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मंथरा

15 अप्रैल 2022

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रामायण में मंथरा का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है यदि मंथरा नहीं होती तो रामायण इस प्रकार से घटित नहीं होती जैसे कि वह हुई है ।

मंथरा राजा दशरथ के पुत्रो और पुत्रवधुओं के जीवन में आई हुई सारी विपत्तियों एवं संकटों का मूल कारण रही है।
मंथरा में न केवल उनका बुरा किया जिनका वह बुरा करना चाहती थी बल्कि उसके कृत्यों से उनका भी बुरा हुआ जिला का भला करने के उद्देश्य से वह काम कर रही थी।

     मंथरा ने न केवल राम लक्ष्मण और शत्रुघ्न के जीवन में कष्टों और समस्याओं को जन्म दिया बल्कि वह कैकयी भरत और और भरत की पत्नी के जीवन में आई समस्याओं के लिए भी उतनी ही उत्तरदायी थी। मंथरा के द्वारा दी गई सलाह के कारण ही कैकेयी को न केवल विधवा होना पड़ा बल्कि उसके पुत्र ने भी उसका आदर नहीं किया और कैकेयी के पुत्र को भी 14 वर्ष तक बनवासी का जीवन बिताना पडा।

मंथरा राम की पत्नी सीता और उनके साथ साथ भरत लक्ष्मण शत्रुघ्न की पत्नी के जीवन में आए हुए कष्टों का भी मूल कारण रही है ।
मंथरा के कारण ही लक्ष्मण की पत्नी उर्मिला को भीअपने पति से 14 वर्षों तक अलग रहना पड़ा इसी प्रकार भरत और शत्रुघ्न भी बनवासी के रूप में ही नंद ग्राम में रहे और उनकी पत्नियों को भी अपने पति से अलग रहना पड़ा ।यदि मंथरा नहीं रही होती तो
न राम को बन जाना पड़ता, न सीता का अपहरण होता ,न सीता का परित्याग होता और न ही सीता को पृथ्वी में प्रवेश करना पड़ता।

अब प्रश्न यह उठता है कि मंथरा कौन थी और वह इतनी अधिक महत्वपूर्ण क्यों है।

मंथरा वस्तुतः कैकेयी की ऐसी दासी थी जो कैकेयी के मायके से उसके विवाह के समय से ही साथ में आई हुई थी।

 जब राजा दशरथ की सबसे छोटी रानी कैकेयी को उसकी दासी मंथरा ने भगवान श्री राम के राज्याभिषेक की सूचना दी तो रानी कैकेयी अति प्रसन्न हुई और उसने उसे पुरस्कार के रुप में एक बहुत ही सुंदर दिव्य आभूषण प्रदान किया और यह भी बोला कि इतना शुभ समाचार सुनाने के लिए इसके अलावा और उसका कौन सा उपकार करे।

दासी मंथरा अपनी रानी कैकेयी के द्वारा दिए गए इस पुरस्कार से प्रसन्न नहीं हुई और उसने कैकेयी को राम राजा दशरथ और कौशल्या के विरुद्ध लगातार भड़काना जारी रखा और यह कहा कि अंततः इससे भरत का और उसका स्वयं का का अनिष्ट होगा। दासी मंथरा के बार-बार प्रेरित करने पर ही महारानी कैकेयी राजा दशरथ से भगवान राम को 14 वर्ष के लिए वन भेजने और अपने पुत्र भरत का राज्याभिषेक करने का वर मांगने के लिए प्रेरित हुई।

अब प्रश्न यह उठता है कि क्या दासी मंथरा अपनी महारानी कैकेयी का बुरा करना चाहती थी और उसके ऐसा करने के पीछे क्या कोई ऐसा उद्देश्य था कि उसके कृत्य से महारानी कैकेयी अथवा उसके पुत्र भरत को कोई कष्ट या हानि हो?

बिल्कुल भी नहीं।

दासी मंथरा ने जो कुछ भी किया वह अपनी प्रिय कैकेयी का भला करने और उसे सुखी रखने के उद्देश्य से ही किया। रानी कैकेयी का भला इससे अधिक क्या भला हो सकता था कि उसका पुत्र राजा हो और वह राजमाता के रूप में अपने ससुराल में सब पर शासन करें। उसके पास अथाह संपत्ति एकत्रित हो और उस संपत्ति के बूते पर वह ससुराल में सबसे महत्वपूर्ण रहे और उसके वे संभावित विरोधी सदैव के लिए नष्ट हो जाएं जिन से उसे हानि होने की कण मात्र भी संभावना हो। वह कैकेयी के हित के लिए उसके पति के जीवन को भी दांव में लगा सकती थी और उसने राजा दशरथ के मृत्यु को प्राप्त होने और उनका राज्य नष्ट होने के ऊपर अपने मायके के पुत्री के हित को महत्व दिया।

कैकेयी मंथरा से इतनी अधिक प्रभावित क्यों हुई?

