महेश बहुत ही जिद्दी किस्म का लड़का है ,वह भगवान या किसी भी जात धर्म के ईश्वर को नही मानता था ,एक बार उसकी इस बात से उसकी मां बहुत नाराज भी हो जाती है , !!
महेश मां से कहता है ,*" मां तूने भगवान देखा है , *"!!.
मां कहती है ,*" बेटा मैने भगवान नही देखा पर इतना अवश्य जानती हूं की भगवान के आदेश के बिना एक पत्ता भी नही हिलता , जो नियति है वो होकर रहता है , *"!!!
महेश मां की बात सुन कहता है , *" मां अगर मैं अपने हाथ से नही खाऊं तो भगवान मुझे खाना खिलाएंगे क्या ,ये सब सिर्फ ढकोशला है , *"!!!
मां कहती है *" बेटा ऐसा नहीं कहते ,देख तेरे पिता इस दुनिया में नही है भगवान ही तो हमारा पेट भरता है ना ,*"!!!
महेश कहता है ,*" जी नहीं मां तू दिन भर मेहनत मजदूरी करती है ,तो हमारा पेट भरता है , *"!!
मां कहती हैं ,*" बेटे सभी मेहनत मजदूरी करते है ,पर हम उनसे अच्छे तरह से रह रहे हैं और खा पी रहे हैं ,ये सब भगवान की कृपा ही है , *"!!!
महेश को बहुत क्रोध आता है और वह गुस्से में एक मंदिर के दरवाजे पर जाकर बैठ जाता है , और कहता है *" आज मैं खाना नही खाऊंगा ,आज मेरी नियत ही खाना खाने की नही है ,बोल भगवान से खिला दे ,देखता हूं तेरी कौन सी नियति आती है खिलाने ,*"!!!
मां बेचारी उस से परेशान हो घर आ जाती है , !!
महेश अपने जिद्द में रात होते ही जिद्द करके यह सोचते हुए वही मन्दिर के चबूतरे पर सो गया की देखता हूं यह नियति कब खाना खिलाती है ,!!!
रात के समय कुछ चोर एक घर में चोरी कर वहां आते हैं , और वहीं पर चोरी के समान का बटवारा करते हैं और उसी घर का चुराया खाना निकालते हैं तो एक कहता है ,*" भाई मैं तो ये खाना नही खाऊंगा तुम्हे पता है चंदू चोर चोरी करके उस घर का खाना खाया और वहीं गिर कर मर गया था ,घर वाले आजकल चोरों को मारने के लिए खाने में जहर मिलाकर रख देते हैं ,ताकि चोरी करके खाना खाते और मारे जायेंगे तो समान पकड़ा जाएगा,""!!!
सभी इस बात से घबरा जाते हैं ,एक कहता है ,*" इसे किसी को खिलाया जाए ताकि पता तो चले की इसमें जहर है या नही ,कोई कुत्ता भी नहीं दिखाई पड़ रहा है , *"!!!
तभी एक चोर की नजर चबूतरे पर सोए महेश पर पड़ती है तो उसे उठाकर लाते हैं , !!
महेश चोरों को देख एकदम से घबरा जाता है , चोर उस से खाना खाने को कहते हैं तो चारो को गुस्सा आता है और उसे एक थप्पड़ मारते है , और एक चोर जबरन अपने हाथ से खाना उसके मुंह में थूसता है तो उसे मजबूरन खाना पड़ता है ,वह उसे थप्पड़ मार मार कर सभी भोजन सामग्री थोड़ा थोड़ा खिलाते हैं ,इतने खाने से उसका पेट भर जाता है , *"!!!
उसके बाद सभी चोर पेट भर खाना खाते हैं , वह जाते जाते महेश को मारने के एवज में एक हीरा दे जाते हैं , ,*"!!
महेश भागकर मां के पास जाता है और उस से सारी बात बताता है तो मां तुरंत भाग कर सिपाहियों के पास जाती है और उन्हे बताती है तो वह चोर जिस दिशा में गए थे सिपाही घोड़ों से इस और भागते हैं ,*"!!
सुबह राजदरबार से महेश और मां को बुलावा आता है ,तो मां बेटे जाते हैं , !!!
राजा महेश से बहुत खुश होते हैं और कहते हैं *" तुम्हारे कारण एक बहुत बड़ी चोरी पकड़ी गई मैं तुम्हे इनाम देना चाहता हूं ,*"!!!
महेश मां की ओर देखता है , तो उसकी मां राजा से कहती है ,*" महाराज यदि आप हमे कुछ देना चाहते हैं तो इसे कोई रोजगार दे दीजिए ,तो मेरी समस्या दूर हो जायेगी ,*"!!!
राजा कहते हैं ,*" आज से ये हमारी सेना की एक टुकड़ी का सरदार होगा ,*"!!
उसकी मां बहुत खुश होती हैं ,!!!
घर आकर मां कहती है *"अब भी नियति को और भगवान को मनेगा या नही , *"!!!महेश कहता है ,*" मान गया मां मैने जिद्द नही किया होता तो न मंदिर जाता और न चोर मिलते और न मुझे ये नौकरी मिलती ,*"!!
वह मां के पैर छूकर आशीर्वाद लेता है और उसके गले लगता है ,*"!!!