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सोशल मीडिया

6 सितम्बर 2022

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मंटू बाबू माधोपुर से मेरठ जा रहे थे। ट्रेन में सामने की बर्थ पर एक बुजुर्ग महिला और उसके साथ एक टीनेजर बच्ची सफर कर रही थी। बच्ची अपने मोबाइल में व्यस्त थी। दरअसल जब से सोशल मीडिया आया है किसी के पास भी बेकार बैठने की फुरसत नहीं रही। कोई बेरोजगार भी नहीं रहा। सोशल मीडिया पर सुबह से शाम तक काम करने में इतना मजा आता है जितने मन से काम कर स्टीव जॉब और मार्क जुकेरबर्ग ने अपना मुकाम हासिल किया था।ये बात और है की उनके नाम दुनिया के रईस लोगों में सामिल हो गए और इनके का पता नही। बुजुर्ग महिला बच्ची से मुखातिब हो कर बोली - बेटा ट्रेन में सबसे बाते करो, पूछो अंकल कहां जा रहे है। फिर वो मंटू बाबू की ओर मुखातिब हो कर बोली - ये मेरी पोती है। हमेसा मोबाइल में लगी रहती है। मै कहती हू लोगों से मिल - जुल बातचीत किया कर। बच्ची बोली दादी इसमें मैं यू ट्यूब पर पढ़ाई करती हूं। मंटू बाबू बुजुर्ग महिला से बोले - आजकल शिक्षा में सोशल मीडिया का प्रयोग हो रहा है। यह अच्छी बात है। बुजुर्ग महिला बोली यह कैसा सोशल मीडिया - वीडिया है जिसमें बच्चे तो जरा सा भी सोशल न हो रहे। अब सामने जो है उसे छोड़ कर दूसरों से दोस्ती गाठो, जिनको कभी मिले भी नहीं। उनकी बात सुनकर मंटू बाबू को आज पहली बार यह अहसास हुआ कि वास्तव में सोशल मीडिया कृत्रिम रूप से सोशल बनाता है। वास्तविक रूप से तो व्यक्ति अपने घर, पड़ोस, मुहल्ले के लोगों से जुड़ कर सोशल होते हैं।ये कृत्रिम रूपी सोशल वास्तविक सोशल का विकल्प तो कतई नहीं है। यह घातक है। बल्कि यदि कोई अपने आस - पास के माहौल में सोशल रहते हुए सोशल मीडिया का सीमित प्रयोग करे तो बेहतर हो। लेकिन अब खैर होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत। सच्चाई तो यह है - बच्चे, बूढ़े और जवान, सोशल मीडिया पर सब विद्यमान। प्रजातंत्र में ताकत का सीधा अर्थ है बहुमत। और जब बहुमत सोशल मीडिया के साथ है तो जाहिर है वो ताकतवर तो है ही। लेकिन सोशल मीडिया की ताकत का सही इस्तेमाल कैसे हो यह एक यक्ष प्रश्न है। यही सोचते सोचते मंटू बाबू को नींद आ गई।
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रचनाएँ
लघु कथा
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इस पुस्तक में लघु कथाओं का संग्रह है I
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सोशल मीडिया

6 सितम्बर 2022
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मंटू बाबू माधोपुर से मेरठ जा रहे थे। ट्रेन में सामने की बर्थ पर एक बुजुर्ग महिला और उसके साथ एक टीनेजर बच्ची सफर कर रही थी। बच्ची अपने मोबाइल में व्यस्त थी। दरअसल जब से सोशल मीडिया आया है किसी के पास

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शिक्षक कौन?

5 सितम्बर 2022
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मंटू बाबू अपनी कक्षा में पढ़ाते हुए बोल गए कि शिक्षक समाज का निर्माता होता है। एक लड़की शिवानी ने सलीनता के साथ उनसे प्रश्न किया - सर क्या शिक्षक ही समाज का निर्माण करते है, शिक्षिका नहीं? मंटू बाबू न

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भेलपुरी

2 सितम्बर 2022
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            रोजाना की तरह आज भी शाम को मंटू  बाबू अपनी बेटी वैष्णवी के साथ गली में टहल रहे थे I गली के नुक्कड़ पर भेलपुरी वाला रोज़ाना की तरह आज भी खड़ा था I बेटी का मन भेलपुरी खाने का था I सो मंटू बाबू

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फ़िल्टर कॉफी

4 सितम्बर 2022
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डॉली की फ़िल्टर कॉफी पूरे अपार्टमेंट में मशहूर थी। उसका मित्र डेविड तो रोज शाम को फ़िल्टर कॉफी के बहाने मिलने आता था। डॉली को भी उससे मिलना अच्छा लगता था। आखिर वह इकलौता शक्स था जो हमेशा डॉली की तारीफ

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आधी हकीक़त आधा फ़साना

7 सितम्बर 2022
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मंटू बाबू रोजाना की तरह  आज भी अपने अपार्टमेंट  के सामने पार्क में शाम के वक़्त टहल रहे थे I पार्क में खेलते बच्चों  को देख आज अनायास ही उन्हें अपने बचपन के दिन याद आ गए I चेहरे पर एक गज़ब  की रौनक आ गय

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अन्धविश्वास

18 सितम्बर 2022
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मंटू बाबू की पत्नी एक बड़ा   पॉलिथीन का  बैग उन्हें थमा कर बोली- " आज ऑफिस से आते समय गंगा जी में इसे  प्रवाहित करके आना I पिछले नवरात्र  का पड़ा है I"  मंटू बाबू ने बैग के अंदर नजर डाली तो पूजा पर चढ़ाय

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