फूल क्यूँ सारे खिलके महकने लगे
आज भँवरों के दिल भी धड़कने लगे
दिल की खिड़की खुली मिल गई लो नजर
आज मालुम हुआ आपका है ये घर
प्यार का रंग चढ़ता उतरता रहा
नूर चेहरे का उनके निखरता रहा
टिमटिमाती रही रोशनी रातभर
आज मालुम हुआ आपका है ये घर
हर तरफ आज मौसम गुलाबी सा है
रंग सारे चमन मे शराबी सा है
फूल काँटों से मिलते यहाँ झूमकर
आज मालुम हुआ आपका है ये घर
बेकरारी बढ़ी फासले कम हुए
मेरी किस्मत है जो आपके हम हुए
साथ छूटे न अब ये किसी मोड़ पर
आज मालुम हुआ आपका है ये घर
> राजेश पाण्डेय