shabd-logo

कुदरत के कानून..पार्ट 2

5 दिसम्बर 2024

3 बार देखा गया 3

अंधेरा घना हो चला था---हाथ को हाथ नही सूझ रहा था----किसी तरह से कीचड़ से सनी सड़कों पर चलते हुए वो  रास्ता टटोलते हुए  चलने लगी।

कुछ आगे चलने पर एक खंडहर दिखाई दिया।

हे महादेव,,,,ये तो...बाहर का रास्ता नही है----लगता है मैं जंगल के अंदर आ गयी----घबराहट की वजह से उसके माथे पर पसीना चूने लगा।

इतना तो कड़कती बिजली की रोशनी में समझ आ रहा था की वो गलत पगडंडी का रास्ता अख्तियार कर चुकी है।बाहरी हाई वे वाले रास्ते  पर तो कोई नयी इमारत भी ही नही थी----तो पुरानी होने का तो सवाल ही नही था।

अभी तो जो सामने था वो ये खँडहर  ही था---आसमां  से बरसती आफत के सामने फिलहाल ये ही एक ठौर था----हाथ को हाथ तो सूझ नही रहा था----तो ज्यादा न सोचते हुए और
आंखों में छाए भय को काबू करने की कोशिश करते हुए फिलहाल सर पर छत के आसरे के लिए वो खंडहर के अंदर चली गयी।

अंदर से खंडहर किसी भव्य किले से कम नही था---अभी भी थोड़ी शानोशौकत गवाही दे रही थी कि किसी समय  ये किसी राजा महाराजा की ख्वाबगाह बनी रही होगी।

खँडहर  की टूटी फूटी  खिद्कियों से रह रह कर चमकती बिजली की रोशनी में इतना तो दिखायी दे रहा था की शायद इस जर्जर इमारत  में कभी राजा महाराज अपनी हवस को पूरा  करते होन्गे।

सामने बड़ा सा आलिशान हौल जिसमे गोलाकार सीढ़ियों का एक जोडा घूमकर नीचे आ रहा था।

शायद कोई और समय होता तो वो समर के साथ इस इमारत की खूबसूरती को निहार रही होती।

पर रह रह कर बाहर होती बिजली की आवाज़ किसी भी तरीके से नमिता के बैचैन दिल को करार नही लगने दे रही थी---एक अनजाना आशंका दिल ही दिल में घर कर रहा था----जैसे कुछ बुरा होने वाला है...""".बहुत बुरा..!!!"""

गाड़ी से यहां तक आते हुए कपड़े भी भीग गए थे----ऊपर से चलती हवाओंसे लगती ठंड....निकी की हालत खराब होने लगी।

मोबाइल की लाइट भी कब तक साथ देती----बैटरी डाउन हो गयी।

इधर बिजली की कड़कड़ भी थोड़े अंतराल के बाद सुनाई देती तो निपट अंधेरा हो चला था।

किसी तरह  हाथ से अंदाज़ से टटोलते टटोलते निकी आगे बढ़ रही थी---मन ही मन उस पल को कोस रही थी कि जिस पल आज वो घर से निकली थी----समर ने कितना मना किया था---"""पर ,,,,क्यों वो मीटिंग के लालच में आई..????""----पर अब क्या हो सकता था।----आज उसकी वजह से उसका और समर का इंतज़ार ---उनका सपना चकनाचूर होने वाला था;---कितने सपने संजोए थे---शादी की पहली सालगिरह के.....पर वो तो बुरी तरह से  यहाँ फंस चुकी है



शायद अंधेरे में चलते हुए वो एक दूसरे कमरे में आ गयी थी----और किसी चीज़ से टकरा गई--""""आह"""-----एक सिसकी निकल गयी उसके मुह से,,!

दर्द की वजह से आंखों से पानी निकल आया----पर अभी तो शायद बहुत कुछ लिखा था उसकी किस्मत में....अचानक कुछ रोशनी हो गयी।

""कौन...!!!!-----ये रोशनी...!!!!!""-----आंखों पर हथेली रख वो इस उम्मीद से बोली --,,,की शायद कोई मदद मिल जाये..????

अचानक दो लाइट और चमकीं----किसी ने मोबाइल की फ़्लैश लाइट जलाई थीं।

कमरे में इतनी रोशनी हो गयी थी कि निकी को अस्पष्ट सा सब दिखाई देने लगा था।

उसकी नज़र कमरे के फर्श पर पड़ीं कुछ खाली शराब की बोतल पर पड़ीं----कुछ लड़के हाथ में मोबाइल लिए उसे घूर रहे थे।

"वाह,,,यार----शबाब खुद चल कर हमारे पास आ गया"----एक लड़का उसे अपने होटों पर  जीभ फिराते हुए देख बोला।

"यार,,,,इसे कहते हैं किस्मत....कहाँ बारिश से बचने के लिये इस खंडहर का आसरा लिया था----कहाँ दावत मिल गयी""----दूसरा भद्दी आवाज़ में बोला।

"अरे,,,कहाँ तुम समय बेकार करने में लगे हो----पहले हुस्न का नशा तो चख लें-"---तीसरा उसकी तरफ बढ़ते हुए बोला।

"क्या बकवास कर रहे हो..???---/दूर रहो----देखो तुम मुझे जानते नही हो....मैं निकिता खन्ना----जेल भिजवा दूँगी।"

"च....च.....खुबसूरत  हसीना गुस्से में और हसीं लगती है-"---एक लड़का जो शराब की वजह से बुरी तरह से लडखडा रहा था---उसके गाल पर हाथ लगाते हुए बोला।

