ना आसमां हूँ ना मैं ज़मीं हूँ
मोड़ पे लाया हुआ आदमी हूँ
न कोई मेरा है ना मै किसी का
पानी हूँ मै बस बहती नदी का
मुरझाई नयनों की मै नमी हूँ
मोड़ पे लाया हुआ आदमी हूँ
किसी ने कभी मेरा साथ देकर
दी जिंदगी मे ठोकर ही ठोकर
मुहब्बत की मूरत की मै डमी हूँ
मोड़ पे लाया हुआ आदमी हूँ
मै जिंदा हूँ तो बस प्यार के सहारे
लगायेंगे नईया वही बस किनारे
खता क्या मेरी मै उनकी कमी हूँ
मोड़ पे लाया हुआ आदमी हूँ
डॉ राजेश पाण्डेय