रोला- रोला छंद दोहा का उलटा होता है l विषम चरण में ग्यारह मात्रा एवं सम चरण में तेरह मात्रा के संयोग सेनिर्मित [११+१३=२४ मात्रिक ] लोकप्रिय रोला छंद है l रोला छंद में ११,१३ यति २४ मात्रिक छंद है दो क्रमागत चरण तुकांत होते हैं काव्य रम्यता हेतु यति के पूर्व पश्चात त्रिकल हो उत्तम होता है सम चरण चरणान्त ११११, २२, ११२, २११ से होता हैl
कल विधान =
विषम = ४+४+३ ३+३+२+३===११
सम = ३+२+४+४ व ३+२+३+३+२===१३
विषम चरण गतिमान , चौकल चौकल त्रिकल से l
कहता काव्य विधान ,त्रिकल त्रिकल दो [द्विकल ] त्रिकल से ll
सम चरणों में मित्र , त्रिकल दो चौकल चौकल l
कहते राजकिशोर , छंद की शुचिता में कल ll
त्रिकल त्रिकल दो तीन , विषम कल समझें ज्ञानी l
चौकल चौकल तीन ,विषम अन्योक्ति बखानी ll
रोला अनुपम छंद , ध्यान से सीखो भाई l
कहता छंद विधान , अतुल छन्दस प्रभुताई ll
राजकिशोर मिश्र प्रतापगढ़ी