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माता सुमित्रा का त्याग

5 अप्रैल 2022

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रामराज्य का आदर्श प्रस्तुत करने के लिए केवल श्रीराम ही नहीं राम चरित्र मानस के प्रत्येक पात्र की अपनी एक अहम भूमिका रही है। इसमें महारानी सुमित्रा का त्याग भी कुछ कम नहीं है। महारानी सुमित्रा त्याग की साक्षात प्रतिमा थीं। जब भगवान श्रीराम वन जाने लगे तब लक्ष्मण जी ने भी उनसे स्वयं को साथ ले चलने का अनुरोध किया। पहले भगवान श्रीराम ने लक्ष्मणजी को अयोध्या में रहकर माता-पिता की सेवा करने का आदेश दिया लेकिन लक्ष्मण ने किसी प्रकार से श्रीराम के बिना अयोध्या में रुकना स्वीकार नहीं किया। अन्त में श्रीराम ने लक्ष्मण को माता सुमित्रा से आज्ञा लेकर अपने साथ चलने को कहा। उस समय विदा माँगने के लिये उपस्थित लक्ष्मण को माता सुमित्रा ने जो उपदेश दिया। उसमें भक्ति, प्रीति, त्याग, पुत्र-धर्म का स्वरूप, समर्पण आदि श्रेष्ठ भावों की सुन्दर अभिव्यक्ति हुई है।  

माता सुमित्रा ने लक्ष्मण को उपदेश देते हुए कहा- बेटा! विदेह नन्दिनी श्रीजानकी ही तुम्हारी माता हैं और सब प्रकार से स्नेह करने वाले श्रीराम ही तुम्हारे पिता हैं। जहाँ श्रीराम हैं, वहीं अयोध्या है और जहाँ सूर्य का प्रकाश है वहीं दिन है...यदि सीता-राम वनको जा रहे हैं तो अयोध्या में तुम्हारा कुछ भी काम नहीं है।   

जगत में जितने भी पूजनीय सम्बन्ध हैं। वे सब श्रीराम के नाते ही पूजनीय और प्रिय मानने योग्य हैं। संसार में वही युवती पुत्रवती कहलाने योग्य है। जिसका पुत्र श्रीराम का भक्त है। श्रीराम से विमुख पुत्र को जन्म देने से निपूती रहना ही ठीक है। तुम्हारे ही भाग्य से श्रीराम वन को जा रहे हैं। हे पुत्र! इसके अतिरिक्त उनके वन जाने का अन्य कोई कारण नहीं है।  

समस्त पुण्यों का सबसे बड़ा फल श्रीराम-सीता के चरणों में स्वाभाविक प्रेम है। हे पुत्र! राग, रोष, ईर्ष्या, मद आदि समस्त विकारों पर विजय प्राप्त करके मन, वचन और कर्म से श्रीराम- सीता की सेवा करना इसी में तुम्हारा परम हित है।

श्रीराम और सीता...लक्ष्मण के साथ वन चले गये। अब हर तरह से माता कौसल्या को सुखी बनाना ही सुमित्राजी का उद्देश्य हो गया। वे उन्हीं की सेवा में रात-दिन लगी रहती थी। अपने पुत्रों के विछोह के दुःख को भूलकर कौसल्याजी के दुःख में दुखी और उन्हीं के सुख में सुखी होना माता सुमित्रा का स्वभाव बन गया।   

जिस समय उन्हें लक्ष्मण को शक्ति लगने का संदेश मिलता है...तब उनका रोम-रोम खिल उठता है। वे प्रसन्नता और उत्सर्ग के आवेश में बोल पड़ती हैं- लक्ष्मण ने मेरी कोख से जन्म लेकर उसे सार्थक कर दिया। उसने मुझे पुत्रवती होने का सच्चा गौरव प्रदान किया है। इतना ही नहीं, वे श्रीराम की सहायता के लिये शत्रुघ्न को भी युद्ध में भेजने के लिये तैयार हो जाती हैं। माता सुमित्रा के जीवन में सेवा, संयम और सर्वस्व-त्याग का अद्भुत समावेश है। माता सुमित्रा जैसी देवियाँ ही भारतीय कुल की गरिमा और आदर्श हैं।

