पर तुम तो,,,,कुछ कहते कहते निकिता रुक गई----दर्सल कॉलेज के समय अंकित निकी को बेहद प्यार करता था।
उसकी दीवानगी के किस्से मशहूर थे।
पर जब समर और निकी की मुलाकात हुई---अंकित कहीं चला गया था---उसके बाद कितने दिनों तक उसकी कोई खबर नहीं आयी----और आज अचानक वो सामने आया था।
अंकित श्रीवास्तव,,,तुम अच्चानक यहां----निकिता बेशक पूछ रही थी---पर अभी भी उसे अपनी हालत देख बहुत अज़ीब लग रहा था।
थोड़ा थोड़ा ठंड से कांपने भी लगी थी।
ठंड लग रही है----बिना उसकी तरफ देखे अंकित श्रीवास्तव ने धीमे से पूछा----एक बार को तो निक्की उसकी आवाज़ सुन घबरा गई---और अपने आगे चल रहे अंकित को देखने लगी---जिसकी पीठ उसकी तरफ थी;----एक बार को तो निक्की को ऐसा लगा कि आवाज़ कहीं दूर बहुत दूर किसी खाली कुएं के धरातल से आ रही हो।
अच्चानक उंसने गौर किया कि चारों और बारिश हो रही है---पर उनके ऊपर एक बूंद भी नहीं गिर रही।
आज भी जवाब देने की आदत नही है-- अंकित श्रीवास्तव की सर्द आवाज़ से हल्का सा दर्द छलका।
हम्मम्म,,,लग रही है ठंड----महीन आवाज़ में निक्की बोली---पिछले कुछ घण्टे वो जिस मानसिक हालात से गुजरी थी---अब उसकी आवाज़ में थकान महसूस होने लगी थी।
यहाँ पास में एक गेस्ट हाउस है---देखता हूँ वाहं कुछ मिल जाये---तुम यहीं रुको----सामने कुछ दूर पर एक टिम टिमाती रोशनी नज़र आ रही थी।
पर अकेले----निक्की अब बहुत ज्यादा घबरा गई थी।
कुछ नही होगा----जब तक निक्की कोई जवाब देती--अंकित श्रीवास्तव जा चुका था---एक पल के लिए गहरी सांस ले निक्की ने अपनी बन्द आंख खोली तो सामने वो एक शाल के साथ खड़ा था।
बस ,,ये ही मिल पाया है----उसकी तरफ शाल करते हुए अंकित बोला।
निक्की ने शाल हाथ में लिया---वो कोई साधारण सा शाल नहीं लग रहा था---हल्की रोशनी में भी हाथ में लेते ही उसके मुलायम होने का अहसास हो गया---उस पर बेहद बारीक कढ़ाई की हुई थी----इसकी बनावट उंगलियों से ही महसूस हो रही थी।
मंत्रमुग्ध सी निक्की ने जैसे ही शाल ओढ़ा----एकदम ठंड जैसे शाल की छुअन से ही गायब हो गयी---और कपड़े जो अभी तक गीले थे---और उसे अटपटा लग रहा था---मानो किसी ने उन्हें फुली ऑटोमैटिक वाशिंग मशीन में डाल कर सुखा दिया हो।
खंडहर जंगल के काफी अंदर था---निक्की की गाड़ी तो बाहर सड़क पर ही खड़ी थी----चलते चलते बहुत देर हो गयी--थी---हाथ को हाथ नही सूझ रहा था---अब जाने क्यों अंकित के साथ रहने से न तो निक्की को जंगल से गाहे बगाहे आती जंगली जानवरों की आवाज़ से डर लग रहा था---और न ही सुनसान रास्ते या किसी गुंडे बदमाश के मिलने का भय था।
अंकित कॉलेज के फाइनल ईयर से पहले ही कहाँ चले गए थे तुम---तुमने तो ग्रेजुएशन भी पूरा नही किया था...और आजकल कहाँ हो..???----और यहां अच्चानक...???----तुम पिकनिक पर कुछ कहने वाले थे.....????----निकी अब काफी रिलैक्स हो गयी थी----तो कुछ देर के लिए न उसका दिमाग समर की तरफ था---और न अभी थोड़ी देर पहले हुए वाकये की तरफ।
