क्या आपने कभी सोचा है इस धरती पर हम सभी किसकी वजह से हैं ?क्या इस जिंदगी में हम अपने माता पिता का ऋण चुका सकते हैं ? वो माँ जिसने तुम्हारे अस्तित्व के लिए अपना सब कुछ वार दिया हो या वो पिता जो तुम्हारे होने की खुशी में अपना सब कुछ भुला बैठा हो ,फिर वही माँ बाप एक दिन आपको बोझ लगने लगें और उनसे छुटकारा पाने के अनगिनत उपाय सोचे जाते हों,वैसे भी ये सब सिर्फ माता पिता बनने के बाद ही समझ आता है उससे पहले कभी नहीं । माँ बाप का लाड़ दुलार बड़े नसीब वालों को ही मिलता है ,प्रत्येक के जीवन में ये खुशी नसीब नहीं होती ।इस दुनिया में सिर्फ माँ और पिता का प्यार ही निस्वार्थ है बाकी सभी के लिए कुछ न कुछ मोल चुकाना पड़ता है ।जब तुम छोटे थे तो एक ही शब्द को बार बार पूछते थे लेकिन जब वही माता पिता एक से दूसरी बार कुछ पूछते हैं तो तुम कितने झुंझलाने लगते हो । जिस तरह बचपन में तुम्हें माँ बाप के प्यार की जरूरत होती है उसी तरह माँ बाप को भी तुम्हारे ध्यान की जरूरत होती है ।
माँ जैसा न कोई है न होगा कभी
पिता के धैर्य का जवाब नहीं ।
माँ ने दिया है गर दूध भरा आँचल
पिता के फर्ज का हिसाब नहीं
लगती है चोट तो माँ ही याद आती है
पिता के बिन मायके की सूरत बदल जाती है
माँ अक्सर दुःख में लाड़ लड़ाती है
पिता की गोद में जन्नत नजर आती है
बड़े ही किस्मत वाले हो तुम जो
माँ की ममता में पलकर बड़े हुए
गर्व करोगे खुद की किस्मत पर
जो पिता के साये में तनकर खड़े हुए हो
माँ के प्यार की एक बोली ही काफी है
पिता की चिंता ही संबल है बच्चों का
माँ बिन तेरे किससे कहें दुःख अपना
पिता के बिना लगती सूनी कायनात है ।
वर्षा वार्ष्णेय अलीगढ़
1/6/22@@@@@