पहली बार किसी गज़ल को पढ़कर आंसू आ गए । शख्सियत, ए 'लख्ते-जिगर, कहला न सका । जन्नत,, के धनी "पैर,, कभी सहला न सका ।. दुध, पिलाया उसने छाती से निचोड़कर, मैं 'निकम्मा, कभी 1 ग्ला
मां को खुशियाँ और सम्मान देने के लिए पूरी ज़िंदगी भी कम होती है। फिर भी विश्व में मां के सम्मान में मातृ दिवस मनाया जाता है। मां शब्द में संपूर्ण सृष्टि का बोध होता है। मां के शब्द में वह आत्मीयता एवं मिठास छिपी हुई होती है, जो अन्य किसी शब्दों में नह