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इंजीनियर

25 दिसम्बर 2021

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1987 की बात है , में नाज़ बिल्डिंग में एक परिचित कांति भाई के ऑफिस में मिलने गया, उस वक्त हम अगर शूट न हो तो कम से कम 10 ऑफिस जरूर जाते थे, कांति भाई फिल्म डिट्रीब्यूशन से जुड़े थे ,तो उनके यहां इसीलिए जाते थे की कई प्रोड्यूसर उनके यहां मिल जाते थे, और अब ऐसी आदत हो गई थी की हफ्ते में दो बार नही गए तो उनसे डांट पड़ती थी की कहां था, उस दिन उनके यहां एक नॉन फिल्मी आदमी बैठा था, कांति भाई ने पूछा क्या हो रहा है, तो मैंने ऐसे ही कह दिया कुछ नही कुछ समझ नही आ रहा क्या होगा,वैसे आज भी ये शब्द बोल ही देते हैं , मेरे इतना बोलने पर उनके साथ बैठे महाशय जो दिखने में संभ्रांत आदमी लग रहे थे उन्होंने कहा " बेटा टेंशन मत लो होनी को कोई नही टाल सकता "! तो मैं हंस दिया तो उन्हे थोड़ा बुरा भी लगा वो बोले एक रीयल  कहानी सुनाता हूं, वह सुनाने लगे " एक यंग लड़का तुम्हारी तरह ही  था , उसने नया नया केमिकल इंजीनियरिंग क्लियर किया था और एक फॉरेन की कंपनी में इंटरव्यू के लिए जाना था, उसने बड़ी गरीबी में जिंदगी गुजरी थी ,उसके पिता जब वह 10टेंथ में था तभी गुजर गए थे, घर में सबसे बड़ा वही था उसके पिता एक ऑफिस में क्लर्क का काम करते थे, तो इतनी कमाई नहीं थी कि वह कुछ पूंजी जमा कर पाते , दो बहने एक भाई की जिम्मेदारी मां अकेले सिलाई कढ़ाई कर पूरी नहीं कर सकती थी तो वह भी पढ़ाई के साथ साथ छोटे बच्चो का ट्यूशन लेने लगा और साथ ही सुबह पेपर भी बाटने लगा ,बेचारा ढंग से सो भी नही पाता था, दिन रात मेहनत कर आज इस स्थिति में पहुंचा था की उसे फॉरेन कंपनी ने इंटरव्यू के लिए बुलाया था , वह बहुत खुश था ये करीब 1967 की बात थी, वह चेचगेट स्टेशन पर उतरा वह डेढ़ घंटे पहले ही ऑफिस के पास पहुंचने वाला था , तभी साइड से जा रही डबल डेकर बस के ऊपर से किसी ने पान खा कर उसके ऊपर मेहरबानी कर देता है और उसका सफेद शर्ट लाल हो जाता है, उसे लगा की उसने कपड़े पर नही थूका बल्कि उसके किस्मत पर थूक दिया, उसे इतना गुस्सा आता है कि अगर वह आदमी मिल जाता तो वह उसका कतल कर देता , उसकी सारी खुशियों पर एक झटके में पानी फेर दिया, उसके पास सवा घंटे थे तो  वह मरिनलाइंस में रह रहे एक रिलेटिव के घर जाता है और उनके यहां से उनके लड़के का शर्ट लेकर पहनता है और भागता है फिर भी वह 10 बजे के बदले 10 बजकर दस मिनट पर पहुंचता है, तो उसे अंदर लेने से मना कर देता है,वह बहुत हाथ पैर जोड़ता है, रोने लगता है पर कंपनी वाले कहते हैं सॉरी यू अरे लेट , !
उसे लगता है वो लेट नही पूरा लेट हो गया, वह उस पान खाकर थूकने वाले को हजारों गलियां देता है, वह पान की दुकान वालो से लेकर खाने वालो तक कोसने लगा, उसे लगता है अब किस मुंह से घर जाए वह सुसाइड करने के मूड में नरीमन प्वाइंट के समुद्र किनारे गया भी पर मां और भाई बहनों के चेहरे सामने आ गया तो वह रुक गया उसने सोचा उसके जाने के बाद उसका क्या होगा, वह सर झुका कर आंसु बहता बैठा था, तभी एक आदमी उसके बगल में आकर बैठा  उसने उसको ध्यान से देखा और पूछा " तुम शांति भाई के बेटे हो ना, ? वह भी उसे देखा तो कहा ",भानु अंकल आप यहां , ! उसके पूछने पर वह दो घंटे में घाटी सभी कुछ बता देता है,तो भानु कहता है ," चलो मेरे साथ ,शाम तक घर छोड़ दूंगा , तब तक तुम्हारा माइंड भी फ्रेश हो जायेगा, ! भानु वही पास मे ही रहते थे , वह उसके दूर के रिश्तेदार भी है, भानु अपने ऑफिस जाने से पहले कुछ देर हमेशा ही वहां बैठते थे आज संजोग ही था जो उसे सुसाइड करने की सूझी और वह वहा जाकर बैठा , दोनो ही भानु भाई के फिएट कार में सवार होकर न्यू मुंबई जाते हैं , वहां भानु उसे एक बंद फैक्ट्री में ले जाता है और खोलकर दिखाता है , तो जिग्नेश चौकता है यह एक केमिकल फैक्ट्री है, भानु पूछता है  "इसमें कुछ कर सकते हो  "! तो वह कहता है " इसी का तो मास्टर हुं , "! भानु कहता है  " कल से ही लग जाओ जो पैसे लगेंगे मैं दूंगा , और तुम मेहनत करो, !
आज के दिन उस आदमी के पास 1200 वर्कर काम करते हैं और वह साल का 5 करोड़ कमाता है ,आज वह सोचता है की पान खाकर थूकने वाला मिल जाए तो उसके पैर छू लेगा क्योंकि उसी की वजह से वह इतना बड़ा आदमी बना , भानु  अपनी बेटी की शादी भी  उसी से कर दिया है, बाहरी कंपनी में काम करके उसे 40 , 50 हजार से ज्यादा नहीं मिलता, पर आज 300 करोड़ का आदमी है, ! मैने कहा कहानी अच्छी है थोड़ा ड्रामा क्रिएट कर अच्छी फिल्म बनाई जा सकती है ,तो कांति भाई कहते हैं ,गढ़ेड़ा वो कोई और नहीं यही है , यही जिग्नेश भाई  है मेरे बचपन के दोस्त हैं आज सालो बाद मिलने आए हैं, में सरप्राइज्ड उन्हे देखता रहा , वो कहते हैं बेटा जो भी होता है सब नियति है, हमारे हाथो में कुछ नहीं, मैं मान गया, !


काव्या सोनी

काव्या सोनी

Bahut khub sir 👌👌👌👌👌

25 दिसम्बर 2021

Dinesh Dubey

Dinesh Dubey

26 दिसम्बर 2021

धन्यवाद जी

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रचनाएँ
नियति
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इंसान का सोचा कुछ नही होता है ,नियति में जो होना है वो होगा ,
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