मैने हरदम अपनी रचना में शाम को ही शाम लिक्खा है
बेची नही लेखनी कभी मेैने ना ही उसका दाम लिक्खा है
और कैसे बखानूँ मैं अपने श्री राम की महिमा चंद शब्दो में
पंक्ति मुकम्मल हो जाती है जिसमें जय श्री राम लिक्खा है
अभिषेक द्विवेदी