निक्की,,,चलो पहले जल्दी से केक काटकर शैम्पेन खोलते हैं----कॉफी मेरे होते क्या जरूरत है..???---और एक आंख विंक कर देता है।
निक्की शर्मा जाती है।
समर एक नज़र घड़ी पर डालता है---हैरान रह जाता है----अभी भी साढ़े बारह ही बजे थे---अब उसे अज़ीब सी घबराहट होने लगी।---उसने निक्की की तरफ देखा---वो बड़े प्यार से केक निहार रही थी।
निक्कू,,,,,तुम कह रही थीं की डेढ़ बजे तुम आयीं थीं---अपने को कूल रखते हुए वो बोला।
क्या समर,,,मेरी तो घड़ी खराब हो गयी थी शायद,,,,पर तुम भी शायद पागल हो गए हो------देखो अभी तो साढ़े बारह ही बजे हैं----उसके करीब आते हुए वो बोली।
पर निक्कू,,,,तुम इतनी देर से आई हुई हो---और अभी भी वो ही टाइम हुआ है----कुछ अज़ीब नही लग रहा----जैसे ही निक्की ने उसके गले में हाथ डाला---एक अज़ीब सा ठंडा अहसास हुआ समर को-------साथ ही तेज़ हवा का झौंका जाने किस खिड़की से अंदर आ गया।
समर,,,,मुझे इतनी टेंशन हो रही थी---और तुम न जाने क्या क्या बोल रहे हो..???----साफ बोलो न---तुम गुस्सा हो----थोड़ी रूठती हुई निक्की बोली---तभी मेरे छूने से पीछे हट रहे हो----निक्की पीछे जाकर खड़ी हो गयी थी।
सॉरी जान,,,,आओ केक काटते हैं----समर ने फिर से घड़ी पर नज़र डाली जिसकी सुईं अब खिसक कर रात के एक पर आ गयी थीं।
फालतू में वहम कर रहा हूँ----समय ठीक से चल तो रहा है---उंसने भी बिना मतलब के दिमाग में फितूर पैदा कर दिया----सिर झटक कर समर ने एक नज़र शैम्पेन की बोतल पर डाली----और जल्दी से निक्की का हाथ पकड़ कर केक काटा ।
स्वीट हार्ट,,,इट्स फ़ॉर यू--!!!----उसकी तरफ एक पीस करता हुआ समर बोला।
उहं हूँ,,,पहले तुम-----निक्की ने वापिस उसकी तरफ केक कर दिया।
समर एक पल को हिचकिचाया----पर केक का टुकड़ा निक्की के हाथ से ले लिया----जैसे ही निक्की खिड़की बन्द करने गयी----समर ने केक साइड वाले डस्टबिन में डाल दिया।
अच्चानक तेज़ बारिश शुरू हो गयी----बूंदों ने रौद्र रूप रख लिया----टप....टप....टप...!!!!!खिड़की जोर जोर से खड़कने लगीं----
जान,,,बेहद प्यार से निककी बोली----मुझे थकान हो रही है-----क्या मैं थोड़ी देर आराम कर लूं--???
निक्कू,,,अभी तो तबियत ठीक थी तुम्हारी....क्या हुआ..????----डॉक्टर को बुलायूँ----समर उसके माथे पर हाथ रखते हुए बोला।
अरे,,,तुम तो जरा जरा सी बात पर घबरा जाते हो---आधा घण्टे आराम कर लेती हूं---फिर एन्जॉय करेंगे---उसकी बाहों में बाहँ फँसाते हुए निक्की बोली------उसकी आंखें बंद हो रही थीं---कितनी देर से वो कोशिश कर रही थी उन्हें खोलने की----पर आंखे बोझिल होती जा रही थीं।
मैं बिल्कुल ठीक हूँ----निक्की अर्ध बेहोशी में आने लगी थी।---और समर की बाहों में झूल गयी वो।
समर के चेहरे पर चिंता की लकीरें छा गईं----घड़ी की तरफ देखा---सुईं सिर्फ पांच मिनट आगे ही खिसकी थी-------डॉक्टर तो इतनी रात में नहीं आएगा--मौसम भी खराब है----सोचते हुए वो सहारा देकर निक्की को अंदर कमरे में ले आया---और ठीक से सुला दिया।
बाहर आकर उसे फिर से कमरे में अज़ीब सी हवा महसूस दी---""ये हवा कहाँ से आ रही है----सारी खिड़कियां तो बन्द हैं"""-----समर ने परेशान हो फिर से एक बार खिड़की चेक की।
अब तो दूर सड़क पर चहल पहल और रोशनी नज़र आने लगी थी।
समर का सिर बुरी तरह से चकरा रहा था---ये हो क्या रहा है--???----यहाँ तो इतना अंधेरा है कि हाथ को हाथ नहीं सूझ रहा----बारिश ने तो अब ओलों का रूप रख लिया है------ऊपर से बिजली भी आ--जा रही है---मोबाइल तो डेड हो ही गया था---अब तो लैंड लाइन ने भी साथ छोड़ दिया है---!!!!पसीना भी चुने लगा था उसके चेहरे पर।
एक बार फिर फोन निकाला---पर फोन तो कबका बन्द हो ही चुका था---और घबराहट में पावर बैंक भी नहीं मिल रहा था।
निक्की......निक्की का फोन----हाआं,,,उसके मोबाइल में जरूर बैटरी होगी----वो......वो हमेशा फोन चार्ज रखती है----इतनी बड़ी एम्पायर की मालकिन है आखिर-----और एक नज़र अंदर सोती निक्की पर डालता है----जो शायद बहुत गहरी नींद में थी---और कुछ सोच तिरछी स्माइल देता है----और निक्की का फोन ढूंढता है।
इसकी पॉकेट में तो नही है----उसकी जीन्स की पॉकेट में मोबाइल देखता हुआ समर अब उसके बैग की तरफ बढ़ गया।
घड़ी पर नज़र डाली---पता नही सुईं खिसक रही थीं या नहीं---पर अभी ठीक से दो भी नही बजे थे।
कैसे कॉन्टैक्ट करूं..????-----निक्की भी उठने वाली होगी--????-----चिंता से समर बोला--!!!!!-----मोबाइल बैग में तो नही था----अच्चानक उसे याद आया----उसने गाउन बदल लिया था-----हाआं,,,,गाउन लेने वो अंदर अलमारी में गई थी----/शायद वहीं होगा।
हाआं,,,मोबाइल सचमुच अलमारी के नीचे गिरा पड़ा था।---उसने जल्दी से फोन मिलाया।----पर फोन तो लग ही नहीं रहा था-----ये क्या..????-----अब उसका ध्यान फोन पर गया----इसकी भी बैटरी खत्म थी।
ओह शिट्स,,,,,अब समर के चेहरे पर पसीना चुने लगा था।----कैसे कॉन्टैक्ट करूँ---????;-----सोच ही रहा था कि ठीक उसी समय दरवाज़े पर नॉक हुई।
क्रमश-----
धन्यवाद--शिल्पी गुप्ता ✍✍🙏🙏