अंतर्मन की अंतर्ज्वाला तैयार खड़ी है रश्मि रथ पर,
धीमे धीमे, हौले हौले ले जाने को, महाप्रयाण के अंतिम पथ पर।
कतरा कतरा खुद को क्षय कर, आशीष देता हूं तुम सबको।
महातिमीर हो भाग्य में मेरे,
सुखमय जीवन हो तुम सबका।।
सुनने वाला जब कोई न हो, व्यर्थ हो चुके तुम सबके हेतु।
चल पड़ना तुम चुपके चुपके, महाप्रयाण के........अंतिम पथ पर......