रूप घनाक्षरी=
आठ आठ आठ आठ , छन्द रूप घनाक्षरी,
लघु दीर्घ यति गति, छ्न्द में प्रवाह सार ।
शब्द भावना विधान , अंत गाल गुरु लघु
शोध शोध वर्ण लिख, बत्तीस तुकांत प्यार ।
सार प्यार देख कर, यामिनी द्रवित हुई
चाँद रोहिणी नक्षत्र , पत्र पत्रिका विचार।
रोहिणी सुअर्थ लाल , पाँच तारिका समूह
दक्ष की सुता प्रबल, चंद्र प्रेमिका विहार।
राजकिशोर मिश्र 'राज' प्रतापगढी