दोहावली
मार्गशीर्ष की ठण्ड में , प्रियतम गए विदेश l
पूस माघ रोता फिरे, फागुन दे सन्देश ll
सतरंगी थी जिंदगी , सात वचन के साथ l
मन की रंगत ले गए , मुझको किया अनाथ ll
सधवा मन विधवा हुआ ,करि प्रियतम से नेह l
राशि मास रवि रंग ने , किया कलंकित देह ll
तरु पल्लव की जिंदगी , बालकपन का खेल l
मानस के मार्तण्ड बिन , साजन जीवन जेल ll
सतयोजन दूरी घटी , आभासी अनुहार l
बारहमासा की कथा , विरहन का श्रृंगार ll