मंटू बाबू रोजाना की तरह आज भी अपने अपार्टमेंट के सामने पार्क में शाम के वक़्त टहल रहे थे I पार्क में खेलते बच्चों को देख आज अनायास ही उन्हें अपने बचपन के दिन याद आ गए I चेहरे पर एक गज़ब की रौनक आ गयी I अपने साथ टहल रहे लल्लन बाबू से उन्होंने कहा - काश बचपन के दिन फिर लौट कर आ जाए या हम अपने बचपन में वापस चले जाए I लल्लन बाबू मुस्कराकर बोले- सुना है टाइम मशीन से यह सब सम्भव है I मंटू बाबू बोले- लेकिन हकीक़त में ऐसा केवल बच्चों की फ़िल्म में होता है I लल्लन बाबूने कहा- ऐसा नहीं है जी I हमारे यहाँ यह सब संभव था I हमारे विष्णु पुराण में उल्लेख मिलता है कि एक समय के राजा काकुड़मी की बेटी रेवती अत्यंत सुन्दर एवं सर्वगुण सम्पन्न थी I उसके विवाह योग्य हो जाने पर पिता काकुड़मी की नज़र में जो विवाह योग्य वर थे उनमें से किसके साथ वे रेवती का विवाह करें, यह तय नहीं कर पा रहे थे I सो एक दिन उन्होने बेटी के साथ ब्रम्हा जी के पास जाकर पूछने का निर्णय लिया और ब्रम्हलोक की ओर निकल पड़े I जब पिता - पुत्री ब्रम्हलोक पहुंचे तो ब्रम्हा जी गन्धर्व नृत्य देख रहे थे I सो पिता - पुत्री ने गन्धर्व नृत्य समाप्त होने का इन्तजार किया और फिर काकुड़मी ने अपने द्वारा तैयार किए गए योग्य वर की सूची ब्रम्हा जी को दिखा कर जानना चाहा कि रेवती का विवाह किससे किया जाए I काकुड़मी की बात सुन ब्रम्हा जी जोर से हंसे और बोले- जितनी देर आप यहाँ रहे उतनी देर में पृथ्वी पर 108 युग बीत चुके हैं I अब इनमें से कोई भी आदमी जीवित नहीं है I न ही इन नामों को जानने वाला कोई व्यक्ति जीवित है I जब पृथ्वी पर लौट के जाओगे तो घर, परिवार या राज्य का कोई भी व्यक्ति नहीं मिलेगा I अंत में ब्रम्हा जी ने ककुड़मी से कहा कि पृथ्वी पर चल रहे इस युग में कृष्ण और बलराम हैं I रेवती का विवाह बलराम के साथ करने का सुझाव देकर ब्रम्हा जी ने पिता - पुत्री को ब्रम्ह्लोक से बिदा किया I विष्णुपुराण की यह कथा सुन मंटू बाबू बोले- आधुनिक समय में हुए प्रयोगो से भी यह साबित हो चुका है कि टाइम डिफरेंस होता है I हवाई जहाज यदि पृथ्वी के घूमने की दिशा में उड़ रहा है तो उसके अंदर की घडी की गति धीमी हो जाती है I फिर लल्लन बाबू ने पूछा - ये टाइम ट्रेवल हम कई बार सुने है, ये क्या है ? मंटू बाबू बोले - वर्तमान समय से पहले या बाद के समय में चले जाने को टाइम ट्रेवल कहते है I ये आधी हकीक़त आधा फ़साना है I विज्ञान तो कहता है यह संभव है Iहमारा धार्मिक साहित्य भी इसका समर्थन करता है I किन्तु हकीकत में वर्तमान युग में यह किस्से - कहानियो तक ही सीमित है I ,