रोशन एक बहुत ही गरीब परिवार का लड़का था बड़ी मुश्किल से उसके पिता ने कर्ज ले ले कर उसे आई टी आई से इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग करवाया था ,जिसमे उसका घर भी गिरवी पड़ा था ,उसके पिता एक साधारण सी नौकरी करते थे ,उन्हे पच्चीस हजार रूपए महीने में मिलते थे ,उसमे से पंद्रह हजार तो कंपनी लोन के काट लेती थी ,एक बेटा एक बेटी को पढ़ाने की जिद्द ने उन्हे कंगाली के उस गर्त में झोंक दिया था जहां से आना गरीबों के लिए तो असंभव ही होता है ,उस से मुक्ति तो मरने के बाद भी नही मिलती है ,लोग बाल बच्चो से वसूलने लगते थे , !!!
रोशन के पिता प्रदीप ठाकुर ने सोचा था की बेटे का इंजीनियर बनने के बाद उनकी समस्या दूर हो जायेगी क्योंकि उनके टाइम पर इंजीनियर होना अपने आप में बहुत बड़ी बात होती थी , *"!!!
लेकिन हो उसका उल्टा रहा था , रोशन को कहीं ढंग की नौकरी ही नही मिल रहा था , वह धक्के खाते खाते थक गया था ,घर के हालत से वह बहुत दुखी था ,मजबूरी में उसने वॉचमैन की नौकरी पकड़ ली थी क्योंकि जब तक ढंग का जॉब नहीं मिलता तब तक तो खर्चा भी चलना चाहिए ,*"!!!
लोग ताने मरने से नही चूकते थे ,एक रिश्तेदार ने तो कह दिया*" जब वॉचमैन ही बनाना था तो इतने कर्ज लेकर पढ़ने की क्या जरूरत थी ,*"!!!
लोगो की बाते और पिता को कर्ज दारों से जूझते देख उसका दिल बैठ जाता है ,और वह जीने का अरमान छोड़ देता है ,उसे लगता है ऐसी जिंदगी का क्या फायदा जो अपने घर वालो का कोई सपोर्ट नहीं कर सकता हो ,वह अपनी जिंदगी को समाप्त करने की सोचता है ,और घर से निकल जाता है, !!!
रास्ते में वह आत्महत्या के कई तरीके सोचता है ,पर करने की हिम्मत कही भी नही पड़ती है ,पहले सोचता है ,ब्रिज से नीचे कूद जाऊं फिर सोचता है कही गिरकर हाथ पैर टूट गए और मरा नहीं तो मां बाप पर और मुसीबत आ जायेगी , *"!!!
फिर सोचता है कि कुएं में कूद जाऊं फिर लगता है की उसे तो तैरना आता है तो कैसे डूबेगा , इस तरह खुद ही कई तरीके सोचता है और उसके तोड़ भी सोच लेता है ,इसी उधेड़बुन में वह कब फुटपाथ से सड़क के बीच आगया उसे पता ही नही चला ,और जब तक उसे पता चला एक मर्सडीज बेंज कार इसको उड़ा चुकी थी , और काफी ऊपर उछल कर सड़क पर गिरा था और बेहोश हो गया था , *"!!!
मीडिया में हो हल्ला मचा था की एक बड़े बिजनेस में ने अपने गुरूर में गाड़ी चलाते हुए सड़क पार करते लड़के को उड़ा दिया ,सभी उसे सजा दिलाने पर उतारू थे , दरअसल वह बिजनेस मैन गौरव मेहता एक साफ सुथरा ईमानदार बिजनेस मैन था , ना ही कोई गलत काम करता था और ना ही किसी गलत काम को बढ़ावा देता था वह देश के प्रति भी ईमानदार था ,तो इस से कभी कोई पैसे मांग नही पाता था और मांगने पर वह देता नही था ,तो बहुत सारे सरकारी और गैर सरकारी संस्थाएं भी नाराज रहती थी , अब सभी को मौका मिल गया था , *"!!
रोशन के सर पर बहुत अधिक चोट आई थी ,वैसे एक्सीडेंट के बाद मेहता ने ही उसे अपनी गाड़ी में डालकर अपने खर्चे से ही उसे हॉस्पिटल में भर्ती कराया था , फिर भी लोगो का क्या वह तो उसे फसा कर पैसे ऐंठना चाहते थे , *"!!!
रोशन को होश आता है , उसके मां बाप और बहन तीनो इसके पास ही थे , कुछ मिडिया वाले और संस्था वाले उस से कहते है ,की वह उनके हिसाब से बयान दे दे तो उसे इतने पैसे दिलवा देंगे की उसके सारे कर्ज दूर हो जायेंगे ,उसके होश आने से पहले उसके बारे में पुरी जानकारी निकल चुके थे , *"!!!
थोड़ी देर में मेहता भी आए हैं ,मीडिया वाले उस से पूछना चाहते हैं तो वह बात नही करते हैं ,और संस्था वाले हाय हाय करने लगते हैं ,और उसे सजा दिलवाने की बात करते हैं ,उन्हे पता था जितना चिल्लाएंगे ,उतना अधिक पैसा ऐंठा जा सकता था , *"!!!
मेहता जी रोशन से कहते है*" देखो रोशन ,मैने जान बूझकर नही मारा पता नही ये सब कैसे हो गया ,अब्बास तुम्हारे ऊपर है , तुम्हे जो उचित लगे वो करो मैं तुम्हे ये नही कहूंगा कि तुम मुझे बचाओ क्योंकि मुझे भी लगता है मैने जान बूझकर तो एक्सीडेंट किया नही , में जो भी हर्जाना है देने को तैयार हूं ,*"!!!
