खून पसीना बहा के अपने पुरखों ने ही सींचा है !
इसकी शान बढ़ाते जाना भारत एक बगीचा है !!
भारत एक बगीचा है, भारत एक बगीचा है... !!
नफरत से नफरत है हमको प्यार हमारी भाषा है !
आपस मे मिलजुल के रहना जीवन की अभिलाषा है !!
राह मे अपनी कदम कदम पर फूलों का गलीचा है !
भारत एक बगीचा है, भारत एक बगीचा है... !!
रहेगा ऊँचा अपना तिरंगा जब तक चाँद सितारे हैं !
सत्य अहिंसा प्रेम के नगमें यही हमारे नारे हैं !!
हर इसमे समान यहाँ कोई ऊँचा ना नीचा है !
भारत एक बगीचा है, भारत एक बगीचा है... !!
:- डॉ राजेश पाण्डेय