इस पुस्तक में लघु कथाओं का संग्रह है I
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मंटू बाबू माधोपुर से मेरठ जा रहे थे। ट्रेन में सामने की बर्थ पर एक बुजुर्ग महिला और उसके साथ एक टीनेजर बच्ची सफर कर रही थी। बच्ची अपने मोबाइल में व्यस्त थी। दरअसल जब से सोशल मीडिया आया है किसी के पास
मंटू बाबू अपनी कक्षा में पढ़ाते हुए बोल गए कि शिक्षक समाज का निर्माता होता है। एक लड़की शिवानी ने सलीनता के साथ उनसे प्रश्न किया - सर क्या शिक्षक ही समाज का निर्माण करते है, शिक्षिका नहीं? मंटू बाबू न
रोजाना की तरह आज भी शाम को मंटू बाबू अपनी बेटी वैष्णवी के साथ गली में टहल रहे थे I गली के नुक्कड़ पर भेलपुरी वाला रोज़ाना की तरह आज भी खड़ा था I बेटी का मन भेलपुरी खाने का था I सो मंटू बाबू
डॉली की फ़िल्टर कॉफी पूरे अपार्टमेंट में मशहूर थी। उसका मित्र डेविड तो रोज शाम को फ़िल्टर कॉफी के बहाने मिलने आता था। डॉली को भी उससे मिलना अच्छा लगता था। आखिर वह इकलौता शक्स था जो हमेशा डॉली की तारीफ
मंटू बाबू रोजाना की तरह आज भी अपने अपार्टमेंट के सामने पार्क में शाम के वक़्त टहल रहे थे I पार्क में खेलते बच्चों को देख आज अनायास ही उन्हें अपने बचपन के दिन याद आ गए I चेहरे पर एक गज़ब की रौनक आ गय
मंटू बाबू की पत्नी एक बड़ा पॉलिथीन का बैग उन्हें थमा कर बोली- " आज ऑफिस से आते समय गंगा जी में इसे प्रवाहित करके आना I पिछले नवरात्र का पड़ा है I" मंटू बाबू ने बैग के अंदर नजर डाली तो पूजा पर चढ़ाय