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मड़फा आश्रम, सुतीक्ष्ण व सरभंग आश्रम

18 जनवरी 2024

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मड़फा पहाड़********

भरतकूप क्षेत्र में बीहड़ जंगल में लगभग ढाई सौ मीटर ऊंची पहाड़ी पर स्थित मरपा पहाड़ है इसी पहाड़ पर मांडव ऋषि का आश्रम था जिसके कारण इसका मांडव ऋषि का अपभ्रंश रूप होकर मड़फा पहाड़ के नाम से जाना जाने लगा । यहां पर भगवान शिव की नृत्य रत मुद्रा मे पंचमुखी बहुत ही प्राचीन प्रतिमा है । मान्यता है कि इनके दर्शन से प्राणी को पुनर्जन्म से मुक्ति मिल जाती है ।
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एक समय इस स्थान में कण्व ऋषि का आश्रम था । ऋषि विश्वामित्र मेनका पुत्री शकुंतला उनकी पालित पुत्री थी । शकुंतला ने यहीं पर भरत को जन्म दिया था । एक तालाब भी है जिसमें स्नान की मान्यता है यह तालाब भी अपने आप में एक तीर्थ स्थान कहा गया है ।

कहा जाता है कि जैन धर्म के प्रवर्तक  भगवान आदिनाथ भी यहां पर तपस्या के लिए उस दिन ठहरे थे । इस समय मंदिर पुरातत्व विभाग की प्राचीन धरोहर में आ गया है । यहां न्यग्रोध कुंड है । हर सोमवार को धार्मिक ऐतिहासिक पौराणिक महत्व का होने के कारण यहां पर मेला लगता है । 

यहां पर ब्रह्मा ,अत्रि , अगस्त व बाल्मीकि सभी ने तप किया है । इसी क्षेत्र के कारण ब्रह्मांड के सबसे श्रेष्ठ स्थल के रूप में चित्रकूट का नाम लिया जाता है

सुतीक्ष्ण आश्रम ********
ये अगस्त ऋषि के शिष्य थे । ये बहुत ही सरल हृदय गुरूभक्त थे ।

मुनि अगस्ति कर शिष्य सुजाना ।नाम सुतीछन रति भगवाना (अरण्यकाण्ड)

भगवान राम जब इनके आश्रम आये तो इन्होने उनके आगमन की सूचना अपने गुरू अगस्त्य ऋषि को दी थी । 

तुरत सुतीक्षण गुरु पहिं गयउ ,
करि दंडवत कहत अस भयउ ( मानस अरण्यकांड 
सरभंग आश्रम *********

रामायण मे भी सरभंग आश्रम का वर्णन आता है । वनवास काल में भगवान राम जी के दर्शन कर स्वयं चिता सजा योगाग्नि से प्राण त्याग ब्रह्मलीन हो गये थे ।
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सुतीक्ष्ण आश्रम से 4 किलोमीटर दूर सरभंगाश्रम है ।चित्रकूट  से 40 किमी है। यहां पर 2 कुंड  है । एक ब्रह्म कुंड है ब्रह्मा जी ने स्नान कर कहा था****
बार-बार गंगा तो एक बार सरभंगा  

संभार पर्वत के पूरब में दुधमुनिया कुंड है । सरभंग ऋषि ने दूध की धारा उत्पन्न की थी इसका जल दूध जैसा है । यहां पर मंदिर में राम, लक्ष्मण व सीता जी की मूर्तियां है ।बरसात मे बहुत सुहावने प्राकृतिक झरना बहते हैं ।प्राचीन पत्थर के शिवलिंग भी हैं । सरभंग ऋषि की मूर्ति भी है ,ये प्राचीनकाल की ही प्रतीत होती है । बहुत मनोरम स्थान है ।

सिद्धा पहाड़*******
सरभंगा आश्रम से जैतवारा की ओर जाने पर 1 किलोमीटर पर सिद्ध पहाड़ है यहां पर एक राक्षस ने तपस्यारत तपस्वियों को खाकर हड्डियों का ढेर लगा दिया था । आज भी खुदाई में अस्थियों के अवशेष मिलते हैं रामचरितमानस में भी कहा गया है

अस्थि समूह देखि रघुराया ।
पूंछिहि मुनिहि लागि अति दाया । 

निश्चरहीन  करहु महि भुज उठाइ पन कीन्ह । 
सकल मुनिन्ह आश्रमन्हि जाइ-जाइ पन कीन्ह 


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रचनाएँ
पावन चित्रकूट
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प्रस्तावित पुस्तक में मैने अपनी भावी पीढ़ी को कहानी के माध्यम से ऐतिहासिक ,धार्मिक स्थल चित्रकूट के बारे में जानकारी देते हुए अपनी संस्कृति से परिचित कराने का छोटा सा प्रयास किया है ।आपको यह कोशिश कैसी लगी समीक्षा देकर अपने विचार अवश्य बतायें। चित्रकूट भारत के सबसे प्रसिद्ध प्राचीन तीर्थ स्थलों में से एक है । आइये पुस्तक में अवलोकन करते हैं परम पावन रमणीय चित्रकूट के दर्शनीय स्थलों का । " जय श्रीराम"
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महिमा चित्रकूट की (1)

