी आयीं---मैं सोच रहा था कि उसका हाथ ठंडा और अज़ीब लग रहा है---अब उसे ठंड लग रही है तो ठंडा तो होगा ही।
निक्की,,,चलो पहले जल्दी से केक काटकर शैम्पेन खोलते हैं----कॉफी मेरे होते क्या जरूरत है..???---और एक आंख विंक कर देता है।
निक्की शर्मा जाती है।
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क्रमश------
धन्यवाद--शिल्पी गुप्ता ✍✍🙏🙏