"समर,,,,!!",तेज आवाज आयी निकिता की---पर वो तीनों वहशी तरीके से अपनी टॉर्च जला उसे यहां वहां छूने लगे----निकिता बचने की---अपने को मह्फुज़ करने की कोशिश कर रही थी---पर उन तीनों लड़कों की पकड़ मजबुत और मजबुत होती जा रही थी।

छटपटा  रही थी वो----गुस्से में आकर उसने एक लात मारी एक लडके के मुह पर।
उस लडके ने गुस्से से बेहद तेज चाँटा लगा दिया निकिता के गाल पर---उसका सर सामने दिवार में जाकर लगा।
अब उसकी उठने की हिम्मत नही थी---आंखे भर आयीं----बार बार दिल समर के बारे में सोच रहा था---"-समर,,,आई अम सॉरी,,,,लग रहा है की कभी मिल नहीं पाऊंगी अब तुमसे----कितने सपने देखे थे---आज के दिन के---कितनी सारी हसीं यादें जोडना चाहते थे अपनी जिन्दगी में" ---दो बूंद  लुढ़क  गयीं उसकी आंखो से।



*****??
क्या होगा अब..???--
क्या निकिता के साथ कुछ बुरा होने वाला है--??

प्लीज कमैंट्स एंड फॉलो --!!

धन्यवाद--शिल्पी गुप्ता 🙏🙏✍️✍️


कुदरत का कानून की अन्य किताबें

9
रचनाएँ
कुदरत के कानून की डायरी
0.0
प्रेम और बेवफाई से भरी रहस्यों से भरी कहानी
1

कुदरत के कानून..पार्ट 2

5 दिसम्बर 2024
0
0
0

अंधेरा घना हो चला था---हाथ को हाथ नही सूझ रहा था----किसी तरह से कीचड़ से सनी सड़कों पर चलते हुए वो  रास्ता टटोलते हुए  चलने लगी। कुछ आगे चलने पर एक खंडहर दिखाई दिया। हे महादेव,,,,ये तो...बाहर का र

2

कुदरत का कानून..पार्ट3

5 दिसम्बर 2024
0
0
0

अब उसकी उठने की हिम्मत नही थी---आंखे भर आयीं----बार बार दिल समर के बारे में सोच रहा था---"-समर,,,आई अम सॉरी,,,,लग रहा है की कभी मिल नहीं पाऊंगी अब तुमसे----कितने सपने देखे थे---आज के

3

कुदरत का कानून..4

5 दिसम्बर 2024
0
0
0

पर तुम तो,,,,कुछ कहते कहते निकिता रुक गई----दर्सल कॉलेज के समय अंकित निकी को बेहद प्यार करता था। उसकी दीवानगी के किस्से मशहूर  थे। पर जब समर और निकी की मुलाकात हुई---अंकित कहीं चला गया था---उसके बाद

4

कुदरत का कानून..पार्ट 5

5 दिसम्बर 2024
0
0
0

निक्की भी बाय कर गाड़ी स्टार्ट करती है---गाड़ी वाकई ठीक हो चुकी थी---अंकित के देखते देखते निक्की की गाड़ी नज़र से ओझल हो जाती है। कमालः की बात हुई---अगले दस मिनट में निककी की गाड़ी उसके घर के सामने थी।

5

कुदरत का कानून .पार्ट6

5 दिसम्बर 2024
0
0
0

समर का मोबाइल खड़खड़ा उठा। ह्म्म्म,,,समर सामने वाले बन्दे से कुछ बात कर रहा था अच्चानक फिर मौसम भयावह हो गया----रात और अंधीयारी हो गयी----फिर तेज़ बारिश पड़ने लगी----कमरे की खिड़कियों के पल्ले जोर जोर स

6

कुदरत का कानून.पार्ट 7

5 दिसम्बर 2024
0
0
0

निक्की,,,चलो पहले जल्दी से केक काटकर शैम्पेन खोलते हैं----कॉफी मेरे होते क्या जरूरत है..???---और एक आंख विंक कर देता है। निक्की शर्मा जाती है। समर एक नज़र घड़ी पर डालता है---हैरान रह जाता है----अभ

7

कुदरत का कानून..6

5 दिसम्बर 2024
0
0
0

समर का मोबाइल खड़खड़ा उठा। ह्म्म्म,,,समर सामने वाले बन्दे से कुछ बात कर रहा था अच्चानक फिर मौसम भयावह हो गया----रात और अंधीयारी हो गयी----फिर तेज़ बारिश पड़ने लगी----कमरे की खिड़कियों के पल्ले जोर जोर स

8

कुदरत का कानून..पार्ट9

5 दिसम्बर 2024
0
0
0

पिछले अंक में आपने पढ़ा कि समर और शिजा ने किसी से सामान मंगवाया था;---वो सामान तो देकर नहीं गया---पर फिर ये सामान---!!!!???----दोनो हैरानी से एक दूसरे की शक्ल देख रहे थे। अब आगे---- ये सामान,,,,,

9

कुदरत का कानून..अंतिम भाग10

5 दिसम्बर 2024
0
0
0

निक्की अन्ग्डाई लेकर उठती है---पर नज़र अभी भी सामने पड़े केक,,शेम्पेन की बॉटल और उस सपने पर थी जो उसने देखा था। समर,,,,समर कहाँ हो तुम--????----निक्की परेशान हो चारो तरफ समर को ढूंड  रही थी---पर समर

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए