मापनी- 221 2121 1221 212 (ताराजराजभासलगाराजभालगा) मिश्रित
गीता क़ुरान प्रेम ज़रा जान लीजिएl
मानव महा प्रयाण विधा ज्ञान लीजिएll
दुनियाँ अजीब मित्र मकड़ जाल में फँसी,
माया महल विशाल सुधी ठान लीजिएl
धरती वियोग अम्बरविधना विचार है,
नदियाँ मिले समुंदर स्वर मान लीजिएl
मन मापनी विचित्र सखे धर्म वीरता
कायर विचार धर्म डिगा छान लीजिएll
दौलत नशा नसाय चली जाम जिंदगी,
तन मन अहम मिटा कर हरि ध्यान लीजिएll
राजकिशोर मिश्र 'राज' प्रतापगढी