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माही.. 🌺

vinita prakash

10 अध्याय
0 लोगों ने खरीदा
8 पाठक

भीगने जैसा हर कुछ महसूस करा जाये.. यें रचना... 

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पुस्तक के भाग

1

किनारा

12 जनवरी 2022
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🌺🌿🥀जो मेरे लिये समय था चुराता.. वो आज नजरें हैं....चुराता.... वक्त वक्त क़ी बात हैं साहब दिन पड़ते थे कम..जनाब उसे.. जब वह प्यार में थे बेहिसाब वक्त वक्त क़ी बात हैं..यार आज बीच रास्ते मिलने से

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विरह की बेला..

12 जनवरी 2022
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🌿🌺☘️🌺💮🌺💮🌺💮🌺💮 यें कैसी विछड़न.. क्यों गये वहाँ जहाँ न.. हो सके कोई मिलन.. विरह क़ी बेला.. कैसी यें बेला.. कैसे करुँ कोई.. आस.. जहाँ मिलन क़ी ना कोई आस.. ऐसे छोड़ कोई जाता हैं क्या.. कोई ऐसे छोड़ व

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सुनो ना

12 जनवरी 2022
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🌸🍃🌺मैं कुछ ना कहूँ फिर भी सुन लिया करों ना..💃 झूट मुठ की नाराजगी.. तुम ना दिखाया करों ना..💃 मैं कहु चल.. प्रिये.. इससे पहले चल दिया करों ना..💃 सिर्फ ख़ुद ना इतना इठला कर..मुझें भी इठलाने दि

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लिखना..

12 जनवरी 2022
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🌸🍃🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🤗 लिखना यानि मृत्यु से जीवन क़ी ओर.. लिखना यानि आएगी जरूर से नई भोर लिखना आत्म मंथन क़ी हो रहीं हो तैयारी.. लिखना मतलब होने बाली.. अब बहुतो

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साजन

12 जनवरी 2022
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💮🥀विरह क़ी बेला साजन.. कैसे मैं संभलु करुँ क्या जतन. जाते जाते तुझे हीं देखूँ.. मैं..किये यूँ..आंखें नम.. यें क्या रुत आईं हैं..सनम.. परछाई भी लगे.. रुसबाई हैं... होश मैं.. तो..हुँ..खो बैठी.. मौजूदा.

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ऊटी घाटी

12 जनवरी 2022
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🌺🌸🌺घाटियों में शहर हमारा सुन्दर ऊटी वहीं पे थी एक सुंदर घटना 🤗 घटी 🌺🌿🌺🌿🌺🌿🌺🌿🌺🌿🌺🌿 जब गोल गोल घूम रहीं थी हमारी गाड़ी घाटी में.. खिड़की खोल हमलोग सुंदर नजारे लग गये थे देखने में.. ऐसे

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सूर्य उदय

12 जनवरी 2022
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🌸🌺🌸🌺🌸🌺🌸🌺🌸🌺🌸🌺🌸🌺🌸🌺सूर्य उदय के बाद.. भी जरूर से सूर्यास्त हो आते हैं..इसे भी जीवन चक्र माने.. यें भी फिर ख़त्म हो जाते हैं..सूर्यास्त आया.. जीवन में ना होने दें मुस्कान कमयें भी तो

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करोना..

12 जनवरी 2022
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🌸🌿अबकी साल.. करोना जाये.. कोई भी हाल.. यें करोना निगोरे ने किया दुभर जीना किया बेहाल.. 🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿 यें करोना ओमीक्रोन ने मचाया हैं चहुँ ओर कोहराम... सबका जीना मुश्किल किया, जीना क

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चापाकल

12 जनवरी 2022
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🍃🌸🌿🌺🌿🌺🌿🌺🌿🌺🌿🌺🌿🌺🌿🌺🌿चापाकल होती थी कभी यें हर घर क़ी शान..चापाकल अभी भी दिख जाती चले जाते गर गाँवअभी भी होती सरकारी स्कूल में इसकी काफ़ी मान..गाँव में सरकारें जगह जगह किये हैं इसकी प्रबंध.

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उम्मीद

12 जनवरी 2022
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☘️🌸🌸🌿🌸🌿🌸🌿🌸🌿🌸🌿🌸🌿🌸🌿🌸🌿 सूर्यास्त एक सच.. उम्मीद फिर से उदय हो जाने क़ी.. सूर्यास्त एक सच.. सोच...नया सवेरा आने क़ी सूर्यास्त एक सच फिर से उम्मीद जगा जगाने क़ी.. हैं अटल सूर्यास्त तो.. तो स

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