पिछले अंक में आपने पढ़ा कि समर और शिजा ने किसी से सामान मंगवाया था;---वो सामान तो देकर नहीं गया---पर फिर ये सामान---!!!!???----दोनो हैरानी से एक दूसरे की शक्ल देख रहे थे।
अब आगे----
ये सामान,,,,,,समर और शिजा के चेहरे पर पसीना दौड़ने लगा था----समर ने बिल देखा----बिल देखते ही उसकी आँखों के आगे अंधेरा छा गया।
गिर ही जाता अगर शिजा सम्भाल न लेती----क्या हुआ,,,,,राकेश के मज़ाक के लिए तो उसे छोडूंगी नहीं----जल्दी से उसके हाथ से बिल छीन लिया शिजा ने----पर,,,,,वो तो खाली कागज़ का टुकड़ा था----शिजा ने जल्दी से पलट कर देखा----दोनो तरफ कोरा कागज़ के टुकड़ा..!!!!
बिल,,,,,बिल कहां है..????-----शिजा चीख पड़ी।
मुझे खुद समझ नही आ रहा कि ये क्या हो रहा है..???----अच्छे से ध्यान है कि वो पीली टी शर्ट पहने आदमी था----उसकी टोपी पर बड़े बड़े अक्षरों में लिखा था----"""राकेश बेकर्स"""----उसने मुझे फूलों का बुके भी दिया था----जल्दी से राकेश भाग कर मेज़ पर आया----पर वो तो बिल्कुल खाली थी।
ये,,,,,ये सब क्याहो रहा है-----समर अपने माथे को रगड़ते हुए बोला----अब उसे बहुत डर लग रहा था।
तुम,,,,तुम मुझ से चीटिंग तो नही कर रहे----शिजा की आंखे खुन्खार हो गई थीं।
पागल हो,,,,,,जानती हो न कितना प्यार करता हूं तुम्हे---मुह बनाकर वो बोला।
अचानक शिजा को घबराहट होने लगी----उसका हाथ अपने गले पर चला गया----ऐसा लगा की दम घुट रहा है उसका---माथे पर पसीने ने जगह बना ली----शरीर कांपने लगा।
शिजा,,,,तुम ठीक हो--???----तुम---तुम ऐसे कांप क्यों रही हो--???----तबियत,,,,तबियत ठीक है न----समर उसकी हालत देख घबरा गया---और जल्दी से उसका माथा छूने लगा।
वो बस कुछ देर की मेहमान है----एक बर्फीली आवाज आयी----पर उस आवाज के साथ साथ पूरे घर में धुंध छा गई----एक अजीब सी महक फैल गई----पंखे अपने आप हिलने लगे---बल्ब जलने बुझने लगे---खिडकी के दरवाजे जोर जोर से बजने लगे।
कौन,,,,,,कौन,,,,,,कौन बोल रहा है--???----समर घबरा कर आवाज की दिशा में देखने की कोशिश करने लगा---पर अभी सब तरफ धुआं फैला था।
निक्की,,,,,वो होश में तो नही आ गई----पसीना पोंछ्ते हुए समर ने बैडरूम की तरफ झाँका---पर निक्की तो अभी तक बेहोश थी।
समर,,,,,शिजा बेहोश होने लगी थी--की उसकी आवाज से समर का ध्यान नीचे गिरती शिजा पर गया---जल्दी से उसने बाहों में लिया उसे और गाल थपथपाने लगा---तुम्हे,,,,तुम्हे कुछ नही होगा----कुछ नहीं होने दूँगा मैं।
तभी एक भयानक अट्टहास गुन्ज्ता है।
इसके लिये इतना प्यार----और वो----वो तो तेरी पत्नी है----अग्नी को साक्षी मानकर सात फेरे लिये हैं तूने उसके साथ----और वो धुआं धीरे धीरे आकार लेने लगा।
तुम,,,,कौन हो----??---और क्या बकवास कर रहे हो--??----समर की एक नज़र सामने धुएं पर थी---और एक नज़र शिजा की उख्द्ती सांसों पर।
कुछ नही होगा उसे----दूँगा एक मौका उसे बचने का----अब वो धुआं एक लडके में बदल चुका था।
अंकित,,,,,,अंकित श्रीवास्तव,,,,,,सामने खडे शख्स को देख समर के चेहरे की हवाई उड़ने लगी थीं।
हा---हा--हा----याद आ गया----तूने मुझे पिकनिक पर धोखे से नदी में धक्का दे दिया था----तब से ही मेरी आत्मा भटक रही थी----और हाँ,,,,,,ये केक और शेम्पेन मैने ही भेजा था----और जहर निक्की के केक में नही,,,इस शेम्पेन में था----और वो जोर से हंसने लगा ।
बचा सकता है तो बचा ले अपने को भी और अपनी शिजा को भी----और वो एक बार फिर घड़ी की तरफ देखता है----अचानक कमाल होता है----जिस घड़ी में अभी तक रात के दो बज रहे थे----अचानक वो सुबह के सात दिखाने लगी----पर हाँ,,,,बारिश अभी अभी भी अपने शबाब पर थी।
आधा घन्टा है तेरे पास----और अंकित श्रीवास्तव की आंखे लाल होने लगती हैं---चेहरे पर अचानक कठोरता झलकने लगती है।
समर एक दम घबरा जाता है----चारों और देखता है---साइड टेबल पर निक्की की गाड़ी की चाभी रखी थी----आव देखा न ताव-----वो चाभी लेती है---और बाहर की तरफ शिजा को बाहों में उठा कर भागता है।
अंकित श्रीवास्तव जिसकी आत्मा अभी तक बहुत गुस्से में थी---उन दोनो के जाते ही अचानक सौम्य हो गई----निक्की के पास गई और उसके माथे पर एक हाथ फेरा।
निक्की जो अभी तक गहरी नीन्द में थी---एक अन्ग्डाई लेकर उठी----और हैरानी से सोचने लगी की अभी अभी उसने क्या सपना देखा था।
इधर समर को अब अपनी और शिजा की तबियत की चिन्ता हो रही थी और वो तेजी से गाड़ी चला रहा था।
क्रमशः....
खूब सारे कमेन्ट्स,,स्टिकर्स ऐण्ड फोल्लौवर्स🙂
धन्यवाद--शिल्पी गुप्ता 🙏🙏✍️✍️