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रचनाएँ
रामायण की कहानियाँ और शिक्षा
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आखिर यह रामायण है क्या? इससे क्या सीखना है? इसका मनन क्यों करें? राजा दशरथ का अंजाने में श्रवण कुमार की हत्या करना, उनका श्रापित होना, कैकेयी का वचन, राजा दशरथ का अपने प्रिय पुत्र का मरणासन्न वियोग, राम का 14 साल का वनवास, लक्ष्मण का भाई प्रेम, उर्मिला का निश्छल पति वियोग, भरत का वचन, रावण का अहंकार, मंदोदरी की सरलता, हनुमानजी की स्वामीभक्ति, बाली-सुग्रीव का छल, सुपर्णखा का मर्यादा ... तो इस पुस्तक में कुछ प्रसंग हैं जो रामायण के उज्ज्वल पवित्र चरित्रों से आपका परिचय करवा कर रामायण क्या है? आपको यह बताने का प्रयास करेंगे।
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आमुख

5 अप्रैल 2022
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आखिर यह रामायण है क्या? इससे क्या सीखना है? इसका मनन क्यों करें? तो इस पुस्तक में कुछ प्रसंग हैं जो रामायण के उज्ज्वल पवित्र चरित्रों से आपका परिचय करवा कर रामायण क्या है? आपको यह बताने का प्रयास करे

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माता सुमित्रा का त्याग

5 अप्रैल 2022
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रामराज्य का आदर्श प्रस्तुत करने के लिए केवल श्रीराम ही नहीं राम चरित्र मानस के प्रत्येक पात्र की अपनी एक अहम भूमिका रही है। इसमें महारानी सुमित्रा का त्याग भी कुछ कम नहीं है। महारानी सुमित्रा त्याग की

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राम केवट प्रसंग

5 अप्रैल 2022
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गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरितमानस में श्री राम-केवट संवाद का बहुत मार्मिक व सुंदर चित्रण किया है। पिता की आज्ञा पाकर श्री राम अपने भाई और अपनी भार्या को लेकर प्रस्थान करते हैं। रास्ते में उनको गंगा

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नवधा भक्ति

5 अप्रैल 2022
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क्या है नवधा भक्ति श्री राम ने बताया मां शबरी को नवधा भक्ति कैसी होती है । दंडकारण्य में भक्ति-श्रद्धा सम्पन्न एक वृद्धा भीलनी रहती थीं जिनका नाम था शबरी। एक दिन वह घूमती हुई पंपा नामक पुष्करिणी के प

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विद्वान और विद्यावान में अन्तर

5 अप्रैल 2022
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विद्यावान गुनी अति चातुर। राम काज करिबे को आतुर॥  एक होता है विद्वान और एक विद्यावान।   दोनों में आपस में बहुत अन्तर है। इसे हम ऐसे समझ सकते हैं, रावण विद्वान है और हनुमान जी विद्यावान हैं।  रावण

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माँ शबरी और राम की वार्ता

5 अप्रैल 2022
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एक टक देर तक उस सुपुरुष को निहारते रहने के बाद बुजुर्ग भीलनी के मुँह से स्वर फूटे।   कहो राम ! सबरी की डीह ढूँढ़ने में अधिक कष्ट तो नहीं हुआ ?  राम मुस्कुराए यहाँ तो आना ही था माँ !  कष्ट का क्या

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कणे कणे रमते इति राम:

5 अप्रैल 2022
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भगवान राम कौन थे ? भगवान राम राजा दशरथ के ज्येष्ठ पुत्र थे। त्रेता युग में आये थे। उन्हें उनके गुरु श्री वशिष्ठ जी ने शिक्षा दी थी। राजा जनक की पुत्री जानकी जी से उनका विवाह हुआ। वे पिता और माता की आज

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सत्य और समर्पण

5 अप्रैल 2022
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मनुष्य का जीवन क्रम भी एक यज्ञ के समान है...और यह यज्ञ सत्य और समर्पण के बिना अधूरा होता है। रामजी सत्य हैं और लक्ष्मणजी हैं समर्पण। जब तक राम रूपी सत्य और लक्ष्मण रूपी समर्पण हमारे जीवन में नहीं आयेग

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सप्त ऋषि

5 अप्रैल 2022
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सप्तऋषि या सप्तर्षि का अर्थ है सात ऋषि। ये सातों ऋषि प्राचीन भारत के ऋषि हैं। जिनका जिक्र वेदों और अन्य हिंदू ग्रंथों में मिलता है। वैदिक संहिता में इन ऋषियों की संख्या के बारे में कोई विवरण नहीं है ल

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प्रथम रामायण

5 अप्रैल 2022
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सबसे पहले हमारे हनुमान जी महाराज ने रामायण लिखी थी। पत्थरों की सलाह पर... राम कथा का लेखन किया था। अपने नाखून से बाल्मीकि को दिखाया...देखो महाराज मैंने भी राम कथा लिखी है। बाल्मीकि जी ने जब हनुमान जी

