मंटू बाबू की पत्नी एक बड़ा पॉलिथीन का बैग उन्हें थमा कर बोली- " आज ऑफिस से आते समय गंगा जी में इसे प्रवाहित करके आना I पिछले नवरात्र का पड़ा है I" मंटू बाबू ने बैग के अंदर नजर डाली तो पूजा पर चढ़ायी गयी सामग्री के साथ साथ पॉलिथीन की कई पन्नियां भी थी I उन्होंने पत्नी से कहा- " फूल पत्ती तो ठीक है लेकिन इन पन्नियों को गंगा जी में क्यों प्रवाहित करना है ?" पत्नी बोली- ' दरअसल इसमें पूजा के फल आये थे और पंडित जी ने बोले था जो भी चीज पूजा के कमरे में आयी है उसे कूड़े में नहीं फेकना I " मंटू बाबू समझ गए कि किसी अनिस्ट की आशंका से सभी चीजे गंगा में प्रवाहित करने का निर्णय लिया गया हैI अतः वे चुप रहेI किन्तु गंगा में उन्होंने केवल फूल - पत्तियां और मिट्टी के दीये ही प्रवाहित किए I इस घटना को हुए एक वर्ष से अधिक बीत चुके हैं I उनके घर आज तक कोई अनिस्ट घटना नही हुयी, शायद इसलिए कि आज तक उनके घर में किसी को ये मालूम नहीं कि मंटू बाबू ने पूजा के उस बैग में से कुछ चीजें ही गंगा में प्रवाहित की थी बाकी को कूड़े दान में डाल आये थे I ,