अक्श इसमें किसी और का बना है।
ये दिल इश्क़ का नहीं खूं का बना है।
उफनती नदी के भंवर में डूब जायेगा।
नाख़ुदा तेरी किस्ती कागज़ का बना है।
मोहब्बत की निशानी जिसे लोग कहते है।
सच कहता हूं इक कब्र दौलत का बना है।
बसना हैं तो किसी के दिल में बसों यारो।
शहर में सभी घर ईंट - पत्थर का बना है।
किससे कहता मैं अपना दर्द-ए-गम जय।
इंसा के जहां में ख़ुदा तो पत्थर का बना है।
मृत्युंजय विश्वकर्मा