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हनुमान जी का कर्ज़ा

5 अप्रैल 2022
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राम जी लंका पर विजय प्राप्त करके आए तो कुछ दिन पश्चात राम जी ने विभीषण, जामवंत, सुग्रीव और अंगद आदि को अयोध्या से विदा कर दिया।   तो सब ने सोचा हनुमान जी को प्रभु बाद में विदा करेंगे.. लेकिन राम जी न

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मृत्यु के 14 प्रकार

6 अप्रैल 2022
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राम-रावण युद्ध चल रहा था...तब अंगद ने रावण से कहा- तू तो मरा हुआ है...मरे हुए को मारने से क्या फायदा ? रावण बोला–मैं तो जीवित हूँ...मैं मरा हुआ कैसे ? अंगद बोला - सिर्फ साँस लेने वालों को जीवित नहीं

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हनुमान के अजर अमर होने का प्रमाण

6 अप्रैल 2022
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पवनपुत्र हनुमानजी के अजरअमर होने के दस प्रामाणिक साक्ष्य हैं। जिन्हें पढ़कर आप सब हनुमान जी के परम भक्त बन जाएंगे। कलयुग में अगर सुखी रहना चाहते हैं तो हनुमान जी की पूजा अवश्य करनी चाहिए। हनुमान जी

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माता सीता के भाई कौन थे

6 अप्रैल 2022
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देवी सीता मिथिला के राजा जनक की ज्येष्ठ पुत्री थीं इसलिए उन्हें 'जानकी' भी कहा जाता है। कहते हैं कि राजा जनक को माता सीता एक खेत से मिली थी। इसीलिए उन्हें धरती पुत्री भी कहा जाता है। लक्ष्मण, भारत और

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माता शबरी

6 अप्रैल 2022
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भगवान राम जब वनवास में थे तब उनकी मुलाकात शबरी से हुई। शबरी का असली नाम श्रमणा था...जो एक भील समुदाय से थी। शबरी का विवाह एक भील कुमार से हुआ था। शबरी के पिता भील जाति के मुखिया थे। शबरी का हृदय बहुत

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बाली का घमंड

6 अप्रैल 2022
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यह कथा तब की है जब बाली को ब्रह्मा जी से ये वरदान प्राप्त हुआ था कि जो भी उससे युद्ध करने उसके सामने आएगा। उसकी आधी ताक़त बाली के शरीर में चली जाएगी और इससे बाली हर युद्ध में विजयी रहेगा।   सुग्रीव और

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सुग्गा-सुग्गी द्वारा माता सीता को शाप

6 अप्रैल 2022
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प्राचीनकाल में मिथिला नगर में सीरध्वज जनक नाम से प्रसिद्ध धर्मात्मा राजा राज्य करते थे। एक बार राजा जनक यज्ञ के लिए पृथ्वी जोत रहे थे। उस समय चौड़े मुंह वाली सीता (हल के धंसने से बनी गहरी रेखा) से एक

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प्रभु राम और शबरी संवाद

6 अप्रैल 2022
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एक टक देर तक उस सुपुरुष को निहारते रहने के बाद वृद्धा भीलनी के मुंह से स्वर फूटे- कहो राम, शबरी की कुटिया को ढूंढ़ने में अधिक कष्ट तो नहीं हुआ। राम मुस्कुराए,यहां तो आना ही था मां, कष्ट का क्या मोल। 

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राजा दिलीप धैर्य के सा अपने धर्म का पालन करते थे। धन एकत्रित करने में उनको किसी प्रकार का लोभ नहीं सताता था। लोभ का त्याग करके ही वे धन का संग्रह करते थे। इसी तरह संसार के सुख का भी उनमें किसी प्रकार

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हनुमान जी ने किया था विवाह

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आंध्रप्रदेश के खम्मम जिले में बना हनुमान जी का मंदिर काफी मायनों में खास है। यहां हनुमान जी अपने ब्रह्मचारी रूप में नहीं बल्कि गृहस्थ रूप में अपनी पत्नी सुवर्चला के साथ विराजमान है।  हनुमान जी के सभी

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लंका दहन कैसे हुआ

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सुन्दरकांड में श्री हनुमानजी ने लंका का दहन किया परन्तु श्रीराम जी ने तो ऐसा कोई आदेश उन्हें नहीं दिया था। फिर भी हनुमानजी ने लंका जला डाली। प्रभु ने तो हनुमान जी को सीताजी के सम्मुख अपने बल और विरह

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सत्संग बड़ा है या तप

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एक बार विश्वामित्र जी और वशिष्ठ जी में इस बात पर बहस हो गई, कि सत्संग बड़ा है या तप।  विश्वामित्र जी ने कठोर तपस्या करके ऋध्दी-सिध्दियों को प्राप्त किया था इसीलिए वे तप को बड़ा बता रहे थे।  जबकि वशि

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