अब उसकी उठने की हिम्मत नही थी---आंखे भर आयीं----बार बार दिल समर के बारे में सोच रहा था---"-समर,,,आई अम सॉरी,,,,लग रहा है की कभी मिल नहीं पाऊंगी अब तुमसे----कितने सपने देखे थे---आज के दिन के---कितनी सारी हसीं यादें जोडना चाहते थे अपनी जिन्दगी में" ---दो बूंद लुढ़क गयीं उसकी आंखो से।
निकिता ने समर से मिलने की उमीद ही छोड़ दी थी।
उधर लड़के भयानक अट्टहास लगाए जा रहे थे---उनकी नज़र निकिता के बदन से भीगे कपड़ों से दिखते उसके तराशे हुए उभारों से हट ही नहीं रही थी।
निकिता अपने कंपकपाते और भीगे हुए सर्द हाथो से अपने को छुपाने की कोशिश कर रही थी----इस समय उसे अपनी बेबसी पर रोना आ रहा था----पर कमजोर भी तो नही पड़ सकती थी।----पर वो तीनों भूखे भेड़िए की तरह इसके अंग प्रत्यंग पर जैसे नज़र गड़ाए बैठे थे।
अचानक तेज हवा चलने लगीं---ये कमरा उस खण्डहर के काफी अन्दर था---पर फिर भी हवा महसूस की जा सकती थी----खिडकी के दरवाजे जोर से अपने आप टकराने लगे----एकदम लाईट आयी---पर फिर चली गई----फिर बहुत मन्दी सी रोशनी के साथ बल्ब जलने बुझने लगे।
इस जलती बुझती रोशनी में वो कमरा और आस पास का माहौल और भयावह होता जा रहा था।
ये,,,,ये अचानक क्या हुआ---तेज हवा के सन सन से तीनो लड़कों के शरीर में एक अजीब सी कंपकपी छुट गई।
ये,,,,ये----क्या हो रहा है----अन्दर हवा कैसे आ रही है----एक लड़का घबराते हुए बोला।
ये तो ठंडी हवा अच्चानक आयीं थी---उसमें एक अलग सी खुशबू थी----कुछ ऐसा जिसे महसूस कर एक बार को तो निकिता के हाथों के रुएँ भी खड़े हो गए।
ये कैसी हवा है..????-----मेरा दम घुटता हुआ सा लग रहा है----दूसरे नम्बर का लड़का बेतहाशा चीखा।
पहले वाले कि हालत भी इससे अछूती नही थी।----उसकी आंखें इस ठंडी हवा को महसूस कर चौड़ी होती जा रही थीं----ऐसा लग रहा था कि शायद वो हवा आज उसकी आँखों की पुतलियां बाहर निकाल कर दम लेगी।
एक बार फिर बिजली कड़की----पर हैरानी की बात है कि बिजली केवल कमरे में चमक रही थी----अब खंडहर के बाहर से कोई आवाज़ नही आ रही थी----ऐसा लगा की जैसे बाहर का तूफान अब अंदर आ गया हो।
इस रोशनी में एक धुंधली सी परछाई दिखाई दी---/अच्चानक हुई इस तेज़ रोशनी से एक बार सबकी आंखे चुंधिया गयीं।
निकिता ने भी घबराकर आंखों पर हाथ रख लिया।
धीरे से आंखों पर रखीं दो उंगलियों के बीच से जगह बना कर देखा----उस धुंदली आकृति अब स्पष्ट नज़र आ रही थी।
सामने एक लड़का खड़ा था---हल्की नीली शर्ट ---ब्लैक पेन्ट---सेट बाल---क्रोध आंखो में भभक रहा था।
तू--तू कौन है-??----यहां कैसे---????----अपनी जान प्यारी है तो भाग जा----एक ने चाकू निकाल लिया था।
तू आया कैसे यहां पर--????-----लगता है आज सबको मरने के लिए यही जगह मिली है-----दूसरे ने अट्टहास करते हुए कहा।
उस दूसरे लड़के ने भी अपनी जेब से चाकू निकाल लिया।
निकिता घबरा गई---और दम साधे उस लड़के के साथ होने वाले व्यवहार की कल्पना करने लगी---डर की वजह से पसीना उसके शरीर पर फिसलते हुए भी एक अनजाना सा खौफ पैदा कर रहा था।
चाकू,,,,उस लडके के सर्द पड़े सफेद होंठ तिरछा मुस्कुराए और एकदम उसने गुस्से से चाकू वाले लडके को देखा----उसकी लाल आंखो को देख चाकू सरक गया ----और वापिस उसी लडके के खुद के हाथ में ही लग गया।
बाकी दोनो लडके भी भागते हुए उसकी तरफ आये---एक ने तो अपनी किसी जेब में छुपा हुआ कोई देसी कट्टा भी निकाल लिया था---और जोर से भयानक हंसी हँसते हुए उसकी तरफ फ़ायर कर दिया।
निक्की डर की वजह से बेहोश हो गई।
निकी,,,,अपने नाम को सुन निकी जोअभी तक डर कर बेहोश थी,,,अचानक उसकी आंखे खुल गयीं--- उसने धीमे से सामने की तरफ देखा----तुम,,,,,!!!!!
हैरानी से आंखे चौडी करते हुए निकी ने सामने की तरफ देखा---सामने अंकित खड़ा था----अंकित---अंकित श्रीवास्तव,,,,तुम,,,,तुम यहां----
हम्म्म,,,आओ चलें----रात बहुत हो गई है----उसकी बेहद सर्द आवाज आयी।
अचानक एक बार फिर तेज हवाएं चलने लगीं----फिर बिजली काद्कने लगी।
पर तुम,,,,और ये लडके----ठंड से कांपती हुई निकिता बोली----बारिश की वजह से उसके सारे कपड़े भीग चुके थे----जिसमे से उसका तराशा बदन झांक रहा था।
उसने अपने दोनो हाथों को क्रोस कर सामने की तरफ करा हुआ था।
मैं भीगी हुई हूं----किसी तरह से तीनो लड़को को देखते हुए वो बोली----जो अब बेहोश हो चुके थे।
ये तीनों,,,,,----नासमझी से वो बोली।
ये इसी लायक थे----अचानक कुछ पल के लिये अंकित की आंखे बेहद लाल हो गयीं।
पर तुम तो,,,,कुछ कहते कहते निकिता रुक गई----दर्सल कॉलेज के समय अंकित निकी को बेहद प्यार करता था।
उसकी दीवानगी के किस्से मशहूर थे।
पर जब समर और निकी की मुलाकात हुई---अंकित कहीं चला गया था---उसके बाद कितने दिनों तक उसकी कोई खबर नहीं आयी----और आज अचानक वो सामने आया था।
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कौन है ये लड़का..???
अच्चानक ये कहाँ से आ गया..???
आज का पार्ट कैसा लगा--???--
प्लीज कमैंट्स,,फॉलो एंड स्टिकर्स ,😊😊
धन्यवाद--शिल्पी गुप्ता 🙏🙏✍️✍️