बस मजबूर हो गया कि सब छोड़कर जाना पड़ा---तुम्हारी चीख सुनी तो यहां आ गया----तुम्हारी गाड़ी...!!!!!-----उसकी गाड़ी की तरफ इशारा करते हुए अंकित श्रीवास्तव की गहरी आवाज़ आयीं।
पर यहां,,,,,मेरी गाड़ी तो सड़क पर खराब हुई थी----और ये तो अच्चानक बन्द पड़ गयी थी---अभी आस पास तो कोई मेकेनिक भी नही मिलेगा---रात के दो बजने को आये---क्या करूँ---????----समर भी बहुत परेशान हो रहा होगा----एक बार फिर एनिवर्सरी--घर--समर --सब की यादें उस पर हावी होने लगीं।
गाड़ी ठीक है---मैंने अभी अभी देखी थी----अंकित की भारी आवाज़ आयीं।
पर कब...????----तुम तो यहीं मेरे सामने खड़े हो कब से..????----एक बार को अब जाकर निक्की की आंखों में उसकी बात सुन घबराहट नज़र आई।
तुम आज तक वैसी ही हो...बुद्धू....थोड़ा मुस्कुराते हुए अंकित बोला----कॉलेज में अक्सर खो जाती थीं---चाहे सामने वाला तुम्हारे बैग से सामान चुराकर ले जाये----याद है एक बार तुम्हारे बैग से तुम्हारे सामने ही ज्योति ने टिफिन निकाल लिया था----और तुम सामने किसी को देख कर खोई हुई थीं।
निकी को हंसी आ गयी----तुम्हे याद है अभी तक,,,मैं समर को देख रही थी----पता है अंकित,,,समर हमारा जूनियर----बाद में मशहूर मॉडल बन गया---और...!!!!!
और अब तुम्हारा पति है.....अंकित ने बात पूरी की।
हाआं,,,,,,पर तुम्हे कैसे पता...!!!!!????-----निक्की हैरान होकर बोली।
देश की मशहूर ब्रांड NK के बारे में कौन नही जानता..????----NK के मालिक की हर खबर सुर्खी बन जाती है-----उसकी गाड़ी का दरवाज़ा खोलते हुए अंकित बोला।
थैंक यू,,,मेरी मदद करने के लिए-----अगर आज मेरी मदद के लिए तुम नही आते----तो पता नही क्या होता..????--निक्की की आवाज़ भर गई थी।
मुझे तो आना ही था----अंकित दरवाज़ा बन्द करते हुए बोला।
तुम यहाँ जंगल में क्या करोगे..???----मैं ड्राप कर दूँगी---या रात को मेरे घर रुक जाना----भयावह जंगल को द्वखते हुए वो बोली---पर अब बारिश बिल्कुल थम चुकी थी--- ऐसा लग रहा था कि घटा जैसे कभी थी ही नही------रात के दो बज रहे थे---पर अब जंगल शांत था----डर भी जैसे गायब सा हो गया था।
तुम चलो----मेरा घर यहीं पास है----अंकित हल्का सा मुस्कुराया।
तुम्हारा कॉन्टैक्ट नम्बर----चाभी इग्निशन होल में डालते हुए निक्की बोली।
जब तुम्हे जरूरत होगी---मैं आ जाऊंगा----आराम से जाना----बाय,,,,जल्दी ही मिलेंगे----कह अंकित श्रीवास्तव हाथ हिलाता है।
निक्की भी बाय कर गाड़ी स्टार्ट करती है---गाड़ी वाकई ठीक हो चुकी थी---अंकित के देखते देखते निक्की की गाड़ी नज़र से ओझल हो जाती है।
*******
पहली बार प्रयास किया है -कुछ अलग सा लिखने का---तो प्लीज कमेंट्स करके जरूर बताइये ,,,कैसा लगा ये प्रयास,,,,,
धन्यवाद--शिल्पी गुप्ता 🙏🙏✍️✍️