तभी पुलिस वाले एक मजिस्ट्रेट के साथ आते हैं , रोशन कहीं जाने की स्थिति में नहीं था और ना ही अधिक बोलने की स्थिति में था , इसलिए पुलिस उसके बयान को दर्ज करने के लिए मजिस्ट्रेट साहब को साथ लाई थी ,मामला हाई प्रोफाइल वायक्ति के साथ जुड़ा था , !!!!
मजिस्ट्रेट साहब रोशन से पूछते हैं *" रोशन क्या तुम बोलने की स्थिति में हो ,*"!!!
रोशन हैं में सर हिलाता है ,!!!!
मजिस्ट्रेट साहब पूछते हैं ,*" यह एक्सीडेंट कैसे हुआ तुम्हे कुछ याद है , रोशन अपनी पिता की तरफ देखता है , उसके पिता उसे हमेशा कहते थे *" चाहे कितनी भी तकलीफ आए सच का साथ नही छोड़ना ,*"!!
वह मजिस्ट्रेट साहब से कहता है *" सर मैं अपनी टेंशन में था ,और सड़क के किनारे ही फुटपाथ पर चल रहा था पर मैं अपनी झोंक में कब बीच सड़क पर आ गया पता नाग चला गाड़ी ड्राइवर की कोई गलती नही है ,वह चाह कर भी मुझे बचा नही सकता था ,क्योंकि मैं ही बीच सड़क पर अचानक चला गया था ,*"!!!
मजिस्ट्रेट कहते है। ,*" सोच लो तुम्हारे इस बयान से तुम्हे एक रुपए का भुगतान नहीं मिलेगा और अगर वह नही चाहेंगे तो हॉस्पिटल का खर्च भी तुम पर ही भरने को आयेगा ,*"!!!
रोशन कहता है *" सर कुछ भी हो पर मैं झूठ नहीं बोलूंगा ,*"!!!
मजिस्ट्रेट उसकी तारीफ करते हुए इसके पिता से कहते हैं*" बहुत नसीब वाले हो जो ऐसा लड़का मिला है ,*"!!!!
मजिस्ट्रेट जाता है*"!!!
सभी संस्थाएं और मीडिया वाले मुंह बना कर जाते हैं , एक हफ्ते में उसे हॉस्पिटल से छुट्टी मिलती हैं ,इस बीच एक बार भी मेहता नही आए थे तो उन्हे डर था की बिल कहां से भरेंगे पर डॉक्टर उनसे कहता है *" आप लोग चिंता मत करिए , आपका बिल पैड है , *"!!!
उसके रिलेटिव कहते भी हैं *" इतना अच्छा मौका था ,अपने कर्ज उतार लेते पर हरिश्चंद्र की औलाद जो हैं अब भुगतो फिर से ,*"!!!
हॉस्पिटल से घर आने तक उनसे मिलने मेहता नही आया था तो उसके मामा कहते हैं *" देखा कमीना एक बार भी नही आया ,*" !!!
तभी एक कार आकर उसके घर के सामने रुकती है , उसमे से एक सुंदर सी लड़की उतरती है और उसके घर के बारे में पूछती है तो एक आदमी उसके दरवाजे की ओर इशारा करता है तो वह रोशन के घर जाती है ,!!!
रोशन को वह कहती है *" हैलो रोशन , में मेहता साहब की बेटी सोनिया हूं , डैड को अर्जेंट लंदन जाना पड़ा तो वह आ नही पाए , पर उन्होंने तुम्हारे लिए कुछ भेजा है *"!!!
वह एक लिफाफा देती है ,तो बिस्तर पर पड़े पड़े ही रोशन खोल कर उसके अंदर के पेपर निकालता है तो पहले एक चेक निकलता है जो उसके पूरे कर्ज के बराबर की रकम थी ,पूरे बाईस लाख जो उसके पिता को चुकाने थे ,और दूसरा लेटर था उसकी ज्वाइनिंग का उसे कंपनी में इलेक्ट्रॉनिक डिपार्टमेंट का हेड बनाया गया था जिसका पैकेज था ,बारह लाख रुपए ईयरली ,रोशन की आंखो से आंसु निकलते हैं ,उसके पिता घबराकर देखते हैं तो वह इशारा करता है की कोई टेंशन नहीं है ,वह चेक पिता के है में देता है तो उनके भी आंखों से आंसु निकलते हैं ,वह तो सोनिया के पैर छूने लगते हैं तो वह उन्हे रोकते हुए कहती है *" नही अंकल ऐसा पाप मत करिए मैं आपकी बेटी समान हूं , मेरे डैड ईमानदार और शरीफ लोगो का हमेशा साथ देते हैं , ( रोशन से कहती है ) रोशन तुम्हारी। सेलरी अभी से शुरू हो गई है ठीक होने के बाद तुम ज्वाइन कर सकते हो ,और कोई जरूरत हो तो मुझे डायरेक्ट कॉल कर सकते हो *"!!!,वह अपना नंबर देती हैं और उनसे इजाजत लेकर जाती है ,मारे खुशी के वह लोग उस बेचारी को चाय पानी तक पूछना भूल गए थे , *"!!!
रोशन सोचता है नियति भी क्या क्या रंग दिखाती है ,यदि मैने आत्महत्या का न सोचा होता तो आज वही वॉचमैन होता ,*"!!!
इसका मतलब है कई बार बुरी घटनाए भी हमारे लिए अच्छे मार्ग खोल देती हैं ,बस धैर्य से सभी अच्छे बुरे दिनों का सामना करना चाहिए नियति तो अपना खेल खेलती ही है ,*"!!!!!