25 जून 2022
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1942 में यू . पी के मुरादाबाद में जन्में नरेश वर्मा , पेशे से भले ही इंजीनियर रहे हैं किंतु उनका झुकाव सदैव से कला और साहित्य की ओर रहा है ।जबलपुर प्रवास के दिनों में वह दस वर्षों तक रंगमंच से जुड़े रहे ।देहरादून में स्थाई रूप से बसने के बाद ,उन्होंने संपूर्ण रूप से स्वयं को साहित्य साधना में समर्पित कर दिया।वर्मा जी द्वारा लिखित एवं प्रकाशित पुस्तकें-(१)-“आनंद एक खोज” पुस्तक ,जीवन जीने का मार्ग प्रशस्त करती है ।(२)- “ देसी मैन विद् अंकल सैम “ यह पुस्तक वर्मा जी के अमेरिकी प्रवास के रोचक संस्मरणों का लेखा जोखा है । (३)- “लाइन पार”- वर्ष १९४६-४७ के राजनीतिक उठापटक के मध्य दो विपरीत समुदाय के युवाओं की प्रेम कहानी को रेखांकित करता भावनात्मक उपन्यास ।(४)- “ कर्म योगी”- दिवंगत श्री ओमप्रकाश जी की बायोग्राफ़ी (५) “सदाबहार “- कहानी संग्रह- १५ कहानियों का ऐसा गुलदस्ता जिसके हर फूल में भिन्न रंग और महकती ख़ुशबू है। इसके अतिरिक्त अब तलक ३०-३५ कहानियाँ , समय-समय पर विभिन्न पत्रिकाओं एवं ऑनलाइन साहित्यिक एप पर प्रकाशित होती रही हैं एवं पाठकों द्वारा सराही गई हैं। जीवन की लंबी मैराथन दौड़ से प्राप्त अनुभवों का निचोड़ वर्मा जी की रचनाओं में साफ़ झलकता है ।गूढ़ विषयों को भी भाषा की सहजता एवं सरलता से प्रस्तुत करने की कला का साक्ष्य उनकी लेखनी में झलकता है । प्रस्तुत उपन्यास-उद्बोधिता, को उनकी सर्वश्रेष्ठ कृतियों के समानांतर रखा जा सकता है ।नारी ,प्रेम और ब्रह्मचर्य के त्रिकोण में उलझी कहानी हर पल एक नये मोड़ से गुजरती है । D