shabd-logo

आज अचानक

21 फरवरी 2022

18 बार देखा गया 18
आज अचानक मुझे
उन लम्हो की याद आई,
वो भी क्या वक्त था।
जब हम अपने दोस्तो के साथ,
खुब मजे से दिन भर खेला करते थे।
न किसी का डर न किसी की डाट,
बस अपनी ही धुन मे रहा करते थे।

आजकल के बच्चे भी दिन भर,
मोबाइल मे गेम खेला करते है।
उन्हे भी न किसी का डर न किसी की डाट,
बस अपनी ही धुन मे रहा करते है।
फर्क बस इतना सा है,
हम अपनो के साथ खेला करते थे
ओर अब मोबाइल के साथ खेला करते है।
आज अचानक मुझे उन लम्हो की याद आई।


3
रचनाएँ
मेरी कविताएँ
0.0
इसमे मेरे द्वारा लिखी गई स्वरचित कविताएँ है।
1

आज अचानक

21 फरवरी 2022
0
0
0

आज अचानक मुझेउन लम्हो की याद आई,वो भी क्या वक्त था।जब हम अपने दोस्तो के साथ,खुब मजे से दिन भर खेला करते थे।न किसी का डर न किसी की डाट,बस अपनी ही धुन मे रहा करते थे।आजकल के बच्चे भी दिन भर,मोबाइल मे गे

2

जीमणा री याद

21 फरवरी 2022
0
0
0

इस कविता मे मैने एक गाँव के जीमने को याद करते हुए कुछ अपने विचार लिखने की कोशिश की है ।सुनियेगा जरा ---- (१)आज घणा वक्त पछे शहर रो जीमणो जीम्यो, &nb

3

"अपने सपनो के लिए "

7 मार्च 2022
1
1
0

अपने सपनों के लिए "हार को कभी हार ना मानना तुम,जीत को कभी जीत ना मानना तुम ,अपने ऊपर विश्वास रखना तुम ,कर दिखाओगे अपना सपना पूरा एक दिन तुम।अपने सपनों के लिए------जब चारो ओर तुम्हारा ही नाम गूंजेगा,सब

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए