4 अक्टूबर 2015
क्या कमाल लिखते हो! कुमार
6 अक्टूबर 2015
धन्यवाद ! ओम प्रकाश जी
5 अक्टूबर 2015
संदीप जी, लेखन अच्छा है । लेकिन, इसे जीवन से भरपूर बनाते तो बहुत अच्छा होता । ज़िन्दगी है तो धूप-छाँव भी होगी, इसे ही जी भर के जीना है, दोस्त भी होंगे और आप भी होंगे । हौसला बनाए रखिये और आगे बढ़िए, जो पाने के योग्य होगा ज़रूर मिलेगा । धन्यवाद !
5 अक्टूबर 2015