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1 किताब
<div align="center"><p dir="ltr"><i><b>दिल पर खंजर चलाने वाले बहुत हैं</b></i><br> <i><b>क्या करें ज
<div><b><i>मैं फ़िर से किसी से नज़दीकियां बढ़ाऊं क्या</i></b></div><div><b><i>आधे सफ़र तक किसी
<div><b><i>सुनो बलम सूनि तुम बिनु दुनिया है।</i></b></div><div><b><i>आओ बाट जोहत तोरी जोगनिया है।</i
<div><b><i>ये जो बे-ज़ुबानों की बस्ती है।</i></b></div><div><b><i>हां ये जो इंसानों की बस्ती है।</i>
<div><b><i>अक्श इसमें किसी और का बना है।</i></b></div><div><b><i>ये दिल इश्क़ का नहीं खूं का बना है।
<div><i><b><br></b></i></div><div><i><b>अगर मैं तुझ को भुला दूंगा तो फिर क्या होगा।</b></i></div><di
<i style="font-size: 1em;"><b>दर्मियां-ए-आरज़ू में रहें तो बेहतर हो।</b></i><br><i style="font-size:
<div><span style="font-size: 1em;">इश्क़ में मैं बदल रहा था बदला नहीं था।</span><br></div><div>सब कु
इश्क की गलियों का दीदार कर आया।किसी की जुल्फ़ों से मैं प्यार कर आया।जानता हूं उनकी हर एक बाते झूठी है।हां मगर दिल के हाथों ऐतबार कर आया।दिल के कई फसाने जमाने ने सुनाई थी।मैं भी आज दिलों का व्यापार कर
मैनू उस दे रूप दे नाल परियां दिस दीवो मिट्टी छू दे ते सोणे दे मोल बिकदीओनू तितलियां बहुत सतान्दी हैओनू हुस्ना फूला दा नाल महकदीदस खुदाया इन्ना सोणा हुस्न क्यूं बणायाजद्दे नाल देखदी हीर दी आंख तरसदीरब्
ज़िंदगी एक सफ़र ही तो है।सारा शहर मेरा घर ही तो है।ये शहर जला, वो कोई माराख़ैर छोड़ो ये ख़बर ही तो है।तेरी बातें खंज़र सी चुभती है।छलनी होने दो जिगर ही तो है।जाने वाले को भला मैं कैसे रोकूं।अपना नहीं
जैसा चाहा वैसा कोई मंज़र न मिला।मैं उम्र भर सफ़र में रहा घर न मिला।मैं ज़ख़्म सीने पर खाने को तैयार हूं।मगर चाहत भरा कोई खंज़र न मिला।रंज-ओ-ग़म, बेज़ार-ओ-बे'नूर हाय तौबा।दिलों के जहां में एक भी दिलबर