काश आप रहते तो समझ पाते,
मेरा मन के दर्द को देख पाते!
वो अकेलेपन का एहसास को देख पाते!
काश आप रहते तो समझ पाते!!!
वो दिन भी क्या दिन थे जब आप मेरे साथ थी,
आज वो दिन भी क्या दिन हैं जिसमे आपका साथ ही नहीं!
आज कल सोते सोते नींद खुल जाती हैं अक्सर आपकी याद मे,
काश आप होते तो देख पाते!
रिश्तो मे समझदारी बहुत मैंने देख ली,
वो समझ अब दून्धली हो गयी जो आपने मुझे दिखाई थी!
मेरी एक हसी पे आप जो अपनी गम भुला दिया करती थी,
काश! आप रहते तो देख पाते!
रेत सी उम्मीद ले कर बैठ जाता हू कही पे,
वो पुकार जिसको सुन कर मैं दौरा चला आता कही से!
आज वो आवाज़ को सुनने की अरमान लिए भटकता हू कही कही,
काश आप होते तो देख पाते!
आपके जाने से असर हुआ हैं मुझे पे ऐसा,
सोचता हू अक्सर लोग मिलते ही क्यूँ जब बिछरना ही हैं ऐसे!
फिर सर झुकाए रात मे याद करके घर के रास्ते लौट जाता,
काश! आज आप होते तो मैं कुछ और होता!!!