मुझे अपना बनायेगा
मौसम ये कैसे पल पल बदल जाता है. कभी खिली धूप तो कभी घना अन्धेरा छा जाता है. न रुकता है वो, न कोई रोक पाता है. पल पल मे ये संसार बदल जाता है. बदलावों का दौर है ये, न सोचा था इतनी जल्दी बदल जयेगा. देखना, मुड़ कर मुझे वो, देखने जरुर आयेगा. मेरा हाल पूछने आयेगा . रह नही सकता दुर मुझसे वो, जानता है मुझे खुद से भी ज्यादा वो, मैं जानता हुं मेरी एक पुकार से- तू दौड़ जायेगा. मुझे भुल ना पायेगा तु, फिर मुझे अपना बनायेगा.(स्वरचित)