मनोहर एक आर्ट स्टूडेंट है, वह फाइन आर्ट का बेस्ट स्टूडेंट है , वह बहुत ही गरीब घर से है, वह सड़को पर बैठ कर लोगो के फोटो बनाता है जिस से उसका खर्चा चल जाता है , उसके मां बाप मजदूरी करते हैं , तो वह उनसे कुछ ना ही मांग सकता है और ना ही किसी से भी अपनी समस्या कहता है, वह अपनी प्रोब्लम खुद सॉल्व करता है , उसको एक कम्पनी से जॉब ऑफर आता है,वह वहा जाता है और उनसे मिलकर अपने किए पेंटिंग दिखाता है तो वह लोग उसे कुछ डिफरेंट पेंटिंग बनाने को कहता है , वह उनसे डिस्कस करके उनके हिसाब से पेंटिंग बनाना शुरू करता है , उस चक्कर में उसका रोज़ का काम भी बंद हो जाता है और वह भूखे रह कर पानी पी पी कर काम करता है , उसे लगता है की अगर उसे ये जॉब मिल गया तो उसकी बाकी की लाइफ सुधार जायेगी वह अपने मां बाप को भी अच्छे से अपने साथ रख पाएगा,वह पूरी लगन से पेंटिंग बनाता है, और वह अपनी पेंटिंग लेकर उनके पास जाता है और उन्हे अपनी पेंटिंग दिखाता है, वह लोग उसके पेंटिंग की तारीफ करते हैं और कहते हैं , ये तो ठीक हैं पर अप टू द मार्क नही हैं, मनोहर को झटका लगता है एक तो तीन दिन से वह कुछ खाया नही था , तभी वहां खड़े होकर बात कर रहे दो आदमी की बातो से पता चलता है कि वह पेंटर या फाइन आर्टिस्ट की पोस्ट मैनेजर के रिलेटिव को दे दिया गया, उसकी आंखो में आंसु आते हैं ,आज उसने बहुत सारी उम्मीद जगा ली थी, और सब का सब खतम हो गया, उसे लगता है कि वह वही सारी पेंटिग फाड़ कर फेंक दें, पर वह शांत होता है, वह ऑफिस से निकल कर खुद को शांत करने के लिए एक गॉर्डन में जा कर बैठ जाता है , उसकी आंखो में आंसु है , वह अपनी पेंटिंग को देख रहा है और वह सोचता है कि क्या फायदा ऐसी तस्वीर की जिस से एक रुपए का फायदा नही उसे रख कर क्या करेगा, !! तभी एक आदमी आकर उसके पास बैठता है , उसकी नजर मनोहर की पेंटिंग देखता है तो वह उस से लेकर पेंटिग देखता है और कहता है " वाह क्या बात है , ये सब तुमने बनाया है, "!! वह हां कहता है तो वह आदमी जिसका नाम बिपिन है कहता है ," इसकी कीमत क्या है "?? मनोहर कहता है ," आपको जो बैटर लगे दे दीजिए, "!! वह आदमी 10000 देकर वह पेंटिग
लेता हैं तो मनोहर सरप्राइज्ड रह जाता है और उसका शुक्रिया अदा करता है, तो वह कहता है," इसकी वैल्यू बहुत है ,तुम चाहो तो मैं तुम्हारे पेंटिंग्स की प्रदर्शनी विदेश में लगाऊंगा , जो भी कमाई होगी फिफ्टी फिफ्टी कर लेंगे , वह आश्चर्य में पड़ जाता है और हां बोलता है , बिपिन उसका नम्बर लेता है और कहता है ,आज से तुम्हारी नई जिंदगी शुरु , हो गई है, तुम पेंटिंग बनाना शुरू करो वह उसे कुछ पैसे और देता है, और उसका एड्रेस और नंबर लेकर जाता है, पहली ही प्रदर्शनी में उसकी सारी पेंटिंग्स अच्छी कीमत पर बिकती है ,उसे बहुत पैसे मिलते हैं , वह बहुत खुश होता है,और सबसे खास बात यह थी कि उस कम्पनी के आदमी भी उसकी एक पेंटिंग मंहगे दाम पर लेकर गए थे ,।
आज मनोहर देश के बड़े पेंटर में से एक है और उसका नाम पदम श्री के लिए भी भेजा गया है , उसे याद आता है कि अगर उस कंपनी ने उसे नौकरी दे दी होती तो वह भी एक साधारण पेंटर रहता , पर नियति को जो करना होता है वही होता है"!!!