इश्क़ में मैं बदल रहा था बदला नहीं था।
सब कुछ समझता था मैं पगला नहीं था।
बाद ए तिरे बड़ी मशक्कत से मैंने फिर इस,
दिल को सम्हाला था दिल सम्हला नहीं था।
बे सबब ही आपसे निगाहें मिल गया था।
जानता हूं मैं तिरा शिकार अगला नहीं था।
मैंने सच को सरे बज़्म रख दिया था क्यूंकि।
तेरे आने की झूठी ख़बर से दिल बहला नहीं था।
मेरी बर्बादी का तुम इतना भी अफ़सोस न करो।
अमा जय के लिए ये हादसा कोई पहला नहीं था।
मृत्युंजय विश्वकर्मा