वो आज नजरें हैं....चुराता....
वक्त वक्त क़ी बात हैं साहब
दिन पड़ते थे कम..जनाब
उसे.. जब वह प्यार में थे बेहिसाब
वक्त वक्त क़ी बात हैं..यार
आज बीच रास्ते मिलने से..प्यार
भी किनारा कर लेते बन होशियार
जिसके लिये लूट जाने को थे तैयार
उससे जाने क्यों नफरत किये जा रहा
यें धुन लगाई हैं.. उसनें..या यें सब हुये जा रहा..
जिसके लिये जग लूटाने क़ी कसमें थी खाई..
उसके लिये कर लीं.. आज..बड़ी सी हैं वो...खाई..
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