जहाँ तक
जहाँ तकदेख सकता था तुम्हेंदेखा,जहाँ तकजा सकता था तुम्हारे लियेगया,जहाँ तकसोच सकता था तुम पर सोचा,जहाँ तकलौट सकता था तुम्हारे लिएलौटा,जहाँ तकपा सकता था तुम्हारा अंदाजचला,जहाँ तकपहुँचा सकता था अपनी बातपहुँचाया,मेरे इस देखने,सोचने,चलने,लौटनेऔर पहुँचाने में, पता नहीं कौन-कौन था? **महेश रौतेला