11 जनवरी 2024
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दादी जी दादी जी!! "आज आप हमें चित्रकूट के बारे में अच्छे से जानना चाहते हैं वहां ऐसी क्या विशेषता थी कि भगवान राम जी ने अपने 14 वर्ष के वनवास काल के 12 वर्ष वहीं बिताये"?जरूर कृष्णा बेटा आज तुम स

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दर्शनीय स्थल (2)

11 जनवरी 2024
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इसी चित्रकूट में श्री रामचंद्र जी ने माता पिता द्वारा दिये गये 14 वर्ष के वनवास में 12 वर्ष यहीं गुजारे थे।महर्षि अत्रि व पत्नी अनुसूया की यह पवित्र तपोस्थली थी । यह धर्म की नगरी कही जाती

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पावन पवित्र स्थल

12 जनवरी 2024
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मन्दाकिनी नदीनदी के विहंगम दृश्यों पर नजर डालने से यहां के घाट बनारस की याद ताजा कर जाते हैं । यहां शाम को बनारस की ही तरह आरती और कीर्तन होते है ।दीपावली अमावस की काली रात मे प्रज्वलित दी

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प्रमुख और रमणीय स्थल

12 जनवरी 2024
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मुख्य देव कामदगिरि *****कामद गिरि की विशेषता है कि यह हर ओर से देखने मे धनुषाकार ही दिखता है।यह चित्रकूट का सबसे प्रमुख स्थान है ।इसका कामदगिरि के नाम से संरक्षण ट्रस्ट भी है । यह भगवान के

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चित्रकूट में भरत-लक्ष्मण

12 जनवरी 2024
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भरत मिलाप *********बच्चो रामचन्द्र जी पिता की आज्ञा मानकर 14 वर्ष को पत्नी सीता व भाई लक्ष्मण के साथ वन को चले जाते अयोध्या में कैकेयी पुत्र भरत व सुमित्रा नन्दन शत्रुघ्न लौटकर

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चित्रकूट में जानकीकुंड

16 जनवरी 2024
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जानकीकुंड ********रामघाट से 2 किलोमीटर मंदाकिनी नदी के किनारे (जनक सुता होने के कारण सीता जी को जानकी भी कहा गया है) मान्यता है सीता जी यहां स्नान करती थी ।जानकी कुंड में रामभद्राचार्य जी जो तुलसी पीठ

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अनुसूया आश्रम व गुप्त गोदावरी

16 जनवरी 2024
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ये दोनो स्थान चित्रकूट के चारधाम के अन्तर्गत आते है ।अनुसूया आश्रमजानकीकुंड से 14 किलोमीटर की दूरी पर घने जंगलों से घिरा यह स्थान है । पहले बहुत निर्जन होने के कारण यहां पर लोग अकेले नहीं जाते थे । यह

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संकर्षण गिरि में हनुमानधारा

16 जनवरी 2024
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कामदगिरि के पूर्व दिशा में एक संकर्षण गिरि है ।इसी पहाड़ी के शिखर पर स्थित हनुमान धारा में पहाड़ के सहारे टिकी हनुमान जी की विशाल मूर्ति है मूर्ति के ठीक ऊपर पहाड़ मे 2 कुंड हैं जिनका जल मूर्ति क

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चित्रकूट भरत कूप

18 जनवरी 2024
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भरतकूप*******भरत जी जब रामचंद्र जी को मनाने अयोध्या से चित्रकूट आए थे तब उन्होने रामचंद्र जी के राज्याभिषेक के लिए साथ में सभी तीर्थों का जल ले लिया था लेकिन प्रभु पित्राज्ञा से 14 वर्ष के

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मड़फा आश्रम, सुतीक्ष्ण व सरभंग आश्रम

18 जनवरी 2024
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मड़फा पहाड़********भरतकूप क्षेत्र में बीहड़ जंगल में लगभग ढाई सौ मीटर ऊंची पहाड़ी पर स्थित मरपा पहाड़ है इसी पहाड़ पर मांडव ऋषि का आश्रम था जिसके कारण इसका मांडव ऋषि का अपभ्रंश रूप होकर मड़फा पहाड़ के

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बाल्मीकि आश्रम

21 जनवरी 2024
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रामदर्शन ********यह सतना चित्रकूट मार्ग पर आरोग्यधाम के आगे रास्ते मे है ।यह एक संग्रहालय है यहां राम जी व रामायण काल से सम्बंधित वस्तुये है ।एक चित्रगैलरी मे बिजलीचालित रामायण कथा दिखाई जाती है । यहा

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शबरी प्रपात

21 जनवरी 2024
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बांके सिद्ध आश्रम *******बांके सिद्ध अनसूया जी के भाई सांख्य दर्शन के प्रणेता कपिल मुनि का स्थान कहा जाता है । इस गुफा में लगभग 15- 20000 वर्ष पहले के प्राकृतिक शैल भित्ति चित्र हैं जो प्रशासन क

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