कैकेयी के इतने शीघ्र प्रभावित होने का भी यही कारण था कि दासी मंथरा उसके मायके से आई हुई थी और इस नाते यह माना जाता था कि वह अपने रानी के बारे में सब कुछ अच्छा ही बोलेगी या अच्छा ही कहेगी। मंथरा ने वास्तव में यही किया। वह कैकेयी के भले के उद्देश्य से ही प्रेरित थी ,उसका भला ही चाहती थी और उसके भले के लिए कुछ भी करने को तत्पर थी। इसीलिए कैकेयी अपने पति के इस हद तक विरुद्ध जाने को तत्पर हो गई कि भले ही उसके कारण उसके पति को मृत्यु प्राप्त हो लेकिन उसके हित प्रभावित न हो। यद्यपि वह यह समझ ही नहीं सकी कि उसका हित किसमें हैं और उसके लिए अपना परिवार ,अपना पति और अपने पुत्र इन सब को समग्र रूप से लेकर चलना और उनके हित के लिए काम करना महत्वपूर्ण है न कि उसका अपना व्यक्तिगत स्वार्थ।

किंतु दासी मंथरा ने जो कुछ भी किया उसके रघुकुल के सभी पक्षों को कष्ट और हानि उठानी पड़ी तथा उससे सभी को नुकसान हुआ उससे उसकी प्रिय रानी कैकेयी एवं उसके पुत्र को भी हानि उठानी पड़ी और उन्हें भी कष्ट उठाना पड़ा।

ऐसा क्यों हुआ?

ऐसा इसलिए हुआ कि दासी मंथरा रानी कैकेयी के मायके से गई थी, इसलिए वह सभी पक्षों को ध्यान नहीं रख सकती थी।
 उसके लिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण कृत्य अपनी मायके की रानी कैकेयी को लाभ पहुंचाना था ,भले ही इसके कारण उस के कुल को ,उसके पति को और उसके परिवार के दूसरे लोगों को कष्ट उठाना पड़े। उसकी संपूर्ण निष्ठा अपने मायके की लड़की के प्रति थी उसके पति और उसके परिवार के प्रति नहीं थी और अपने मायके की पुत्री के लिए उसके पूरे परिवार के सदस्यों को दांव पर लगा सकती थी। उसके लिए कैकयी की ससुराल के अन्य सदस्य महत्वपूर्ण नहीं थे और वह ससुराल के सदस्यों के लिए अपने मायके के पुत्री के हित को प्रभावित होते हुए नहीं देख सकती थी। वह संपूर्ण परिवार को समग्रता से देख ही नहीं सकती थी।

वे सभी महिलाएं जो अपने मायके की पुत्री को उसके ससुराल के मामले में सलाह देती हैं वस्तुतः मंथरा ही होती है भले ही वह अपनी पुत्री या मायके की लड़की के लाभ और उसके सुखी जीवन के लिए प्रेरित हो या सुखी जीवन की कामना करती हों किंतु उनके कहे गए और किए गए कृत्यों से अंततः उनके मायके की पुत्री को नुकसान ही उठाना पड़ता है क्योंकि ऐसे सलाहकार मंथराये केवल अपनी पुत्री या अपने मायके की लड़की के भले से ही प्रेरित होती हैं उसके परिवार से नहीं और वह ऐसी पुत्रियों को उसके परिवार से विमुख कर देती हैं ,जिससे उस पुत्री या उस लड़की को ही हानि उठानी पड़ती है, जिसके लाभ के उद्देश्य से यह सारी व्यूह रचना की जाती है।

 यदि कोई स्त्री अपने मायके की किसी महिला से सलाह लेती है तो वह निश्चित तौर पर उसके भले के उद्देश्य से दी गई प्रतीत हो सकती है किंतु ऐसी सलाह उसका भला करेगी इसकी संभावना बहुत ही कम है क्योंकि ऐसी स्थिति में वह उसके परिवार के दूसरे लोगों के हित को ध्यान में नहीं रखेगी और अंततः ऐसी लड़की को अपने परिवार से विमुख करके उसका बेड़ा गर्क ही करेगी।

 इसलिए ऐसी प्रत्येक महिला जो किसी पुत्री को या किसी लड़की को उसके ससुराल के मामले में सलाह देती है वह मंथरा ही होती है और यदि कोई महिला ऐसी मंथराओं से सलाह लेकर अपना जीवन चलाती है तो वह अपने परिवार और अपने कुल को नष्ट करती है। यही नहीं ऐसा करके अपने,पति, पुत्र और परिवार के दूसरे सदस्यों को भी हानि ही पहुंचाती है। वह ऐसा करके स्वयं अपना बुरा ही करती है और अंततः न केवल अपने परिवार को बल्कि अपने आप को नष्ट करती हैं।

इसलिए यदि कहीं पर यह देखें किसी महिला के पुत्र उत्कर्ष को प्राप्त नहीं कर रहे हैं अथवा उसके परिवार में कोई समस्याएं उत्पन्न हो रही है तो इसका परीक्षण अवश्य करें कि ऐसी महिलाओं को किसी मंथरा की सलाह तो प्राप्त नहीं हो रही है और ऐसी महिला किसी न किसी मंथरा की सलाह पर काम तो नही कर रही है?

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